शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय,
तस्मै “शि” काराय नमः शिवायः॥
✍ भगवान शिव के स्वरूप को कल्याणकारी/दूसरों को सुख पहुंचाने वाला माना जाता हैं ।
✍ सच्चे शिवभक्त को भी अपने बजाए, दूसरों के कल्याण/सुख को प्राथमिकता देनी चाहिए ।
✍ सच्चे शिवभक्त को शिव के वाहन,अकाट परिश्रम के प्रतीक बैल के समान परिश्रमी भी होना चाहिए ।
✍ सच्चा शिवभक्त, शिव के नीलकण्ठ स्वरूप की भांति, (विष) दुख/कष्ट स्वयं सहकर दूसरों को अमृत(सुख) पान कराता है ।
✍ सच्चे शिवभक्त को राजा दक्ष रूपी अपने अहम/मैं को पनपने/बढ़ने नहीं देना चाहिए ।
आज की तिथि 5124 / 05-01-05/ 03 युगाब्द 5124, श्रावण शुक्ल पंचमी मंगलवार नाग पंचमी की पावन मंगल बेला में, दूसरों के कल्याण हेतु हमेशा प्रयत्नशील रहने से स्वयं को संकल्पित एवम आपको भी प्रेरित करते हुए, नित्य की भाँति, आपको मेरा “राम-राम”।
प्रस्तति : एक चिंतक