भिलाई, 20 मई। campussamachar.com, प्रजापिताब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के सेक्टर 7 स्थित पीस ऑडिटोरियम में गुजरात के गांधीनगर से पधारी राजयोगिनी कैलाश दादी जी ने अपने जीवन के रोचक तथा हृदयस्पर्शी परमात्म अनुभवों को भिलाई के ब्रह्मावत्सो से साझा करते हुए कहा कि मुझे बचपन से ही ब्रह्माकुमारी बनने का दृढ़ संकल्प था क्योंकि सफेद ड्रेस पहने ब्रह्माकुमारी दीदी लोग अच्छे लगते थे तथा मुझे ईश्वरीय पढ़ाई बहुत अच्छी लगती थी। जिसका मेरे परिवार एवम समाज में बहुत विरोध हुआ। मुझे कहा गया की तुम पढ़ी लिखी नहीं हो ठीक से बोल भी नहीं पाती हो। हिमाचल पहाड़ी क्षेत्र में रहने के कारण मुझे पहाड़ी भाषा आती थी, ठीक से हिंदी बोलना पढ़ना लिखना नहीं आता था। मुझे सब पूछते थे कि तुमको पढ़ना लिखना नहीं आता है क्या, सबको पता था फिर भी जानबूझकर पूछते थे।
Durg- bhilai news : लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति के सामने, दिल की सच्चाई, सफाई,सादगी गुणों के कारण दिव्य बुद्धि के वरदान द्वारा स्वयं परमात्मा शिव बाबा ने मुझे ध्यान में ट्रांस में पढ़ना लिखना सिखाया और आज 50 साल से अधिक हो गए हैं मुझे ब्रह्माकुमारी बने हुए। आपने बताया कि जीवन में यदि हर संकल्प, श्वांस में दृढ़ता है तो स्वयं परम शक्ति परमात्मा आपकी मदद के लिए बंधा हुआ है।
bhilai news : आपके हर कदम में मदद के लिए वह सर्वशक्तिमान परमात्मा हजार भुजाओं सहित हाजिर है। भिलाई सेवाकेंद्रों की निदेशिका ब्रम्हाकुमारी आशा दीदी जी ने कहा कि ऐसी महान पुण्यात्मा जिन्हें स्वयं परमात्मा ने पढ़ना लिखना सिखाया। जिन्होंने बचपन से ही अपना संपूर्ण जीवन परोपकार, विश्व कल्याण के लिए समर्पित किया। हम सभी सौभाग्यशाली हैं जिन के कमल चरण भिलाई में पड़े। यह जानकारी प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय सेक्टर 7,राजयोग भवन भिलाई ने दी है।