बिलासपुर, 14 अप्रैल । campussamachar.com, नए शैक्षिक सत्र शुरू होने के साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी भी शुरू हो गई है। सबसे अधिक समस्या शिक्षा का अधिकार (RTE) के तहत निजी स्कूलों में पढ़ रहे गरीब परिवारों के बच्चों को हो रही है ।
bilaspur education news : इन स्कूलों में बुक्स, स्टेशनरी सामग्री, ड्रेस स्कूल एवं अन्य खर्चों के नाम पर अभिभावकों को परेशान किया जा रहा है। RTE के तहत प्रवेश बच्चों को ट्यूशन फीस के साथ ही अन्य जरूरी सामग्री शिक्षा विभाग द्वारा प्रतिपूर्ति राशि के रूप में दी जाती है, लेकिन स्कूलों में बच्चों से कई तरह की फीस वसूली जाती है। बिलासपुर शहर के सरकंडा क्षेत्र में स्थित एक निजी स्कूल में RTE के तहत प्रवेश पाए बच्चे बच्चों से निर्धारित बुक सेलर से ही बुक्स खरीदने के लिए बार-बार दबाव डाला जा रहा है, जबकि पालकों का कहना है कि उन्हें पुस्तकें निशुल्क मिलनी चाहिए , लेकिन जब गुहार लगाने के बाद पुस्तकें उनके बच्चों को नहीं मिली तो पढ़ाई का नुकसान से बचने के लिए पालकों ने अपनी जेब से किताबें खरीद कर बच्चों को दी हैं।
bilaspur news : इसी तरीके से अन्य कई खर्चों की प्रतिपूर्ति भी पालकों को ही करनी पड़ रही है। एक पालक में अपना दर्द बताते हुए कहा कि अगर स्कूल प्रबंधन के अनुसार बुक्स नहीं खरीदेंगे, तो भरी क्लास में बच्चों को अपमानित किया जा सकता है और फिर इसका बच्चों के दिमाग में बुरा असर पड़ता है। विद्यालयों में इस प्रकार की कई घटनाएं वह भी चुकी है इसलिए मजबूरी में बच्चों के हितों को बनाए रखने के लिए किताबें खरीदने के साथी विद्यालय द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुरूप कार्य करना पड़ता है यह केवल बिलासपुर में नहीं बल्कि प्रदेश के कई अन्य निजी विद्यालयों में भी यह हो रहा है।
education news :अभिभावकों का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी (DEObilaspur) को ऐसे विद्यालयों की जांच पड़ताल करने के साथ ही RTE में प्रवेश पाये बच्चों की शैक्षिक उपलब्धियां और उनको प्रदान की जाने वाली शैक्षिक सुविधाओं की भी समय-समय पर जांच पड़ताल कर करनी जरूरी है । ऐसा करने से राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप गरीब परिवारों के बच्चे भी निजी स्कूलों में पढ़कर अपना भविष्य संवार सकते हैं।