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9 जुलाई स्थापना दिवस : 73 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा दुनिया का सबसे बड़ा छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, न ट्रेड यूनियन और न ही किसी राजनीतिक दल की स्टूडेंट विंग

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नई दिल्ली/ लखनऊ. 72 साल की ऐतिहासिक यात्रा में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने नित नई ऊंचाइयों को छुआ है। 9 जुलाई 1949 को स्थापना दिवस से ही परिषद ने देश के राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का सुंदर लक्ष्य रखा और वंदे मातरम के उद्घोष के साथ शैक्षिक परिसरों में धूम मचा दी। इस संगठन की स्थापना का श्रेय प्रख्यात विचारक प्राध्यापक यशवंत राव केलकर को जाता है। इसलिए विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता प्राध्यापक यशवंत राव केलकर और युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद के विचारों से ऊर्जान्वित होते हैं। कार्यक्रमों में इन्हीं के चित्र पर सिर झुकाकर नमन किया जाता है। परिषद शैक्षिक परिसरों में अपनी मजबूत उपस्थिति रखती है और यही कारण है कि देश के सभी प्रमुख विश्वविद्यालयों के छात्रसंघों में संगठन के कार्यकर्ता निर्वाचित होते रहते हैं। शिक्षा का बजट बढ़ाने, शैक्षिक पुनर्निर्माण के लिए कार्यकर्ता पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। विद्यार्थी परिषद छात्र हितों के लिए निरंतर संघर्षरत है।

आंदोलन की धार से मिली पहचान
विद्यार्थी परिषद की पहचान देश की अस्मिता की रक्षा करने वाले एक छात्र संगठन की है। देश में आपातकाल के विरोध में देश भर में जेपी आंदोलन को तेज करने का काम विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने ही निभाया। जेपी आंदोलन से निकले कई कार्यकर्ता आज राजनीति, सामाजिक जीवन से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व की भूमिका में हैं। इस आंदोलन के अगले क्रम में देखें तो कश्मीर में जब तिरंगा फहराने पर आतंकवादियों की गोलियों का डर था तब परिषद नेतृत्व ने कश्मीर मार्च का ऐलान किया और हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी दी। कश्मीर से धारा ३७० हटाने की मांग परिषद की पुरानी है और केंद्र की मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए इस धारा को खत्म कर दिया। एक तरह से यह उपलब्धि भी परिषद के लिए महत्वपूर्ण है। इतना ही नहीं देश की सीमाओं की रक्षा के लिए भी कार्यकर्ताओं ने आवश्यकतानुसार देश में व्यापक जनजागरण अभियान चलाया और सामाजिक कार्यों के प्रति भी जिम्मेदारी निभाई।

जानिए विद्यार्थी परिषद की स्थापना और उद्देश्य
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने 1948 में कहीं गतिविधियों की शुरुआत की और 9 जुलाई, 1949 को एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के रूप में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 (-385/1949-50) के तहत रजिस्ट्रार ऑफ ज्वाइंट स्टाफ कंपनी के साथ पंजीकृत किया गया। विद्यार्थी परिषद का पहला अधिवेशन 1948 में अम्बाला में आयोजित किया गया था। प्रोफेसर ओम प्रकाश बहल परिषद पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष थे जबकि केशव देव वर्मा पहले राष्ट्रीय महासचिव। एबीवीपी न तो ट्रेड यूनियन है और न ही किसी राजनीतिक दल की शाखा या विंग। यह शिक्षा पर केंद्रित एक स्वतंत्र सामाजिक संगठन है। संगठन का उद्देश्य शिक्षा में सकारात्मक और सार्थक परिवर्तन लाकर छात्रों, शिक्षक और समाज जैसे शैक्षिक बिरादरी के दिमाग और विचारों में सकारात्मक और सार्थक परिवर्तन लाना है। विद्यार्थी परिषद का मानना है कि छात्र कल के नहीं, बल्कि आज के नागरिक हैं। इसलिए वे देश की सामाजिक संरचना में आवश्यक परिवर्तन ला सकते हैं।

