- अटल जी मानते थे बिना विपक्ष के अधूरा लोकतंत्र
लखनऊ , 21 दिसम्बर ,campussamachar.com, अटल सुशासन पीठ , लोक प्रशासन विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ ( Lucknow University ) व काउंसिलिंग एंड गाइडेन्स ल0वि0वि0 द्वारा आज दिनांक 21 दिसम्बर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee) के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में डी0पी0ए0 सभागार, लोक प्रशासन विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ में “भारतीय राजनीति में विपक्ष के नेता के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की भूमिका” विषयक एक व्याख्यान का आयोजन किया गया।
Lucknow University news, : व्याख्यान के मुख्य वक्ता प्रो0 नरेंदर कुमार, सेंटर ऑफ पॉलिटिकल स्टडीज, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली थे। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee) प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर व दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। मुख्य वक्ता का स्वागत अटल सुशासन पीठ के संयोजक प्रो0नंद लाल भारती ने पुष्पगुच्छ देकर किया। मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान देते हुए प्रो0नरेंदर कुमार ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने विपक्ष के नेता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने पूरे विश्व मे भारत का नाम रोशन किया था। अटल जी (Atal Bihari Vajpayee) मानते थे कि बिना विपक्ष के लोकतंत्र अधूरा है। आज विपक्ष को एक दुश्मन के तौर पर देखा जा रहा है। इस प्रवृत्ति से हमें दूर रहना होगा। अटल जी ने एक बार संसद में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की तस्वीर न होने पर उनकी तस्वीर लगवाई। 1970 में नेता विपक्ष को महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए। जिसके कारण आज नेता विपक्ष का पद संसद में अत्यंत संम्मानित पद हो गया है।
Lucknow news, : व्याख्यान के दौरान मुख्य वक्ता प्रो0 नरेंदर कुमार, ने 17वीं शताब्दी में यूरोप में विपक्ष की उत्पत्ति और 1977 में एक संसदीय अधिनियम के माध्यम से भारत में विपक्ष के नेता के पद की मान्यता के बारे में चर्चा की। उन्होंने एक स्वस्थ लोकतंत्र को बनाए रखने में विपक्ष की भूमिका और महत्व पर भी चर्चा की। स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की भूमिका पर विभिन्न प्रतिष्ठित हस्तियों के दृष्टिकोण से चर्चा की गई है, जिनमें प्लेट पी वी नरसिम्हा राव और स्वर्गीय राजीव गांधी और अन्य शामिल हैं स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) के एक महत्वपूर्ण कथन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “इतनी ऊंची मत देना कि मैं गैरों को गले न लगा सकूँ” जो वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee) के बहुत खुले दिल को दर्शाता है।
वक्ता ने निष्कर्ष निकाला कि भारत में पहले विपक्ष रचनात्मक विरोध के लिए विरोध करता था और अब यह विरोध के लिए विरोध करने के बारे में है। साथ ही, आजकल सत्ताधारी दल इतना जिद्दी हो गया है कि वह विपक्ष की सकारात्मक रचनात्मक आलोचना पर ध्यान नहीं देता। इसलिए विपक्ष और सत्ताधारी दोनों स्तरों पर विपक्ष की प्रकृति बदल गई है। कार्यक्रम का संचालन डॉ0उत्कर्ष मिश्रा ने किया तथा आभार काउंसिलिंग एंड गाइडेन्स की निदेशक संयोजक डॉ0वैशाली सक्सेना गुप्ता ने किया।
Lucknow news today : व्याख्यान में प्रमुख रूप से डॉ0नंदिता कौशल, डॉ0सुशील चौहान, रिचा यादव,स्वाती दास, अणिमा शुक्ला,रज्जन मिश्रा, वंदना यादव, रवींद्र वर्मा, स्वरूप किशोर, राजेश कुमार, विनोद कुमार, समेत शोध छात्र व छात्र उपस्थित रहे।