- शिक्षकों का काम केवल पढ़ाने लिखाने का काम करने देना चाहिए ना कि बाबू गिरी करना. इसलिए शिक्षक मजबूरी में बाबू गिरी का कार्य करते रहते हैं ,अब इसे बंद किया जाए .
बिलासपुर , 13 नवम्बर , campussamachar.com, छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक कल्याण संघ बिलासपुर के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सी के महिलागें ने छत्तीसगढ़ में शिक्षा की गुणवत्ता नीचे से तीसरे स्थान पर होने पर तीखी प्रतिक्रया दी है . उन्होंने कहा मीडिया में आई चर्चा ने छत्तीसगढ़ के शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है. छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था अस्त व्यस्त नजर आती है .
सी के महिलागें ने कहा कि छत्तीसगढ़ के शासकीय स्कूलों के सहायक शिक्षकों , शिक्षकों और प्रधान पाठकों को शासन के द्वारा बेगारी काम मैं लगाकर शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित की जा रही है . ग्रामीण क्षेत्र और शहरी क्षेत्र में शिक्षकों को मतदाता पुनरीक्षण, पिछड़ा वर्ग सर्वेक्षण आयुष्मान कार्ड और जाति प्रमाण पत्र बनाने इसके अलावा अन्य कार्यों में उनकी ड्यूटी लगा देने से स्कूलों में पढ़ाई लिखाई ठप हो गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे भी शिक्षक की कमी है कि किसी-किसी स्कूल में एक एक या दो शिक्षक पदस्थ हैं , ऊपर से मध्यान भोजन की व्यवस्था और देखरेख इसके अलावा प्रतिदिन अनेक प्रकार की जानकारी ऑनलाइन देना पड़ता है, बच्चों की छात्रवृत्ति से लेकर दाखिल खारिज गणवेश और पाठ्य पुस्तक निशुल्क यू डाइस और प्रशिक्षण आदि के नाम पर ऑनलाइन जानकारी मोबाइल के माध्यम से शिक्षक प्रतिदिन उलझे रहते हैं .
ऐसे में छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक कल्याण संघ बिलासपुर शासन से मांग करता है कि प्रत्येक शासकीय प्राथमिक और मिडिल स्कूल में एक-एक कंप्यूटर और कंप्यूटर ऑपरेटर अंशकालीन की नियुक्ति किया जाए ताकि सभी प्रकार के स्कूलों के जानकारी प्रतिदिन ऑनलाइन होती रहे ऑनलाइन हाजिरी और ऑनलाइन शिक्षकों की उपस्थिति और ऑनलाइन अवकाश आदि की जानकारी प्रतिदिन आसानी से होता रहे. शिक्षक अपने व्यक्तिगत मोबाइल पर जानकारी अपलोड करने पर उलझे रहते हैं जिससे बच्चों की पढ़ाई लिखाई प्रभावित होती है
इसलिए शिक्षा की गुणवता प्रभावित
in सभी कारणों से प्रदेश में शिक्षा में गुणवत्ता नहीं आ पा रही है और शिक्षकों और प्रधान पाठकों से बेगारी काम बंद करना चाहिए ताकि बच्चों को पढ़ाने और लिखाने मैं ध्यान और समय दिया जा सके जिससे छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा। आज के समय में शिक्षक और प्रधान पाठक स्कूलों में पढ़ाई लिखाई छोड़कर बाबू गिरी के काम में उलझे रहते हैं एक ही प्ररकार की जानकारी बार-बार मांगते रहते हैं, जिससे शिक्षक अपना मूल कार्य नहीं कर पाते हैं शिक्षकों का काम केवल पढ़ाई लिखाई करना ही होना चाहिए ना कि बाबू गिरी करना. इसलिए शिक्षक मजबूरी में बाबू गिरी का कार्य करते रहते हैं ,अब इसे बंद किया जाए .