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Lucknow University : LU प्रशासन के खिलाफ लुआक्टा ने दिये बड़ी लड़ाई के संकेत, मीटिंग का निर्णय-नहीं मांगे मानी गई तो कर सकते हैं राजभवन मार्च

Lucknow University

  • नेता बोले – यदि समस्याओं का यथाशीघ्र समाधान नहीं होता है तो राजभवन मार्च किया जाएगा । साथ ही यदि लंबे आंदोलन की आवश्यकता हुई तो लुआक्टा उससे पीछे नहीं हटेगी

लखनऊ, 28 मई।  campussamachar.com, लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University ) सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा ) ने LU प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।  साथ ही आंदोलन जारी रखने का फैसला लिया है । लुआक्टा के नेताओं  का कहना है कि  Lucknow University  लगातार अधिनियम एवं परि नियम में दी गई व्यवस्था के विपरीत मनमाने ढंग से हमारे अधिकारों की कटौती की जा रही है जिसका हालिया उदाहरण काले शिक्षकों के गर्मी के अवकाश में कटौती है जबकि से लखनऊ विश्वविद्यालय से सह्युक्त राजकीय कालेजों में  भी अवकाश घोषित किया जा चुका हैं।

Lucknow University news :  लुआक्टा के नेताओ   के अनुसार विश्वविद्यालय प्रशासन (Lucknow University )  की लापरवाही से, एजेंसी तय करने में हुई देरी से परीक्षाओं के संचालन में देरी हुई जिसका खामियाजा गर्मी के छुट्टियों की कटौती के रूप मे महाविद्यालय के शिक्षकों को उठाना पड़ा, जबकि प्रवेश की प्रक्रिया महाविद्यालयों में पहले ही शुरू चुकी थी । एवं कक्षाएं भी विश्वविद्यालय (Lucknow University )  से पहले से शुरू हो चुकी थी ।

लुआक्टा नेताओं का कहना है कि क्रीड़ा परिषद के गठन, अर्थशास्त्र विभाग की मनमानी, प्रतिकर अवकाश को परिभाषित न करने, अकादमिक कैलेंडर घोषित न करने, पैनल एवं विषय विशेषज्ञों के रूप मे उचित प्रतिनिधित्व न देने, प्रोफेसर पद पर प्रोन्नत साथियों को स्वतः अकादमिक समितियों का सदस्य न बनाया जाना, नए चार जिले जोड़ने के बावजूद मूल्यांकन कार्य कर रहे साथियों को TA/DA एवं रहने की उचित व्यवस्था, लिखित एवं प्रायोगिक परीक्षा संबंधी भुगतान, LURN के नाम पर महाविद्यालय छात्रों से भी पंजीकरण के रूप मे शुल्क, केंद्रीकृत प्रवेश व्यवस्था के अन्तर्गत प्रति विषय 50000/ लेकर अनुदानित की जगह स्ववित्त पोषित को बढावा देकर अभिभावक एवं छात्रों का नुकसान, राज्य सरकार द्वारा तय परीक्षा शुल्क से अधिक शुल्क लिये जाने आदि के कारण अनुदानित अशासकीय महाविद्यालयों में घटती छात्र संख्या, स्ववित्त पोषित महाविद्यालयों के परीक्षा के अनुदानित महाविद्यालयों को केंद्र बनाए जाने, चार जिले जुड़ने के बावजूद शिक्षक कल्याण कोष के धन का आनुपातिक धनराशि न बढाए जाने, लुआक्टा के संघर्षों से प्राप्त यूजीसी शिक्षकों को प्राप्त शोध पर्यवेक्षक अधिकार को छीनने की साजिश, सीडीसी के गठन में महाविद्यालयों के शिक्षकों को प्रतिनिधित्व न देना, परिक्षा एवं मूल्यांकन कार्य के सेलों में सहयुक्तता के बावजूद केवल परिसर के शिक्षकों को ही ओएसडी बनाया जाना, महाविद्यालयों के छात्र/छात्राओं के परीक्षा शुल्क में से परीक्षा कराए जाने के पश्चात अवशेष धन से केवल लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर के विकास एवं उपयोग पर खर्च करना एवं महाविद्यालयों के विकास पर कोई हिस्सेदारी न देना, महाविद्यालय शिक्षकों को आबंटित शोध छात्रों की फीस विश्व विद्यालय में जमा करना, पीएचडी शोध पर्यवेक्षकों को लिखित रूप से आबंटित शोध छात्रों की सूचना उपलब्ध न करवाने, चारों जिलों के शोध पर्यवेक्षकों को कोर्स वर्क कक्षाएं विश्वविद्यालय परिसर में पढ़ाने हेतु आमंत्रित करने के बावजूद यात्रा भत्ता न देने, शासनादेश के बावजूद कतिपय विभागों द्वारा ऑनलाइन कोर्स वर्क न कराए जाने, अशासकीय अनुदानित महाविद्यालयों के स्ववित्त पोषित शिक्षकों को 12 माह का वेतन निर्गत हेतु आदेश न देने, परीक्षा संचालन की विसंगतियों को दूर न करने आदि अनेक विषयों को लेकर लुआक्टा का प्रथम चरण का आंदोलन 20 मई से 23 मई 2023 तक विश्वविद्यालय परिसर में हुआ।  धरने पर सामूहिक निर्णय लिया गया था कि परीक्षाओं से संबंधित कार्यों का बहिष्कार यथावत जारी रहेगा एवं लुआक्टा कार्यकारिणी की बैठक के उपरांत आगे की रणनीति तय की जाएगी ।

 लुआक्टा कार्यकारिणी की आहूत बैठक में निम्न निर्णय लिए गए:

1. इन्टरनल असाइनमेट, पेपर सेटिंग आदि परीक्षा से संबंधित दायित्व छात्र हित को ध्यान मे रखकर संपादित किए जाने का निर्णय लिया गया।

2. उप मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए आश्वासन के क्रम में यथा शीघ्र उच्च स्तरीय वार्ता की जाएगी एवं समस्त समस्याओं से अवगत कराया जाएगा ।

3. कुलाधिपति को पूर्व में दिए गए ज्ञापन पर वार्ता की जाएगी ।

4. यदि समस्याओं का यथाशीघ्र समाधान नहीं होता है तो राजभवन मार्च किया जाएगा तथा यदि लंबे आंदोलन की आवश्यकता हुई तो लुआक्टा उससे पीछे नहीं हटेगी ।

5. कुछ शिक्षकों द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय की निरंकुशता को देखते हुए नए विश्वविद्यालय की मुहिम चलाए जाने की मांग उठाई गई, इस सम्बंध में व्यापक विचार विमर्श हेतु रणनीति बनाए जाने पर सहमति बनी ।

6. यह भी निर्णय लिया गया कि सभी साथी सोशल मीडिया का प्रयोग करते हुए, लखनऊ विश्वविद्यालय की निरंकुशता के मुहिम चलाएंगे। .

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