नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में हुए व्यापक फेरबदल व विस्तार से शिक्षा मंत्रालय भी प्रभावित हुआ है। विभागीय बंटवारे में अब तक पेट्रोलियम मंत्री रहे धर्मेद्र प्रधान को शिक्षा, कौशल विकास व उद्यमिता का मंत्रालय दिया गया है। स्पष्ट है कि प्रधान अब मानव संसाधन मंत्रालय से जुड़े विभागों के कामकाज को देखेंगे। प्रधान के साथ राज्य मंत्री के रूप में अन्नपूर्णा देवी व सुभाष सरकार को जिम्मेदारी दी गई है। अब तक शिक्षा विभाग का कामकाज देख रहे डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक का मोदी कैबिनेट से त्यागपत्र हो गया है। उन्होंने बुधवार को फेरबदल से पहले त्यागपत्र दे दिया और इसकी वजह उनके स्वास्थ्य बताया जा रहा है। पिछले कई दिनों से डॉ. निशंक अस्वस्थ हो गए थे और इसका विभागीय कामकाज पर असर पड़ रहा था। माना जा रहा है कि उन्होंने स्वयं ऐसी स्थितियों में काम करने में खुद को असहज बताते हुए त्यागपत्र देने की बात कही थी। आखिरकार उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। मंत्रिमंडल में फेरबदल में ही डॉ.निशंक सहित दर्जन भर मंत्री भी त्यागपत्र देकर मंत्रिमंडल से बाहर हो गए हैं। इनमें सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर, विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद, स्वास्थ्य मंत्री डॉ.हर्षवर्धन, श्रम मंत्री संतोष गंगवार, सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलौत जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं।
मोदी के दूसरे कार्यकाल के इस पहले बड़े फेरबदल में कई नए चेहरे शामिल किए गए हैं जबकि कई राज्यमंत्रियों व स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्रियों को प्रमोट करके कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। बुधवार शाम को हुए शपथग्रहण में ४३ मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। जिनमें १५ कैबिनेट मंत्री और २८ राज्य मंत्री हैं। फेरबदल में जिन ३६ नए चेहरों को शामिल किया गया है, उनमें उत्तर प्रदेश के सबसे अधिक हैं। इनमें अनुप्रिया पटेल, कौशल किशोर, अजय मिश्रा, एसपी सिंह बघेल, भानुप्रताप सिंह वर्मा, बीएल वर्मा जैसे नाम हैं। नये चेहरों में मध्यप्रदेश से भाजपा के राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी प्रमुख है। सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। इनके साथ बड़ी संख्या में विधायकों के आने से मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार गिर गई थी और वहां शिवराज चौहान के नेतृत्व में भाजपा ने पुन: सरकार बनाई है।
के बाद मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर दिया गया है। विभागीय बंटवारे में अब तक पेट्रोलियम मंत्री रहे धर्मेद्र प्रधान को शिक्षा, कौशल विकास व उद्यमिता का मंत्रालय दिया गया है। स्पष्ट है कि प्रधान अब मानव संसाधन मंत्रालय से जुड़े सभी शिक्षा विभागों के कामकाज को देखेंगे।
ये हैं प्रमुख चुनौतियां
– नई शिक्षा नीति
नए शिक्षा मंत्री के सामने शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती नई शिक्षा नीति के बेहतर तरीके से कार्यान्वयन है। केंद्र सरकार नई शिक्षानीति के कार्यान्वयन को लेकर बहुत उत्साहित है और इसके लिए पूरे देश में माहौल बनाने के लिए पिछले शैक्षिक सत्रों में तरह-तरह के शैक्षिक कार्यक्रम व आयोजन किए जा रहे हैं। इस काम में विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान, विभिन्न शिक्षक व छात्र संगठन सहयोग कर रहे हैं।
नए कुलपतियों की नियुक्ति
देश के कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पूर्णकालिक कुलपति नहीं हैं। अपना कार्यकाल पूर्ण कर चुके कुलपतियों को ही प्रभारी के रूप में रखा गया है जबकि इन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति संबंधी प्रजेंटेशन का काम भी मानव संसाधन विभाग के स्तर पर आयोजित किया जा चुका है। प्रमुख रूप से मध्यप्रदेश के सागर स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय में मार्च २०२० से पूर्णकालिक कुलपति नहीं है, इसी प्रकार छत्तीसगढ़ के गुरुघासीदास कें द्रीय विश्वविद्यालय में भी अगस्त २०२० में कुलपति का कार्यकाल पूर्ण हो चुका है।
कोविड से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित
पिछले डेढ़ साल से कोरोना के कारण शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई है। अभी भी सामान्य स्थिति होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। परीक्षाएं और पढ़ाई आनलाइन हो रही है और इसमें तरह-तरह की समस्याएं आ रही हैं। कुछ ऐसा ही परीक्षाओं के आयोजन में अंकों के निर्धारण और मानकों को लेकर भी स्थिति बनी हुई है। ऐसे में इन समस्यों को दूर कर व्यवस्थित करना भी एक बड़ी चुनौती है।