- एससीईआरटी ने स्थानीय भाषाओं में 15 सितम्बर तक प्रथम पांडुलिपि तैयार करने कहा
- कक्षा 1 से कक्षा 5 तक सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ी भाषा (रायपुर एवं बिलासपुर संभाग), सरगुजिहा, हल्बी, गोड़ी, सादरी, कुडुख स्थानीय भाषाओं में 15 सितम्बर तक प्रथम पांडुलिपि तैयार कर प्रस्तुत करने कहा है।
रायपुर, 17 अगस्त । campussamachar.com, स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आगामी शिक्षा सत्र से छत्तीसगढ़ भाषा एवं आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय बोली को कक्षा 1 से 5 तक के पाठ्यक्रम में शामिल करने की कार्यवाही शुरू कर दी है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT raipur ) के संचालक राजेश सिंह राणा ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh baghel) द्वारा की गई इस घोषणा पर कार्यवाही के लिए बैठक लेकर संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।
cg news in hindi : राजेश सिंह राणा ने मुख्यमंत्री (CM Bhupesh baghel) की घोषणा से अवगत कराते हुए सभी अशासकीय संगठनों से बहुभाषा शिक्षण के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्याें और अनुभव की संक्षिप्त जानकारी ली। उन्होंने मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (एफएलएन) के भाषागत लक्ष्यों, सीखने के प्रतिफलों को ध्यान में रखते हुए एससीईआरटी की अकादमिक टीम के साथ सहयोग करने कहा। राणा ने इस कार्य के लिए कक्षा 1 से कक्षा 5 तक सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ी भाषा (रायपुर एवं बिलासपुर संभाग), सरगुजिहा, हल्बी, गोड़ी, सादरी, कुडुख स्थानीय भाषाओं में 15 सितम्बर तक प्रथम पांडुलिपि तैयार कर प्रस्तुत करने कहा है। अशासकीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने कक्षा 1 से 3 तक इस क्षेत्र में कार्य किए जाने वाली स्थानीय भाषाओं में पाठ्य सामग्री निर्माण कर, दी गई समय सीमा में प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया है। इसे स्थानीय भाषाओं के लिए पूर्व तैयार की गई समितियों के मध्य आगामी 15 सितम्बर को चर्चा हेतु प्रस्तुत किया जाएगा।
chhattisgarh news today : अगले शिक्षा सत्र से छत्तीसगढ़ी भाषा एवं आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय बोली को कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में सम्मिलित करने के संबंध में आयोजित बैठक में परिषद् की उपसंचालक पुष्पा किस्पोट्टा, पाठ्यपुस्तक लेखन के प्रकोष्ठ प्रभारी वी.के. तिवारी, सहायक संचालक, सुशील राठोड़, सहायक प्राध्यापक, डॉ. जयभारती चंद्राकर, स. प्रकोष्ठ प्रभारी बहु भाषा शिक्षण, एस.के.तंबोली, व्याख्याता तथा अशासकीय संगठनों से राधेश्याम थवाईत (अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन), रंधीर एवं प्रदीप (रूम टू रीड फाउंडेशन), संजय गुलाटी एवं मधुलिका झा (लैंग्वेज लर्निंग फाउंडेशन), रागिनी मेहरा (संपर्क फाउंडेशन) उपस्थित थे।