लखनऊ, 23 मार्च । campussamachar.com, : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट ) ने प्रदेश के शिक्षकों का विद्यालयों से लेकर शिक्षा निदेशालय उत्तर प्रदेश कार्यालय तक लंबित लगभग एक अरब रूपयों के लंबित अवशेषों का वर्षों वर्षों तक भुगतान न किए जाने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है।
संगठन के प्रदेश संगठन मंत्री ओम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि यह अरबों रुपए बकाए धनराशि का भुगतान न होने वजह शिक्षा विभाग स्वयं है। संगठन मंत्री त्रिपाठी ने बताया कि शिक्षकों के विभिन्न प्रकार के कार्य जैसे देय चयन/ प्रोन्नत वेतनमान, प्रदोन्नति एवं ACP आदि के निस्तारण में कोई समय सीमा निर्धारित ना होने के कारण जानबूझकर वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पश्चात आदेश निर्गमन होता है ।
इसी कारण वेतन निर्धारणों से संबंधित प्रकरणों में बरती जा रही घोर अनियमितताओं एवं अत्यधिक विलंब से अवशेषों का अंबार बढ़ता जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसके लिए दो स्तरों पर अवशेषों के भुगतान से संबंधित प्रशासनिक आदेश जारी किए जाते हैं। एक लाख से संबंधित धनराशि मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों द्वारा अनुमन्यता जारी होती है, इसके ऊपर 5 लाख रुपए तक की अनुमन्यता एवं प्रशासनिक आदेश शिक्षा निदेशालय स्तर ( madhyamik shiksha nideshaalay prayaagaraaj ) से जारी होते हैं।
सबसे बड़ी विडंबना की बात तो यह है कि अनुमन्यता भले ही एक लाख रुपए JD स्तर से जारी करें परंतु उसका तथा निदेशक स्तर ( madhyamik shiksha nideshaalay prayaagaraaj ) पर दोनों ही प्रशासनिक आदेशों से संबंधित धन आवंटन केवल निदेशालय प्रयागराज से होता है ।
संगठन मंत्री त्रिपाठी ने बताया कि विगत वर्षों में 3 वर्ष तक के अवशेषों का भुगतान जिला विद्यालय निरीक्षक स्तर से हो जाया करता था उसे मात्र शिक्षा निदेशक स्तर से आदेश जारी कर 1 वर्ष की सीमा कर दी गई जो समय से आदेशों एवं वेतन निर्धारण न किए जाने से शत प्रतिशत प्रीऑडिट के दायरों में अवशेष भुगतान की श्रेणी में ला दिया जाता है।
lucknow teachers news : संगठन मंत्री त्रिपाठी ने शासन एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कर पूर्ववर्ती लागू 3 वर्ष तक के अवशेषों का भुगतान जिला विद्यालय निरीक्षकों द्वारा किए जाने के साथ-साथ मंडल स्तर पर धनराशि की सीमा बढ़ाए जाने एवं JD स्तर पर उन्हें अनुमन्यता प्रशासनिक आदेश के साथ धन आवंटन का भी अधिकार देकर भुगतान किए जाने की पुरजोर मांग की है। शिक्षकों के बकाए अपने अवशेषों की धनराशि पाने के लिए दर-दर ठोकरें खाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। साथ ही उसे हर स्तर पर आर्थिक शोषण का शिकार भी होना पड़ रहा है । इसके चलते प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को करोड़ों रुपए सरेंडर कर वापस कर दिया जा रहा है, जो सर्वथा अनुचित है।