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वेबीनार : ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्बहाली के लिए मानवीय व्यवहार मे बदलाव जरूरी: प्रो. प्रसन्न कुमार

Webinar

रायपुर. छत्तीसगढ़ भूगोल परिषद् की ओर से दुर्गा महाविद्यालय रायपुर एवं सी.एम. दुबे महाविद्यालय बिलासपुर के भूगोल विभागों के संयुक्त तत्वाधान में २१ जुलाई को “ग्रामीण पारिस्थतिक तंत्र के पुनर्बहाली” (National Webinar restoring rural eco system) विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता डा. डब्ल्यू.जी. प्रसन्न कुमार चेयरमैन महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद हैदराबाद एवं दूसरे वक्ता प्रो. संदीप कुमार महरोत्रा विभागाध्यक्ष प्राणीशास्त्र एवं पर्यावरण अध्ययन शाला प्रयाग विश्वविद्यालय प्रयाग, जूम एप से जुड़कर अपना सारगार्भित व्याख्यान दिया। इस वेबीनार में देश के लगभग 300 भूगोलविद् एवं शोध छात्र शामिल हुए।

वेबीनार में अतिथियों का स्वागत करते हुए छत्तीसगढ़ भूगोल परिषद् के संरक्षक प्रो. एच.एस. गुप्ता सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष भूगोल अध्ययन शाला, पं. रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय रायपुर ने कहा, वेबीनार का विषय अत्यत प्रासंगिक है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दशक को पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्बहाली दशक मनाने की घोषणा किया है। छत्तीसगढ़ भूगोल परिषद् के अध्यक्ष प्रो. टी.एल. वर्मा ने छत्तीसगढ़ भूगोल परिषद् के प्रमुख उद्ेश्यों को बताया तथा कहा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में भूगोल विषय को विज्ञान संकाय के अंतर्गत समाहित कराने हमारा परिषद् प्रयासरत् है। यह परिषद् के द्वारा आयोजित पांचवा सेमीनार है।

डा. प्रसन्न कुमार ने कहा-
वेबीनार के मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ता डॉ. प्रसन्न कुमार चेयरमैन एम.जी.एन.सी.आर.ई., हैदराबाद ने कहा कि ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्बहाली के लिए आज आवश्यकता है कि मनुष्य अपनी यूज एण्ड थ्रो कल्चर को छोड़कर ग्रीन कल्चर पर कार्य करे। मनुष्य को पर्यावरण की पल-पल में आवश्यकता है न कि पर्यावरण को मनुश्य की। आज सभी गांव का घी, दूध, फल, मांस और खुली हवा का मांग करते हैं किंतु गांव की पारिस्थितिकी तंत्र की संरक्षण पर गंभीरता से विचार नहीं करते। इसी लिए आज का वेबीनार अत्यंत प्रासंगिक है।

प्रो. संदीप कुमार ने कहा-
आाभासी वेबीनार के दूसरे प्रमुख वक्ता प्रो. संदीप कुमार महरोत्रा प्रयाग विश्वविद्यालय ने अपने उद्बोधन में ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्बहाली पर अपने निर्देशन में हुए कई कार्यों का उदाहरण प्रस्तुत किया और बताया कि ग्रामीण अंचल में आज सतही जल स्रोत तीव्र गति से संकुचित हो रहा है। मनुष्य प्राकृतिक तत्वों का अपने लाभ के लिए तेजी से विदोहन कर रहा है। ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्बहाली के लिए मनुष्य के वर्तमान व्यवहार को नियंत्रित एवं संतुलित करना आवश्यक है।

इस वेबीनार में प्रो. एस.के. शुक्ला सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष भूगोल अध्ययन शाखा के केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर एवं प्रो. वीके गुप्ता विभागध्यक्ष प्राणीशास्त्र सी.एम. दुबे महाविद्यालय ने भी अपने विचार रखे।

डॉ. पूर्णिमा शुक्ला ने किया संचालन, प्रोफेसर चंद्राकर ने धन्यवाद ज्ञापित किया
बेबीनार का संचालन संयोजक डॉ. पूर्णिमा शुक्ला विभागाध्यक्ष भूगोल दुर्गा महाविद्यालय रायपुर एवं सचिव छ.ग. भूगोल परिषद ने किया। उन्होंने ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्बहाली विषय पर प्रकाश डालते हुए इस वेबीनार में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा आयोजन मण्डल के मुख्य संरक्षक प्रो. एच.एस. गुप्ता, भूगोल परिषद् के अध्यक्ष प्रो. टी.एल. वर्मा, डॉ. मधु कामरा प्राचार्य दुर्गा महा. रायपुर, डॉ. संजय सिंह, प्राचार्य सी.एम. दुबे महाविद्यालय तथा दुर्गा महाविद्यालय की प्रबंध समिति के चेयरमैन एस.एस. शुक्ला तथा सी.एम. दुबे महाविद्यालय बिलासपुर के शासी निकाय के चेयरमैन पं. संजय दुबे के मार्गदर्शन का अभिनन्दन किया। कार्यक्रम के समापन पर वेबीनार के सह-संयोजक डॉ. पुरूषोत्तम चन्द्राकर विभागाध्यक्ष भूगोल सी.एम. दुबे महाविद्यालय बिलासपुर ने वेबीनार में उपस्थित समस्त अतिथियों के प्रति हृदय से आभार प्रस्तुत किया।

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