- कथा सुनने से धुंधकारी इतना पापी था भगवान के परमधाम को प्राप्त हो गया
- भगवान की कथा मन से कर्म से ध्यान पूर्वक सुनता उसी का कल्याण होता है
सीतापुर। धर्म-समाज : मिश्रिख क्षेत्र के माता मार्कंडेय मंदिर अमरेली में 26 जनवरी को शतचंडी महायज्ञ की कलश यात्रा से शुरुआत हुई। कथा के पांचवे दिन राजन त्रिवेदी जीने बहुत ही सुंदर कथा सुनाई । उन्होंने कहा माता पिता व्यक्ति के जीते जागते भगवान उनकी सेवा में कोई कमी नहीं होनी चाहिए । हमारे आराध्य रामजी ने भी प्रातः काल पहले माता-पिता फिर गुरु का पूजन करते थे जीवन में अगर सफल होना है , तो प्रथम माता-पिता की सेवा करें संतों की सेवा करें तब धर्म करो कर्म करो गोस्वामी जी ने लिखा है बिनु सत्संग विवेक न होई राम कृपा बिनु सुलभ न सोई यह सब चीजें हमें सत्संग के द्वारा सीखने का अवसर मिलता।
राजन त्रिवेदी ने गोकर्ण और धुंधकारी की कथा भी सुनाई । उन्होने कहा गोकर्ण कितना धर्म कर्म करने वाले थे जबकि उनका भाई धुंधकारी बहुत ही पापी था साप्ताहिक मन लगाकर के भागवत को सुना क्या हुआ ? धुंधकारी इतना पापी था भगवान के परमधाम को प्राप्त हो गया और भी लोग कथा सुन रहे थे उनको सद्गति नहीं मिली तो उन्होंने गोकर्ण से पूछा कथा तो हमने भी सुनी हम लोगों का कल्याण क्यों नहीं हुआ गोकर्ण ने कहा आप लोगों ने भगवान की कथा को मन से नहीं सुना इसी का प्रतिफल है कि आप लोगों को सद्गति नहीं प्राप्त हुई जो भगवान की कथा मन से कर्म से ध्यान पूर्वक सुनता उसी का कल्याण होता है।