जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं ।
वह ह्रदय नहीं, पत्थर है, जिसमें स्वदेश प्रति प्यार नहीं ।।
✍ स्वामी विवेकानंद एक ऐसे संत थे जिनका रोम-रोम राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत था। उनके सारे चिंतन का केंद्र बिंदु मात्र राष्ट्र था ।
✍ उनके कर्म और चिंतन की प्रेरणा से हजारों ऐसे कार्यकर्ता तैयार हुए जिन्होंने राष्ट्रवादी रथ को आगे बढ़ाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया ।
✍ इस युवा संन्यासी ने करोड़ों देशवासियों के उत्थान को ही अपने जीवन का लक्ष्य बनाया था ।
✍ आज देश में फिर से लाखों युवा “राष्ट्र सर्वप्रथम” के सिद्धांत को स्वयं के साथ दूसरों को अपनाने को प्रेरित कर रहे हैं ।
✍जापान जैसे छोटे से देश के लोगों ने इसी सिद्धांत को अपनाकर अपने देश को सर्वसम्पन्न देश की श्रेणी में ला खड़ा किया ।
आइए हम सब स्वामी विवेकानंद की जयंती पर नमन करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलें और भारत माता को गर्व की अनुभूति कराएं।