- खास-खास बातें-
- 24 नवंबर से बैंक कर्मियों ने भारत यात्रा शुरू की
- मार्च में अटेवा के अध्यक्ष विजय बंधु हुए शामिल
- मीडिया प्रभारी डॉ.राजेश व महामंत्री डॉ. नीरजपति त्रिपाठी भी पहुंचे
- लखनऊ की सभा को आरके अरोड़ा, इंजीनियर शैलेंद्र दुबे जैसे दिग्गज नेता हुए शामिल
लखनऊ. आल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन द्वारा बैंकों के निजीकरण के खिलाफ चल रही मुहिम ‘बैंक बचाओ देश बचाओ’ भारत यात्रा के दौरान लखनऊ में आयोजित मार्च में अटेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय बंधु शामिल हुए। कन्फेडरेशन द्वारा देश के सरकारी बैंकों को निजी हाथों में सौंपे जाने के खिलाफ पूरे देश मे सरकारी बैंकों को बचाने की मुहिम चलायी जा रही है।
इसी क्रम में भारत के जन-जन तक अपना संदेश पहुंचाने और बैंक बचाने की अपील लेकर 24 नवंबर से बैंक कर्मियों ने भारत यात्रा शुरू की। इसमें से एक यात्राएं पहली मुम्बई से चलकर गुजरात होते हुए 30 नवंबर को दिल्ली पहुँचेगी, वहीं दूसरी टीम जिसका नेतृत्व आल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव सौम्य दत्ता के द्वारा किया जा रहा है। यह यात्रा 24 नवम्बर को कोलकाता से प्रारंभ होकर बिहार, उत्तर प्रदेश होकर 30 नवम्बर को दिल्ली पहुंचना है। यात्रा 27 नवंबर की शाम को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुँची, निजीकरण के खिलाफ इस यात्रा का स्वागत बड़ी संख्या में बैंक कर्मियों के साथ अन्य विभाग के लोगों ने किया।
लखनऊ में स्वागत अभिनंदन के बाद इंदिरा नगर स्थित होटल बंधन में आयोजित सभा को आरके अरोड़ा, इंजीनियर शैलेंद्र दुबे, अर्थशास्त्री मनीष हिंदवी, वरिष्ठ पत्रकार उत्कर्ष राय, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन के वरिष्ठ नेतासौरभ श्रीवास्तव ,पवन कुमार, बी पी सिंह आदि शामिल रहे। आगे की यात्रा प्रारम्भ होने से पूर्व सुबह 7 बजे NPS व निजीकरण के खिलाफ AIBOC द्वारा निजीकरण के खिलाफ द्वारा एक पैदल मार्च लोहिया पार्क से रिजर्व बैंक तक किया गया। इसमें बैंकर्स एसोसिएशन के अतिरिक्त अटेवा सहित कई कर्मचारी संगठन भी शामिल हुए। ठंड के बाद भी निजीकण के खिलाफ मार्च में लोगों में गजब का उत्साह रहा। बड़ी संख्या में इसमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल हुए।
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव सौम्य दत्ता ने कहा लगभग 50 वर्ष पहले निजी व्यवस्था से परेशान होकर जुलाई 1949 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया, जिससे बैंकिंग सुविधा से देश का प्रत्येक नागरिक जुड़ सके और उसे किसी कठिनाई का सामना न करना पड़े, उससे पहले गरीबों, मजदूरों, किसानों, व शोषितों का पैसा जमींदार व साहूकार हड़प जाते थे, राष्ट्रीयकरण से पहले बैंकिंग की पूरी व्यवस्था निजी हाँथों में थी, जिसके दुष्परिणाम देश भुगत चुका है। आज फिर से सरकार उसी राह पर है, अगर बैंकों का निजीकरण होता है तो यह देश को फिर से उसी बदहाली की ओर झोंक देगा, जो आज के पचास साल पहले था।
बैंकों के निजीकरण के खिलाफ चल रही मुहिम में अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार ‘बन्धु’ भी शामिल हुए। के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार ‘बन्धु’ ने कहा सरकारी बैंक भारत व भारतवासियों का भरोसा हैं अगर इस व्यवस्था को समाप्त किया जाता है तो यह देशवासियों के भरोसे को समाप्त करना होगा। हम इस भरोसे को टूटने नहीं देंगे हम पहले से ही निजीकरण के खिलाफ लड़ रहे हैं, निजीकरण किसी भी रूप में बर्दास्त नहीं किया जाएगा। इस इस लड़ाई में साथ हैं।
मार्च मे अटेवा के पदाधिकारी व सहयोगी संगठन भी शामिल रहे जिसमें अटेवा के महामंत्री डॉ नीरजपति त्रिपाठी, प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ राजेश कुमार, प्रदेश संगठन मंत्री रजत प्रकाश, प्रदेश संयुक्त मन्त्री रविन्द्र वर्मा, जिला संयोजक लखनऊ सुनील कुमार वर्मा, राजकीय नर्सेज संघ के महामंत्री व स्वास्थ्य शिक्षा महासंघ के प्रधान महासचिव अशोक कुमार, उत्तर प्रदेश पंचायती राज विभाग ग्रामीण सफाई कर्मचारी संघ के पूर्व महामंत्री व वरिष्ठ नेता रामेन्द्र श्रीवास्तव, सेवायोजन व प्रशिक्षण निदेशालय कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री अमित यादव, उत्तर प्रदेश सचिवालय सहायक समीक्षा अधिकारी व कम्प्यूटर सहायक संघ के अध्यक्ष संजय यादव सहित अन्य साथी मौजूद रहे। इन नेताओं ने भारत यात्रा पर निकले सभी साथियों का स्वागत अभिनंदन कर उनकी हौसला अफज़ाई कर बैंक व देश बचाने की इस मुहिम में सहयोग का वायदा किया।