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GGU news : भारतीयता को समझने के लिए भगवान बिरसा मुंडा को जानना जरूरी-VC प्रो. चक्रवाल


सीयू में महान स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित

बिलासपुर. गुरू घासीदास विश्वविद्यालय ( Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.) में 15 नवंबर को विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान एवं जनजातीय विकास विभाग, एनडेनज्र्ड लैंग्वेज सेल तथा इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में स्वतंत्रता संग्राम के महानायक भगवान बिरसा मुंडा जी की 146 वीं जयंती पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने हेतु भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाए का निर्णय लिया गया है।
राष्ट्रीय वेबिनार की अध्यक्षता Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.)  के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने की। मुख्य वक्ता प्रो. सुदर्शन सिंह, इतिहास विभाग रांची विश्वविद्यालय एवं प्रो. विजय प्रकाश शर्मा मानव विज्ञान विभाग एवं सामाजिक कार्यकर्ता रांची विश्वविद्यालय एवं प्रो. प्रतिभा जे मिश्रा वरिष्ठ प्राध्यापक समाज कार्य विभाग Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.)  रहे। वेबिनार के संयोजक डॉ. नीलकंठ पाणिग्राही विभागाध्यक्ष मानव विज्ञान एवं जनजातीय विकास विभाग ने संचालन किया। सह-संयोजक प्रो. प्रवीण मिश्रा, विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग ने अतिथियों का स्वागत किया।

Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.) के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि देश स्वतंत्रता के 75वें वर्ष को आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है। ऐसे में भारत, भारतीयता और उसके जनजातीय समाज को समझने के लिए हमें भगवान बिरसा मुंडा जी के जीवन को जानना आवश्यक है। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भागवान बिरसा मुंडा का जीवन पराक्रम और उच्च आदर्श नैतिक मूल्यों का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि युवा भगवान बिरसा मुंडा ने अन्यायवादी और दमनकारी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अकेले क्रांति का बिगुल    फूँक दिया था। धरती आबा के नाम से जाने जाने वाले भगवान बिरसा मुंडा ने किसानों के हितों को संरक्षित करने के लिए न सिर्फ आवाज उठाई बल्कि अंग्रेजों को उनके विचारों को मानने पर मजबूर किया।

Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.) के कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने आगे कहा कि भगवान बिरसा मुंडा जो विरासत हमें छोड़कर गये हैं वो संघर्ष और साहस की प्रतिमूर्ति होने के साथ युवाओं को उच्च आदर्शों, नैतिक मूल्यों एवं सामाजिक सरोकारों के साथ समरसता की भावना को बढ़ावा देती है। भारत के इतिहास में बदलाव करते हुए युवाओं तक असली नायकों की गाथा का प्रवाह होना चाहिए। उन्होंने कहा कि NEP 2020 विषयों की सीमाओं को तोड़ते हुए समाज के आदर्शों को सामने लाने का प्रयास करती है। Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.)  के इतिहास विभाग से आव्हान किया कि भगवान बिरसा मुंडा से जुड़े तथ्यों के आधार पर विशेषज्ञों के साथ विचार मंथन उपरांत एक संदर्भ ग्रंथ तैयार करें ताकि मुंडा जी के सामाजिकता, अंहिसा और धार्मिकता के पक्ष को समाज के सामने प्रस्तुत करने में आसानी हो।
प्रो. सुदर्शन सिंह, इतिहास विभाग रांची विश्वविद्यालय ने बिरसा मुंडा का जीवन इतिहास: अर्थव्यवस्था के प्रति उनका योगदान, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक सुधार विषय पर उद्बोधन दिया। मुंडा जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके उलगुलान के ऐतिहासिक आंदोलन के साथ उनके भगवान कहे जाने तक के सफर को बताया। प्रो. विजय प्रकाश शर्मा मानव विज्ञान विभाग एवं सामाजिक कार्यकर्ता रांची विश्वविद्यालय ने समकालीन भारत में बिरसा मुंडा और उनके दर्शन की प्रासंगिकता विषय पर व्याख्यान दिया। शोषित और वंचित वर्ग के कल्याण के लिए संघर्ष करने वाले परमवीर बिरसा मुंडा जी का जीवन युवा पीढ़ी के लिए मिसाल है।
प्रो. प्रतिभा जे मिश्रा वरिष्ठ प्राध्यापक समाज कार्य विभाग Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.)  ने भगवान बिरसा मुंडा के सामाजिक उत्थान से जुड़े पक्ष पर विचार रखे। राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक बिरसा मुंडा जी ने नैतिक आत्म-सुधार, आचरण की शुद्धता पर बल देने के साथ अपनी संस्कृति के प्रति गर्व करना सिखाया। उन्होंने मुंडा जी की राष्ट्र निर्माण में भूमिका एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।

इस अवसर पर Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.) के कुलसचिव प्रो. शैलेन्द्र कुमार, सीएसआईटी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अमित कुमार सक्सेना, जीव विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. एलवीकेएस भास्कर एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ की अधिष्ठाता प्रो. मनीषा दुबे ने अपने विचार व्यक्त किए। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रश्मि जायसवाल एंथ्रोपोलोजी विभाग ने किया। वेबिनार के आयोजन सचिव डॉ. सुबल दास, सहायक प्राध्यापक एवं संयुक्त सचिव बलराम उरांव, सहायक प्राध्यापक मानव विज्ञान एवं जनजातीय विकास विभाग रहे। ऑनलाइन माध्यम से आयोजित वेबिनार में 92 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

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