बड़वानी. यह बात सही है कि अब युवाओं की दुनिया पूरी तरह से मोबाइल, इंटरनेट, यू-ट्यूब, ट्विटर, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक सहित सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर अधिक व्यस्त हो चुकी है। इन सबने युवाओं को इस कदर जकड़ लिया है कि उनकी दिनचर्या ही पूरी तरह बिगड़ गई है। बातचीत में युवा बताते हैं कि देर रात तक जागने एवं अधिकतम स्क्रीन टाइम व्यतीत करने के कारण उनके स्वास्थ्य और समझ पर घातक प्रतिकूल असर भी पड़ रहा है और वे सामाजिकता की अपेक्षा एकाकी होते जा रहे हैं। अब स्थिति ऐसी हो गई है कि युवाओं की अध्ययन, चिंतन, मनन आदि की अभिरुचियां निस्तेज होती जा रही हैं।
सोशल मीडिया से प्राप्त अपरिपक्व, भ्रमित एवं विचलित करने वाली पाठ्य तथा दृश्य सामग्री युवाओं का विकार, चिड़चिड़ापन, क्रोध जैसे दुर्गुण उत्पन्न कर रही हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि योग एवं ध्यान में सामथ्र्य है कि ये युवाओं की जीवन शैली को बदलकर उन्हें आत्मानुशासित, चरित्रवान, प्रतिबद्ध, निष्ठावान और परिवार, समाज तथा देश के लिए उपयोगी नागरिक बना सकते हैं। प्राचार्य डॉ. एनएल गुप्ता के मार्गदर्शन में कार्यरत शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ की कार्यशाला में डॉ. मधुसूदन चौबे ने ये बातें कहीं।
प्राचार्य डॉ. एनएल गुप्ता ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत स्नातक स्तर पर प्रवेश लेने वाले सभी संकायों के विद्यार्थियों के लिए योग एवं ध्यान का अध्ययन अनिवार्य बना दिया गया है, जो कि बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा। युवा पीढ़ी योग एवं ध्यान से जुड़ेगी तो उनके जीवन की दशा और दिशा में सकारात्मक परिवर्तन आयेंगे।
इस अवसर पर हुई प्रश्नोत्तरी में सर्वाधिक सही उत्तर बताने वाली छात्रा नंदिनी तरोले को डॉ. मीनाक्षी पंवार ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया। डॉ. चौबे ने विद्यार्थियों को बताया कि जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त करने के लिए एकाग्रचित्तता तथा शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का सबल होना आवष्यक है। इसके लिए आपको तात्कालिक सुख के साधनों में उलझने की अपेक्षा दूरगामी सद्परिणाम देने वाली गतिविधियों से जुडऩा चाहिए।
आयोजन में सहयोग प्रीति गुलवानिया, राहुल भंडोले, उमा फूलमाली, अंकित काग, किरण वर्मा, राहुल मालवीया, राहुल सेन, राहुल वर्मा, कोमल सोनगड़े, वर्षा मालवीया, नंदिनी अत्रे, रवीना मालवीया, दीक्षा चौहान ने दिया।