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lucknow university news : लुआक्टा नेताओं का बड़ा आरोप- LU प्रशासन धरने को लेकर फैला रहा भ्रमजाल, पाइंट्स में बताया आंदोलन क्यों ? पढ़िये इनसाइड स्टोरी

  • लुआक्टा का 20 मई 2023 से लखनऊ विश्वविद्यालय में जारी धरना आज स्थगित हो सकता है

लखनऊ, 23 मई । campussamachar.com,  लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन (lucknow university ) के खिलाफ  लुआक्टा ( Luacta) का धरना आज स्थगित हो सकता है, क्योकि शिक्षक  नेता डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से मिलने गए है, उनसे वार्ता के बाद धरना स्थगित किया जा सकता है। न कालेज शिक्षकों का प्रशासन के साथ गतिरोध बना हुआ है।  इस बीच LU प्रशासन के तर्कों  से लुआक्टा नेता खासे नाराज हैं ।  अब लुआक्टा ( Luacta)  ने आरोप लगाया है कि LU प्रशासन द्वारा फैलाया जा रहा भ्रमजाल कि शिक्षक केवल अपने अवकाश के लिए ही लड रहा है एक सोची समझी गहरी साजिश हैl वास्तविकता यह है कि लखनऊ विष्वविद्यालय (lucknow university )  को परिनियन मे दी गई व्यवस्था के अनुसार अवकाश के साथ सारे लाभ प्रदान किए गए लेकिन महाविद्यालय के साथियों ने अपने हक की बात की तुरंत छात्र हित का बहाना लेकर अवकाश से जोड़ दिया गया एवं अन्य हकों पर बात करने से भागने लगा ।

lucknow university news : लुआक्टा अध्यक्ष डाक्टर मनोज पाण्डेय और महामंत्री प्रोफेसर अंशु केडिया का कहना है लुआक्टा द्वारा अपनी विभिन्न मांगों में एक मुद्दा क्रीड़ा परिषद के पुनर्गठन का रखा गया है । लुआक्टा नेताओं ने बताया कि LU प्रशासन द्वारा कैसे हमारा हक मारा जा रहा है और विश्वविद्यालय (lucknow university )  खेल में पिछड़ गया है यहां तक कि हमारे शहर में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स का आयोजन किया जा रहा है जिसके आयोजन की जिम्मेदारी इस A++ वाले विश्वविद्यालय को नहीं बल्कि बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय को दी गई है। आयोजन तो दूर की बात इस विश्वविद्यालय (lucknow university )  से केवल 2 खिलाड़ी ही इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए पात्र हैं, जो बड़े शर्म की बात है। इस पर भी विश्वविद्यालय विचार करना उचित नहीं समझता।

lucknow news : विश्वविद्यालय की क्रीड़ा नियमावली जो कैनिंग कॉलेज के समय में बनाई गई थी वही नियमावली आज भी लागू की जा रही है इसमें 1988 में संशोधन के नाम पर केवल नाम में परिवर्तन किया गया बाकी इसकी संरचना और कार्यशैली में कोई परिवर्तन आज तक नहीं किया गया। Luacta की विश्वविद्यालय प्रशासन (lucknow university )  से लंबे समय से क्रीड़ा परिषद को प्रजातांत्रिक बनाए जाने की मांग चल रही है फिर भी आज तक विश्वविद्यालय द्वारा एकाधिकार रखा गया है l विश्वविद्यालय में कैनिंग कॉलेज के समय से स्थापित विभिन्न खेलों के क्लब आज भी चलाए जाते हैं जिसमें खेलों से दूर दूर तक वास्ता न रखने वाले विश्वविद्यालय (lucknow university )  के प्राध्यापकों को अध्यक्ष एवं सदस्य बनाया जाता है। ये अध्यक्ष, सचिव मानविकी. विज्ञान, वाणिज्य किसी से भी हो सकते हैं । महाविद्यालय के शारीरिक शिक्षा के अनुभवी शिक्षकों के हक को मारकर विश्वविद्यालय (lucknow university )  द्वारा अपना एकाधिकार बनाए रखने के प्रयास की Luacta निंदा करती है ।