सामाजिक कार्यों में भी आगे
1948 में अपनी स्थापना के बाद से 72 वर्षों की अवधि में विद्यार्थी परिषद ने दुनिया का सबसे बड़ा छात्र संगठन बनने का गौरव प्राप्त किया है। इसकी गतिविधि का केंद्र क्षेत्र कॉलेज है हालांकि, एबीवीपी हमेशा एक सामाजिक संगठन के रूप में अपनी व्यापक जिम्मेदारियों से अवगत है। परिधीय क्षेत्रों में अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए, जो राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के अपने सामान्य उद्देश्य के लिए महत्वपूर्ण हैं, इसके पास एबीवीपी में नए आयाम जोडऩे वाले कई मंच और मंच हैं।

ये हैं प्रमुख प्रकल्प
एसएफडी
विकास के लिए छात्र (एसएफडी) (विकासार्थ विद्यार्थी) आर्थिक विकास के गैर-व्यावहारिक मॉडल का विश्लेषण और जांच करने के लिए काम करता है, जो औपनिवेशिक काल से वैश्वीकरण के इस वर्तमान युग तक लागू है। एसएफडी आर्थिक विकास के भारत-केंद्रित मॉडल को विकसित करने और तैयार करने के लिए लगातार काम कर रहा है।

छात्रों-युवाओं का विश्व संगठन
छात्रों और युवाओं का विश्व संगठन 1985 में दुनिया भर के 11000 युवाओं के विश्व सम्मेलन के साथ बनाया गया था, यह “वसुधैव कुटुम्बकम” की एक उच्च धारणा के साथ काम करता है जिसका अर्थ है “पूरी दुनिया एक परिवार है”

सोचो भारत
सोचो भारत एक और संगठनात्मक आयाम है जो बौद्धिक क्षेत्र में काम करता है। यह एबीवीपी की एक अनूठी पहल है जो देश के युवा बुद्धिजीवियों को संगठित करती है और उनमें “नेशन फस्र्ट” के अनमोल आदर्श और दृष्टिकोण को विकसित करती है।

इंटरस्टेट लिविंग
इंटरस्टेट लिविंग (एसईआईएल) में छात्रों का अनुभव एबीवीपी का एक आयाम है जो पूर्वोत्तर के युवाओं को शेष भारत के समाज के साथ एकीकृत करने का प्रयास करता है। इस कार्यक्रम के तहत देश के विभिन्न हिस्सों के विद्यार्थियों को भारत के अलग-अलग हिस्सों में प्रवास कराया जाता है ताकि वे आपस में एक-दूसरे राज्य की संस्कृति को समझ सकें और नजदीकी बना सकें। पूर्वोत्तर राज्यों के विद्यार्थी इस संगठन से बहुतायत से जुड़े हैं।

वाई-वी-के

युवा विकास केंद्र (वाईवीके) एबीवीपी का एक और आयाम है जो विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों पर केंद्रित है और गुवाहाटी स्थित अपने केंद्र में उत्तर-पूर्वी युवाओं के कौशल विकास में शामिल है।

अभाविप अवध प्रांत द्वारा इस वर्ष ‘यादें परिषद की’ अभियान
परिषद से जुड़ाव के दौरान के कुछ फोटो, वीडियो आदि होंगे। जिन्हें हम सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सकते हैं, साथ ही परिषद के दिनों के संस्मरण के 2 मिनट तक के वीडियो भी भेज सकते हैं। कल के दिन हम #NationalStudentsDay का प्रयोग कर ट्विटर व फेसबुक पर अपनी परिषद की यादों को पोस्ट कर सकते हैं।

आप सभी 8868812449 पर अपने फोटो, वीडियो भेज सकते हैं जिन्हें अभाविप अवध प्रांत के पेज से पोस्ट किया जायेगा।

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