- योग के विस्तार के लिए योग आयोग का गठन किया जाएगा
- शासकीय शालाओं की गुणवत्ता और बेहतर व्यवस्था से निजी स्कूलों का आकर्षण कम होगा
जबलपुर. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि योग को खेल के रूप में विकसित कर शालेय शिक्षा के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाएगा। प्रदेश में जन-जन तक योग के विस्तार के लिए योग आयोग का गठन किया जाएगा। योग की शिक्षा को शालेय स्तर पर जोड़ने से शिक्षा को रूचिकर बनाने और विद्यार्थियों के स्वास्थ्य संवर्धन में सहायता मिलेगी। प्रदेश के शासकीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता और व्यवस्थाओं में निरंतर सुधार किया जा रहा है। विद्यार्थियों को विभिन्न सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।
मुख्यमंत्री चौहान मंत्रालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लिए गठित टास्क फोर्स की बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदर सिंह परमार, विद्या भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकृष्ण राव तथा राष्ट्रीय महामंत्री राम अरावकर, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा रश्मि अरूण शमी सहित टास्क फोर्स के सदस्य तथा विषय-विशेषज्ञों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि विद्यार्थियों में श्रम की प्रतिष्ठा को स्थापित करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि केवल शालाओं में प्रवेश के लिए ही नहीं अपितु कक्षा 5वीं से 6वीं और कक्षा 8वीं से 9वीं में प्रवेश के लिए भी स्कूल चले अभियान चलाया जाए। कक्षा 6 और कक्षा 9 में ड्राप आउट की संख्या में कमी लाने के लिए यह गतिविधि आवश्यक है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शिक्षा को अधिक से अधिक रूचिकर और गतिविधि केंद्रित बनाने की आवश्यकता बताई। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि शिक्षक प्रशिक्षण, शालेय शिक्षा में आईटी के उपयोग, बच्चों के लिए त्रि-भाषा योजना के क्रियान्वयन तथा पलायन करने वाले परिवारों के बच्चों के लिए शिक्षा की विशेष व्यवस्था करना आवश्यक है।
स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदर सिंह परमार ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है। इसमें राज्य पाठ्यचर्या के लिए 4 फ्रेमवर्क समूह और स्टेट केरीकुलम फ्रेमवर्क के विकास के लिए राज्य स्तर पर 25 फोकस ग्रुप गठित किए गए हैं। टास्क फोर्स में 24 अशासकीय सदस्य तथा 26 शासकीय सदस्य हैं।
विद्या भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकृष्ण राव ने सुझाव दिया कि वैश्विक परिदृश्य और स्थानीय परिस्थितियों को जोड़ते हुए पुस्तकें विकसित की जाएँ। शिक्षकों की सोच को सकारात्मक बनाने और उनकी डिजिटल लिटरेसी पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। विद्या भारती के राष्ट्रीय महासचिव राम अरावकर ने कहा कि प्रारंभिक बाल्यावस्था और देखभाल तथा शिक्षा के लिए महिला-बाल विकास और स्कूल शिक्षा विभाग को परस्पर समन्वय से कार्य करना होगा।
बैठक में प्रारंभिक बाल्यावस्था- देखभाल और शिक्षा, बुनियादी साक्षरता एवं ज्ञान संख्या, स्कूलों में पाठ्यक्रम और शिक्षण शास्त्र, ड्रापआउट बच्चों की संख्या कम करने, शिक्षा के विस्तार, शिक्षक प्रशिक्षण, समतामूलक और समावेशी शिक्षा, संसाधनों के बेहतर उपयोग और प्रभावी प्रबंधन, सीएम राइज स्कूल, व्यवसायिक शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा तथा स्कूली शिक्षा के लिए मानक निर्धारण की दिशा में जारी गतिविधियों की जानकारी दी गई।