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UP News : राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन बैंककर्मियों ने किया प्रदर्शन, राजधानी के एटीएम हो गए खाली

लखनऊ। केन्द्र सरकार की नीतियों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको का निजीकरण करने के विरोध में चक रहे देशव्यापी आंदोलन के तहत दूसरे दिन शुक्रवार को भी यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आवाह्न पर बैंककर्मियों की हड़ताल रही। सभी सरकारी बैंको के शाखाओं एवं कार्यालयों में कामकाज नहीं हुआ। इस अवसर पर इण्डियन बैंक हजरतगंज में सभा आयोजित की गई।
आल इण्डिया बैंक आफीसर्स कन्फेडरेशन (ऑयबाक) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन कुमार ने बताया-बैंको में जमा जनता के धन पर पूॅजीपतियों और नेताओं की नजर है बैंको के निजीकरण होने पर सभा में केंद्र सरकार पर जमकर हमले किए।

एन.सी.बी.ई. के प्रदेश महामंत्री अखिलेश मोहन ने कहा कि एक ओर वरिष्ठ कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति होने के बावजूद पर्याप्त मात्रा में नये कर्मचारियों की भर्ती न होने से प्रति कर्मचारी कार्य का बोझ बढ़ता जा रहा है दूसरी ओर सरकार ने मनमाने तरीके से बैंको का विलय किया, अब तो बैंको का निजीकरण कर बेचने की तैयारी कर दी है, हम ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे।

प्रदर्शन में यू.पी.बैंक इम्पलाइज यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष दीप बाजपेई ने आमजन से अपील की कि सरकार द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंको को बेचने के विरूद्ध आवाज उठाने में हमारा साथ दें, इन बैंकों के लाखों छोटे जमाकर्ता, किसान, छोटे एवं मझौले उद्योग, स्वयं सहायता समूह और छोटे कर्जदारों के साथ राजनीतिक दलों और श्रम संगठनों से अनुरोध है कि हमारे आंदोलन में शामिल हो जिससे कि जनता की गाढ़ी कमाई को बर्बाद होने से रोका जा सके।

डियन बैंक अधिकारी संघ के आर.एन.शुक्ला ने बताया कि बैंक निजीकरण से बैंक जमा की सुरक्षा कमजोर होगी, भारत में जमाकर्ता की कुल बचत, जो कि रु0 87.6 लाख करोड़ है, का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा 60.7 लाख करोड़ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के पास है, जो कि अपनी जमा के लिए सरकारी बैंकों को प्राथमिकता देते हैं।
फोरम के प्रदेश संयोजक वाई.के.अरोडा ने कहा-‘‘सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण अर्थव्यवस्था के लिए प्रतिकूल कदम है, बैंकों का निजीकरण सरकार के रणनीतिक विनिवेश का हिस्सा है जिसके तहत आर्थिक उदारीकरण के नाम पर लगभग 5.30 लाख करोड़ का हिस्सा सरकार बेच चुकी है। हम सरकार के इन कुत्सित कार्यो व प्रयासों का विरोध करते हैं। जिला संयोजक अनिल श्रीवास्तव ने बताया- सरकार बैंको का निजीकरण कर आमजन की सामान्य बैंकिग सुविधाए छीनना चाहती है यह आन्दोलन बैंककर्मियों का ही नहीं बल्कि आमजन का आन्दोलन है।

सभा को संदीप सिंह, के. एच. पाण्डेय, रामनाथ शुक्ला, सौरभ श्रीवास्तव, एस.के.अग्रवाल, अनिल श्रीवास्तव, डी.पी.वर्मा, छोटेलाल, विभाकर कुशवाहा, राजेश शुक्ला, एस.के.लहरी, अमरजीत सिंह, एस.के.संगतानी, दीपेन्द्रलाल, नन्दू त्रिवेदी,एस.डी.मिश्रा, वी.के.सिंह, अमरजीत सिंह, डी.पी.वर्मा, विनय सक्सेना, यू.पी.दुबे आदि बैंक नेताओं ने इसी प्रकार एकता से संगठन से जुडे़ रहकर लम्बे संघर्ष हेतु तैयार रहने का आवाह्न किया।

मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी ने बताया कि दो दिनों की हड़ताल से लखनऊ में लगभग 3000 करोड़ तथा प्रदेश में 40000 करोड़ का लेनदेन प्रभावित रहा। हड़ताल के दोनो दिन राष्ट्रीयकृत बैंको के लखनऊ जिले की 905 शाखाओं के 10000 बैंककर्मी तथा प्रदेश की 14000 शाखाओं के 2 लाख बैंककर्मी शामिल रहें। लखनऊ में 990 एवं प्रदेश के 12000 ए.टी.एम. मशीनों में से कई मशीनों में कैश समाप्त होने तथा एटीएम खराब व बन्द पड़े होने के कारण लोग अपना पैसा नहीं निकाल सके।

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