- प्रोफेसर राम गणेश जी का कहना है कि चुनाव में हार – जीत यहां के मुद्दों से भी तय होगी और यहां समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में सीधा मोर्चा होगा. इस क्षेत्र में पिछले लम्बे समय से समाजवादी पार्टी की धाक रही है.
लखनऊ , 09 जनवरी ,campussamachar.com, अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव की घोषणा के बाद से ही भाजपा और समाजवादी पार्टी इसे जीत दर्ज करने के लिए पूरी ताकत से जुट गई हैं . पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने जीत दर्ज की थी लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट से लोकसभा के लियेचुं लिए जाने से मिल्कीपुर सीट रिक्त हो गई थी और अब यहाँ उपचुनाव हो रहे हैं . यहाँ 5 फरवरी को मतदान होगा और 8 फरवरी को मतगणना होगी। नामांकन 10 जनवरी से शुरू हो जाएंगे। इस सीट पर पूरे सूबे की नजरें टिकी हुई हैं
ऐसे में वर्तमान में यहाँ समाजवादी पार्टी पुन : जीत दर्ज करने के प्रयास में है तों वही भाजपा वर्ष 2017 वाली अपनी जीत चाहती है और वर्ष 2022 की हार का बदला भी लेना चाहती है . इसके लिए भाजपा ने व्यापक रणनीति बनाई है . यहाँ सीधे मुख्यमंत्री ( Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath) के निर्देशन में काम हो रहा है . कई तेज तर्रार मन्त्रे और नेताओं को लगाया गया हैम जो रत दिन मेहनत कर रहे हैं .
अब यह जानना महत्वपूर्ण है कि यहाँ क्या रणनीति होगी. हालांकि अभी तक दोनों पार्टियों की और से आधिकारिक रणनीति के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है, लेकिन यह अनुमान लगाया जा रहा है कि दोनों पार्टियां अपने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए विभिन्न रणनीतियों का प्रयोग करेंगी।
भाजपा की रणनीति
विकास के मुद्दों पर फोकस: भाजपा योगी सरकार और मोदी सरकार के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों को उजागर कर सकती है और मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए नए विकास परियोजनाओं की घोषणा कर सकती है।
सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर जोर: भाजपा अपने पारंपरिक मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर जोर दे सकती है।
समाजवादी पार्टी की रणनीति
युवाओं और किसानों को आकर्षित करना: समाजवादी पार्टी युवाओं और किसानों को आकर्षित करने के लिए रोजगार और कृषि संबंधी मुद्दों पर फोकस कर सकती है।
सामाजिक न्याय और समानता पर जोर: समाजवादी पार्टी सामाजिक न्याय और समानता पर जोर दे सकती है और मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए विभिन्न समुदायों के बीच सामाजिक और आर्थिक असमानता को उजागर कर सकती है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर राम गणेश ने मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव पर campussamachar से चर्चा करते हुए कहा कि चुनाव परिणाम का अनुमान लगाने से पहले मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के सामाजिक और जातिगत आंकड़ों पर भी ध्यान देना होगा . उन्होंने कहा कि आजादी के बाद अब तक अलग-अलग दलों के उम्मीदवार विजयी होते रहे हैं लेकिन सबसे अधिक प्रभाव मित्रसेन यादव का रहा है , जो यहाँ से कई बार विधायक और अयोध्या (तब फ़ैजाबाद संसदीय सीट ) से सांसद रह चुके हैं . मित्रसेन यादव ने यहां सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की हर संभव मदद की और आज उनके न रहने के बावजूद लोग उन्हें पिछड़ों दलितों का मसीहा मानते हैं.
प्रोफेसर राम गणेश जी का कहना है कि चुनाव में हार – जीत यहां के मुद्दों से भी तय होगी और यहां समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में सीधा मोर्चा होगा. प्रोफेसर राम गणेश के अनुसार इस क्षेत्र में पिछले लम्बे समय से समाजवादी पार्टी की धाक रही है. वर्ष 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में यह सीट फिर से समाजवादी पार्टी के पास चली गई.अब वर्तमान परिस्थितियों में यह भी देखना महत्वपूर्ण होगा कि ये प्रमुख दल किसे उम्मीदवार घोषित करेंगे ?
Milkipur Bypoll : उधर उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने यहाँ से समाजवादी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की है. पार्टी के प्रवक्ता अंशू अवस्थी के अनुसार मिल्कीपुर विधानसभा चुनाव का परिणाम अयोध्या के लोकसभा चुनाव 2024 की तरह से होगा, मिल्कीपुर की जनता इंडिया गठबंधन को जिताएगी .