- शैक्षिक समन्वयक ओमप्रकाश वर्मा जी ने डा सर्वपल्लीराधाकृष्णन के जीवन परिचय पर बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि डा सर्वपल्लीराधाकृष्णन भारत के प्रथम उपराष्टपति और द्विवीतीय राष्टपति रहे।वे भारतीय संस्कृति के संवाहक प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक
- आज के कार्यक्रम का संचालन कुमारी वंदना सूर्यवंशी कक्षा आठवी ने किया।
बिलासपुर, 5 सितंबर । campussamachar.com, आज शा क पूर्व मा शाला सेमरताल में शिक्षक दिवस के सुअवसर पर विद्यार्थीयो ने गुरूजनो का किया सम्मान सर्व प्रथम मां सरस्वती एवं डा सर्वपल्लीराधाकृष्णन के तस्वीर पर पुष्प दीप जलाकर शिक्षक सुरेश कुमार दुबे, प्रदीप कुमार मुखर्जी अनिता बोरकर, ओमप्रकाश वर्मा जी ने पुजा अर्चना किया।
teachers day : तत्पश्चात विद्यार्थीयो के द्वारा शिक्षको का श्रीफल,तिलक लगाकर सम्मान किया। उपस्थित शिक्षक सुरेश कुमार दुबे, प्रदीप कुमार मुखर्जी, अनिता बोरकर, निलिमा निकोसे, कुमारी राधा टंडन, भुनेश्वर पटेल, ओमप्रकाश वर्मा जी का स्वागत सम्मान किया गया।
संबोधन में प्रदीप कुमार मुखर्जी बताया कि डा सर्वपल्लीराधाकृष्णन का जन्म 5सितम्बर 1888तिरूदनी तमिलनाडु में हुआ था इनका शिक्षा मद्रास क्रिशियन कालेज 1906-1908 तक पढ़ाई किए। आगे कहा कि सर्व पल्लीराधाकृष्णन के 48वे जयंती हम मना रहे है इस सुअवसर पर आप सबको बहुत बहुत बधाई।
bilaspur news today : शैक्षिक समन्वयक ओमप्रकाश वर्मा जी ने डा सर्वपल्लीराधाकृष्णन के जीवन परिचय पर बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि डा सर्वपल्लीराधाकृष्णन भारत के प्रथम उपराष्टपति और द्विवीतीय राष्टपति रहे। वे भारतीय संस्कृति के संवाहक प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे। उनके इन्ही गुणो के कारण सन 1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च भारत रत्न से अंलकृत किया था। प्रा शाला सेमरताल से भुनेश्वर पटेल जी ने विद्यार्थियों को बताया कि डा सर्वपल्लीराधाकृष्णन भारत के स्वतंत्रता के बाद देश के आधुनिक शिक्षा की दिशा में आगे ले जाने वाले डा सर्वपल्लीराधाकृष्णन की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही।
bilaspur news today : अनिता बोरकर उ व शिक्षिका ने सर्व पल्लीराधाकृष्णन के परिवार के बारे में बच्चों को बताया कि उनकी माता का नाम तिरूतनी गांव तमिलनाडु पिता सितम्मा पत्नी का नाम सिवाकमु थे कृष्णन के पाच पुत्री और एक पुत्र थे । आगे कहा कि सर्व पल्लीराधाकृष्णन के लिखी गई पुस्तके विश्व प्रसिद्ध है। अंत बच्चों को धन्यवाद प्रेषित करते हुए वर्मा जी ने कहा कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है इसलिए विश्व को एक इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए। आज के कार्यक्रम का संचालन कुमारी वंदना सूर्यवंशी कक्षा आठवी ने किया।