- छात्र-छात्राओं ने “क्या भारत में महिलाओं को आरक्षण दे देने से वास्तविक समानता हासिल की जा सकती है” विषय पर पक्ष और विपक्ष में अपने विचार प्रस्तुत किये।
- वाद विवाद प्रतियोगिता के समन्वयक, डॉ अंशुमालि शर्मा ने बताया कि स्व. कमला बहुगुणा के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के 42 विश्वविद्यालयो में इस प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है।
लखनऊ , 23 अक्तूबर , campussamachar.com, श्री जय नारायण मिश्र महाविद्यालय ( Shri Jai Narain Misra Post Graduate College ) , में आज, अंतर राज्य स्तरीय वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता मे छात्र-छात्राओं ने “क्या भारत में महिलाओं को आरक्षण दे देने से वास्तविक समानता हासिल की जा सकती है” विषय पर पक्ष और विपक्ष में अपने विचार प्रस्तुत किये।
प्रतियोगिता का आयोजन प्रख्यात नेत्री, स्व. कमला बहुगुणा के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में, स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति द्वारा किया गया। प्रतियोगिता में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने अपने विचार प्रखरता से रखें।
वाद विवाद प्रतियोगिता का शुभारंभ, श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी, पूर्व सांसद एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री उत्तर प्रदेश ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि महिलाओं को बराबरी का दर्जा बिल्कुल ही नहीं मिलता। महिलाओं को सम्मान और बराबरी का दर्जा वैदिक काल से लेकर आज तक प्राप्त होता रहा है। हमारे इतिहास में ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं जिनसे साबित होता है कि समय-समय पर महिलाओं ने, वीरांगनाओं ने और विदुषियों ने समाज को दिशा दी है। महिलाएं आज भी और कल भी किसी से कम नहीं रही। स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर प्रतिभाग करते हुए अपना महती योगदान दिया। हमारी स्वतंत्रता में उनकी भूमिका का अतुलनीय योगदान है। महिलाओं की स्थिति में निरंतर बदलाव आ रहा है। उन्होंने कहा कि एक महिला होने के नाते महसूस किया कि उनको समानता दिलाने में पुरुषों ने भी अपना योगदान दिया है।
आज महिलाएं समाज के अनेक क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है। उन्होंने कहा कि, भारत में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर अनेक राज्यों की मुख्यमंत्री, महिला रह चुकी है। यदि समानता के अवसर उपलब्ध न होते तो यह उदाहरण शायद हमें ना मिलते। उन्होंने कहा, हां… इतना जरूर है कि, अभी महिलाओं के सशक्तिकरण एवं समानता के लिए बहुत सारे काम होने बाकी है। हमें ऐसा वातावरण बनाना अभी बाकी है जिसमें प्रत्येक महिला सम्मान के साथ अपना जीवन जी सके।
उन्होंने कहा कि, भारत में अन्य राष्ट्रों की तुलना में महिला सशक्तिकरण एवं समानता पर सबसे ज्यादा काम हुआ है। समूचे विश्व में भारत, महिला सशक्तिकरण का एक आदर्श उदाहरण बन रहा है। उन्होंने कहा कि संसद में जब महिला आरक्षण बिल पास हुआ था, तब किसी ने भी विरोध नहीं किया था। उन्होंने कहा कि उनको गर्व है कि संसद में जब महिला आरक्षण बिल लाया गया तब बतौर सांसद वे उस क्षण की गवाह रही। उन्होंने कहा कि महाशक्ति के प्रतीक, चीन में हम अभी भी महिला असमानता व्यापक रूप से देखते हैं। वहां की पोलित ब्यूरो में एक भी सदस्य महिला नहीं है।
