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CG education News : छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग राष्ट्रीय स्तर पर फिर पुरस्कृत, CM ने दी बधाई

  • अंगना म शिक्षा” कार्यक्रम को मिला वर्ष 2022 का स्कॉच अवार्ड
  • मुख्यमंत्री और स्कूल शिक्षा मंत्री ने दी बधाई

रायपुर, 14 मार्च. छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग को एक बार पुनः अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार लेने का अवसर प्राप्त हुआ है। कड़ी प्रतियोगिता के बाद राज्य में समग्र शिक्षा द्वारा संचालित “अंगना म शिक्षा” कार्यक्रम के तहत वर्ष 2022 में किए गए कार्य के लिए स्कॉच अवार्ड 2022 प्राप्त हुआ है। यह पूरा कार्यक्रम छत्तीसगढ़ की महिला शिक्षिकाओं के समूह द्वारा संचालित की जा रही है। इस वर्ष इस कार्यक्रम का तीसरा वर्ष होगा और प्रतिवर्ष इसमें महिला नेतृत्व द्वारा कुछ नया डिजाइन शामिल किया जाता है। मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल (CM Bhupesh baghel) और स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने इस अवार्ड के लिए विभाग एवं राज्य की शिक्षिकाओं को बधाई दी है।

उल्लेखनीय है कि स्कॉच अवार्ड एक स्वतंत्र संगठन द्वारा प्रदत्त देश का सर्वाेच्च नागरिक सम्मान है,  इस अवार्ड को वर्ष 2003 में स्थापित किया गया था।

cg news in hindi : कोरोना के समय जब स्कूल शिक्षा विभाग का पूरा अमला बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए निरंतर प्रयासरत था और शिक्षकों को इस कार्य के लिए प्रोत्साहित करते हुए नए-नए तरीकों से बच्चों की पढाई को जारी रखने की कोशिश सतत् की जा रही थी। उसी समय राज्य के कुछ महिला शिक्षिकाओं ने इस राज्यव्यापी कार्यक्रम “पढ़ई तुंहर दुआर” में अपने योगदान का प्रस्ताव रखा। उन्होंने माताओं को प्रशिक्षित कर उनके माध्यम से घर पर रहते हुए ही बच्चों को सिखाने के प्रयास को “अंगना म शिक्षा” के रूप में प्रारंभ किया।

‘अंगना म शिक्षा‘ कार्यक्रम के माध्यम से माताओं में अपने बच्चों की पढ़ाई के प्रति अलख जगाने में सफलता पाई। माताओं एवं छोटे बच्चों को गाँव-गाँव में मेलों का आयोजन कर, मेले में माताओं एवं बच्चों को आमंत्रित कर घर में उपलब्ध सामग्री जैसे बर्तन, सब्जी, फल, कपडे़ आदि का उपयोग कर सिखाया जाए, इस पर कार्य किया गया।

campus news : ग्राम स्तर पर बेहतर कार्य कर रही माताओं को स्मार्ट माता के रूप में चयन कर सम्मानित किया गया। स्मार्ट माता अन्य माताओं को भी इस कार्यक्रम में जोड़े रखने एवं सीखने में सहयोग के साथ-साथ समय-समय पर बालवाड़ी एवं प्राथमिक शालाओं में जाकर बच्चों की शिक्षा में सहयोग एवं शिक्षकों से अपने बच्चों के सीखने के कार्य संबंधी जानकारी लेने का कार्य भी करती थीं। इस कार्यक्रम के माध्यम से माताओं में बच्चों को घर पर पढ़ाने की संस्कृति विकसित करने में सफलता मिली है। शिक्षिकाओं के समूहों द्वारा संकुल, विकासखंड, जिले एवं राज्य स्तर पर कोर ग्रुप के माध्यम से पूरे कार्यक्रम की मानिटरिंग की व्यवस्था की गयी।

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