अहिरन (लोहा) की चोरी करै, करै सुई का दान ।
उॅचे चढ़ि कर देखता, केतिक दूर विमान ।।
✍ लोग जीवन पर्यन्त पाप करके ढेर सारा धन, सम्पत्ति, साधन एकत्र करते हैं ।
✍और उसी पाप के धन से अल्प दान करके सोंचते हैं बहुत बड़ा पुण्य कमा रहे हैं और स्वर्ग में रहने के हकदार हैं ।
✍ यानी अपने क्षुद्र दान/पुण्य को अपने पाप कर्मों के फल से ज्यादा समझते हैं ।
✍ वह यह नहीं सोचते कि जिनके लिए(अगली पीढ़ी) हम पाप/गलत कार्य करके जोड़ रहे हैं वह इस पाप कर्म में भागीदार नहीं हैं ।
✍ कभी हम भी बाल्मीकि की तरह उनसे(भावी पीढ़ी) प्रश्न तो करें, और शायद हमारे भी ज्ञानचक्षु खुल जाएं ।