उन्होंने इस अवसर पर अपनी मां स्व कमला बहुगुणा को याद करते हुए कहा कि, उनका जीवन महिला संघर्ष एवं उत्थान का एक अनूठा उदाहरण है। उन्होंने उनके जीवन के अनेक संस्मरण बताते हुए महाविद्यालय की छात्र-छात्राओं को प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि उनकी मां ने हमेशा सिखाया कि, व्यवसाय से धन कमाया जा सकता है, किंतु सेवा से सम्मान मिलता है। उन्होंने कहा कि, उनकी मां ने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित करते हुए कहा था कि, राजनीति को सिर्फ और सिर्फ लोगों की सेवा का साधन मानना और पूरे जीवन में उन्होंने अपनी मां की इस सीख को अपने साथ रखा। उन्होंने कहा कि, मां कहती थी कि, राजनीति में महिलाएं ही महिलाओं के लिए ज्यादा काम कर सकती है। क्योंकि महिलाएं मूल समस्याओं से जूझना पसंद करती है।
उन्होंने कहा कि,वर्तमान समय मे वूमेन डेवलपमेंट से कहीं आगे बढ़कर वूमेन लेड डेवलपमेंट पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि आज सभी बच्चों के वक्तव्य को सुनकर उन्हें गर्व हुआ। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं में वाद विवाद और विषय की गहरी समझ देखने को मिली।
महाविद्यालय ( Shri Jai Narain Misra Post Graduate College) प्राचार्य, प्रो विनोद चंद्रा ने अतिथियों का स्वागत दुशाला एवं पुष्प गुच्छ देकर किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि, हमारे सामने भारत का भविष्य बैठा है। युवाओं में राष्ट्रीय, सामाजिक और आर्थिक समस्याओं की समझ को विकसित करने के लिए ही महाविद्यालय मे निरंतर ऐसे कार्यक्रम कराए जा रहे हैं, जिससे उनकी राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी बढ़ सके।
प्रतियोगिता में एक प्रतिभागी पल्लवी ने कहा कि धरती की गहराइयों से लेकर आसमान की ऊंचाइयों को छूने वाली महिला, आज सुरक्षित नहीं है । यहां तक कि अपनी मां के गर्भ में भी नहीं। आज महिलाओं को आरक्षण से भी ज्यादा जरूरत सम्मान से जीवन मिलने का है।उन्होंने कहा कि, महिलाओं के साथ जब अत्याचारों की खबरें सुनाई देती हैं तो लगता है कि सारे प्रयास निरर्थक हो गए। इसी क्रम में एक अन्य प्रतिभागी, श्रेष्ठा अवस्थी ने कहा कि, रिजर्वेशन रिप्रेजेंटेशन का प्रतीक है। रिजर्वेशन समानता का प्रतीक नहीं है। यदि महिलाओं को जीने का समान अधिकार पुरुषों के समान उपलब्ध होता तो शायद आरक्षण की नौबत ना आती।
वही एक अन्य छात्र ने कहा कि, महिलाओं को आरक्षण मिलने से उनकी राजनीतिक भागीदारी में वृद्धि हुई है। राजनीतिक भागीदारी ही आने वाले समय में महिलाओं के जीवन को सशक्त बनाएगी। वाद विवाद प्रतियोगिता के समन्वयक, डॉ अंशुमालि शर्मा ने बताया कि स्व. कमला बहुगुणा के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के 42 विश्वविद्यालयो में इस प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है।
आज चुने गए प्रतिभागियों को दूसरे राउंड में 42 विश्वविद्यालय के विजयी प्रतिभागियों के साथ फाइनल प्रतियोगिता मे प्रतिभाग करने का अवसर मिलेगा। जिसमें प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को क्रमशः 51000/- 31000/- एवं 21000/- की नकद धनराशि पुरस्कार के तौर पर दी जाएगी। महाविद्यालय में आज आयोजित हुई प्रतियोगिता में निवेदिता पटेल, प्रथम, तनीषा सिंह, दूसरे एवं श्रेष्ठा अवस्थी तीसरे स्थान पर रही। कार्यक्रम का संचालन डॉ आर एस चौहान ने किया।
डॉ अंशुमालि शर्मा ने कार्यक्रम के सफल समापन पर सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। वाद विवाद प्रतियोगिता में डॉ बी पी पाराशर, पूर्व अध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग, केकेसी, श्री अयोध्या प्रसाद, रिटा. युवा अधिकारी, राष्ट्रीय सेवा योजना, भारत सरकार एवं श्री नवल किशोर त्रिपाठी, संपादक, राष्ट्रीय नवल टाइम्स रहे। इस अवसर पर डॉ अंजनी मिश्रा, पूर्व प्राचार्य, डीएवी कॉलेज, प्रमिला अग्रवाल, समाजसेवी, प्रो रश्मि सोनी, डॉ अभिषेक सिंह, डा बलवंत कुमार बारी, डॉ डीएम त्रिपाठी, डा सुयश शुक्ला, डॉ विजय राज श्रीवास्तव, डा सुमंत सिंह सहित अनेक शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।