लखनऊ. ( Mulayam singh yadav death news) अपने लाखों-करोड़ों समर्थकों को रुलाते हुए धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव ( Mulayam singh yadav) अंतिम यात्रा पर निकल गए। सैफई की जिस माटी में खेले और बढ़े और सबको आगे बढ़ाया,आज उसी मिट्टी में मिल गए। अंतिम यात्रा पर जाने से पहले उनके अंतिम दर्शन करने के लिए देश के दिग्गज राजनेता, उद्यमी, फिल्मी सितारों से लेकर गांव-गंवई तक के लोग पहुंचे थे। लाखों लोगों की नींद गायब थी और वे अपने रहनुमा के अंतिम दर्शन करना चाहते थे।
धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव की राजनीति गांव की राजनीति थी। वे गांव की गलियां में साइकिल चलाकर लोगों से जुड़े। लोगों के आगे उनके मुख्यमंत्री और रक्षामंत्री जैसी कुर्सी भी कुछ नहीं थी। तभी तो उनके एक साथी एक किस्सा बताते हैंं कि सर्दी में जब हवाई चप्पल पहनकर नेता जी से मिलने लखनऊ पहुंचे तो नेता जी ने सर्दी में हवाई चप्पल पहनने की वजह पूछी तो यह साथी बोले बस आपसे मिलने के लिए चला आया। नेता जी ने उन्हें राज्यमंत्री दर्जा दिया। एक महज एक उदाहरण नहीं है बल्कि दशकों की राजनीति में ऐसे दर्जनों उदाहरण मिल जाएंगे। ऐसे ही उदाहरण मिलकर किसी नेता को धरतीपुत्र और नेता जी की पदवी देते हैं, ठीक वैसे ही जैसे लोगों ने जय प्रकाश नारायण को लोकनायक बना दिया।
राजधानी लखनऊ में ऐसे सैकड़ों कार्यकर्ता हैं, जिन्हें नेता न केवल नाम से जानते थे बल्कि उनके घर परिवार के बारे में भी भली प्रकार परिचित थे। वे समय मिलने पर परिवार के बारे में हालचाल भी लेते थे। एक पुराने पदाधिकारी बताते हैं कि एक बार सपा कार्यालय में जब कार्यकर्ताओं की भीड़ बढ़ गई तो उन्होंने लखनऊ के ही एक नेता का नाम लेकर भीड़ को संभालने के लिए कहा।
सोशल मीडिया में छाए हैं धरतीपुत्र
lucknow news – 10 अक्टूबर को निधन होने के बाद से ही सोशल मीडिया में धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक जीवन से जुड़े किस्से कहानियां छाए हुए हैं। कहीं उनकी पहलवानी के दांव बताए जा रहे हैं तो कोई उनकी दरियादिली की बात कर रहा है तो कोई कुछ। उनके सम्मान में अपनी बातें कहने वालों में सिर्फ सपा के ही लोग नहीं है बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने उनकी योग्यता, राजनीतिक सूझबूझ और परिपक्वता की प्रशंसा की।
लखनऊ विश्वविद्यालय (lucknow university) के समाजशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर राम गणेश मुलायम सिंह यादव की राजनीति को पिछड़े और वंचित समाज के लिए अमृत मानते हैं। उनका कहना है कि आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में यह समाज कहीं नहीं था लेकिन जब से मुलायम सिंह यादव ने राजनीति शुरू की तब से समाज के सबसे कमजोर वर्ग, पिछड़ा, अनुसूचित जाति,जनजाति और अल्पसंख्यकों के लिए तेजी से अवसर मिले। बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि चुने जाने लगे और राजनीतिक स्तर पर अच्छा मुकाम हासिल किया। इनका कहना है कि मुलायम सिंह यादव ( Mulayam singh yadav ) की राजनीति डॉ.राम मनोहर लोहिया और लोक नायक जय प्रकाश नारायण से कहीं आगे जाकर होती है और वे वंचित समाज को सत्ता पर पहुंचाते हैं।