lucknow teachers news : Luacta के अध्यक्ष डाक्टर मनोज पाण्डेय और महामंत्री प्रोफेसर अंशु केडिया का कहना है कि  विश्वविद्यालय (lucknow university )  का पूरा क्रीड़ा परिषद महाविद्यालय के पैसों पर निर्भर रहता है इसके लिए विश्वविद्यालय (lucknow university )  द्वारा किसी तरह की कोई ग्रांट अलग से नहीं दी जाती है। यहां कभी भी खिलाड़ियों को दिया जाने वाला DA बढ़ा दिया जाता है जिसका आर्थिक बोझ महाविद्यालय को सहन करना पड़ता है। सबसे बड़ा खेल खिलाड़ियों के साथ होता है जब उनको पूरा TA/ DA दिया नहीं जाता बल्कि उनके पैसों की आपस में बंदर बांट कर ली जाती है।

पूरे प्रदेश में शायद लखनऊ विश्वविद्यालय (lucknow university )  ही एक मात्र विश्वविद्यालय होगा जो राजधानी में होते हुए भी सबसे निम्न स्तर की खेल नीतियां अपनाता है-

1. विश्वविद्यालय की एथलेटिक एसोसिएशन में ना कोई खेल विशेषज्ञ हैं और ना ही शारीरिक शिक्षा का कोई प्राध्यापक ।
2.यहाँ के क्रीड़ा पारिषद में महाविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई भी पदाधिकारी नहीं है। महाविद्यालयों से धनराशि ले कर महाविद्यालयों का प्रतिनिधित्व ही शून्य कर दिया गया ग़ज़ब का खेल है यहां।
3. यहां अन्तर महाविद्यालय प्रतियोगिताओं का कोई प्रावधान नहीं है ।
4. प्रदेश के ज्यादातर विश्वविद्यालयों में जहां टीम का चयन अन्तर महाविद्यालय प्रतियोगिताओं के आधार पर होता है वही लखनऊ विश्वविद्यालय में आज भी केवल ट्रायल के आधार पर होता है ।

5. क्रीडा पारिषद द्वारा चयन ट्रायल के लिये आने वाले खिलाड़ियों से नामांकन के नाम पर 100-500 रुपये वसूले जाते हैं। चयन ट्रायल के लिए आने वाले खिलाड़ियों के ठहरने, आने -जाने , खाने इत्यादि की कोई व्यवस्था विश्वविद्यालय द्वारा नहीं की जाती है ।
6.अन्तर विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं में जाने वाले प्रत्येक खिलाड़ी से बेडिंग शुल्क लिया जाता है जो महाविद्यालय को प्रतियोगिता के बाद वापस कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह शुल्क आयोजक विश्वविद्यालय द्वारा कासन मनी के रूप में लिया जाता है।
7. खेलों पर व्यय का कोई लेखा जोखा महाविद्यालयों को नहीं दिया जाता।
8.खिलाड़ियों के TA/DA के लिए दिए गए पैसे का शेष भी महाविद्यालयों को वापस नहीं किया जाता है।
9.विश्वविद्यालय कभी भी अपने यहां क्षेत्रीय अंतर विश्वविद्यालय या अखिल भारतीय विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं के आयोजन पर भी विचार नहीं करता।
10.विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ी महाविद्यालय के, खिलाड़ियों पर खर्च होने वाला धन महाविद्यालय का परंतु क्रीड़ा पारिषद में महाविद्यालय का प्रतिनिधित्व शून्य है।

लुआक्टा  का कहना है कि महाविद्यालय के प्रशिक्षित शिक्षकों, छात्रों के हित को अनदेखा करने के विरोध में लुआक्टा द्वारा विगत 20 मई से लगातार आंदोलन किया जा रहा हैं । यदि विश्वविद्यालय अभी भी महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं छात्र/ छात्राओं का जायज हक नहीं देगा तो Luacta के नेतृत्व में शिक्षक किसी भी हद तक जा सकते हैं। इन आरोपों  पर  LU प्रशासन का पक्ष मिलने पर विस्तार से प्रकाशित किया जाएगा।

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