- वास्तुकला पर सांस्कृतिक प्रभाव’ ‘वास्तुकला संकाय में एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न’
- ‘कला शिक्षक एवं छात्रों ने संस्थापन कला का प्रस्तुत किया सुंदर रूप।’
लखनऊ. रविवार को वास्तुकला संकाय, डॉ अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में चल रहे आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला के अंतर्गत एक दिवसीय कला कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिस में वहां के कला शिक्षक एवं छात्र छात्राओं ने मंदिर वास्तु के प्रतीकात्मक आकार के ऊपर सांस्कृतिक प्रतीकों को उकेर कर भारतीय संस्कृति का दर्शन कराया।
वैसे तो भारतीय संस्कृति एवं मंदिर वास्तु का प्रभाव प्रत्येक भारतीय जन के मानस में अमिट रूप से अंकित है, चाहे वह उत्तर भारतीय या दक्षिण भारतीय शैली हो। इसी प्रभाव एवं बिम्ब को विविध रंग एवं आकारों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।
गोलाकार मंदिर के शिखर रूपी कलाकृति का आकार लगभग 9 फीट ऊचां एवं व्यास 3 फीट चौड़ा है। यह कलाकृति काष्ठ माध्यम में बनाई गई है। जिस में काष्ठ के ही छोटे-छोटे उभरे हुए अलंकृत करते पुष्प के आकार जड़े गए हैं। ऐक्रेलिक माध्यम में रंगों का प्रयोग मनोवैज्ञानिक प्रभाव के आधार पर किए गये हैं जो अत्यंत सुंदर और आकर्षक लग रहे हैं।
इस कार्यशाला का समन्वयन वास्तुकला महाविद्यालय के कला शिक्षक श्री गिरीश पांडेय, श्री भूपेंद्र कुमार अस्थाना, श्री धीरज यादव एवं सुश्री रत्नप्रिया कांत के निर्देशन में महाविद्यालय के छात्र विष्णु केशरी, सोनी राघवेंद्रम, ख़ुशी अग्रहरि, नव्या, रितिक, तेजस्वी, चिन्मय, जसलीन, गार्गी तथा मानसी त्रिपाठी ने हर्षोल्लास के साथ सहयोग एवं सहभाग किया।
वास्तुकला संकाय के प्राचार्य एवं अधिष्ठाता प्रो0 डॉ वंदना सहगल जो स्वयं एक कलाकार एवं कला संरक्षक भी हैं, उन्होंने उत्साह पूर्वक इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए बताया कि इस प्रकार की कलात्मक गतिविधियां कला एवं वास्तुकला का समग्र रूप प्रदर्शित करती है, साथ ही वास्तुकला के छात्रों के ज्ञान में नये आयाम जोड़ती है।