कार्तिक पूर्णिमा की पावन तिथि से सम्पूर्ण कार्तिक मास की गोधूलि बेला में प्रत्येक हिंदू विशेष कर वैष्णव जन तुलसी के पौधे के समीप दीप दान करते हुए श्री दामोदर अष्टकम् का गायन करते हैं।
दामोदर अष्टकम में कृष्ण लीला का वर्णन है ऐसा माना जाता है कि कार्तिके मास के दौरान दामोदर अष्टकम का पाठ करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही हर रोज़ तुलसी जी के समक्ष दीप दान भी जरूर करना चाहिए। इस्कान बिलासपुर के भक्त श्री निलेश प्रभु ने भगवान की कृपा पाने के लिए दामोदर अष्टकम के पाठ के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसका नित्य पाठ करना चाहिए।
श्री श्री दामोदराष्टकं
नमामीश्वरं सच्-चिद्-आनन्द-रूपं
लसत्-कुण्डलं गोकुले भ्राजमनम्
यशोदा-भियोलूखलाद् धावमानं
परामृष्टम् अत्यन्ततो द्रुत्य गोप्या ॥ १॥
वह भगवान् जिनका रूप सत्-चित-आनंद है, जिनके मकर कुंडल हिल रहे हैं, जो गोकुल धाम में नित्य शोभायमान हैं, जो मैय्या यशोदा से डरकर ओखली से कूदकर तेजीसे दौड़ रहे हैं और यशोदा मैय्या उनसे भी तेज दौड़कर पीछे से पकड़ रही हैं, ऐसे श्री भगवान् को मैं नमन करता हूँ ।।1।।
रुदन्तं मुहूँर् नेत्र-युग्मं मृजन्तम्
कराम्भोज-युग्मेन सातङ्क-नेत्रम्
मुहुः श्वास-कम्प-त्रिरेखाङ्क-कण्ठ
स्थित-ग्रैवं दामोदरं भक्ति-बद्धम् ॥ २॥
(अपने माता के हाथ में छड़ी देखकर) वे रो रहे हैं और अपने कमल जैसे कोमल हाथों से दोनों नेत्रों को मसल रहे हैं, उनकी आँखे भय से भरी हुई हैं और उनके त्रिरेखा से युक्त शंख जैसे गले का मोतियों का हार, सिसकियाँ लेने के कारण हिल-डुल रहा हैं, ऐसे उन श्री भगवान् को जो रस्सी से नहीं बल्कि अपने माता के प्रेम से बंधे हुए, हैं मैं नमन करता हूँ ।
इतीदृक् स्व-लीलाभिर् आनन्द-कुण्डे
स्व-घोषं निमज्जन्तम् आख्यापयन्तम्
तदीयेषित-ज्ञेषु भक्तैर् जितत्वं
पुनः प्रेमतस् तं शतावृत्ति वन्दे ॥ ३॥
अपनी बाल लीलाओं से वे गोकुल-वासिओं को दिव्य आनंद कुंड में निमग्न कर रहे हैं, और जो ज्ञानियों को बतला रहे हैं कि “मैं अपने प्रेमी भक्तों द्वारा जीत लिया गया हूँ”, उन दामोदर भगवान् को मैं शत शत नमन करता हूँ ।।
वरं देव मोक्षं न मोक्षावधिं वा
न चन्यं वृणे ‘हं वरेषाद् अपीह
इदं ते वपुर् नाथ गोपाल-बालं
सदा मे मनस्य् आविरास्तां किम् अन्यैः ॥ ४॥
हे भगवन, आप सभी प्रकार के वर देने में सक्षम हैं फ़िर भी मैं आप से न ही मोक्ष की कामना करता हूँ, न ही वैकुंठ की, और न ही किसी और वरदान की । मैं केवल यही प्रार्थना करता हूँ कि आपका बाल गोपाल स्वरुप सदा मेरे मन में स्थित रहे। अन्य किसी वस्तु का मुझे क्या कामना ?
इदं ते मुखाम्भोजम् अत्यन्त-नीलैर्
वृतं कुन्तलैः स्निग्ध-रक्तैश् च गोप्या
मुहूँश् चुम्बितं बिम्ब-रक्ताधरं मे
मनस्य् आविरास्ताम् अलं लक्ष-लाभैः ॥ ५॥
हे प्रभु, आपका श्याम रंग का मुखकमल जो कुछ घुंघराले लाल बालो से आच्छादित हैं, मैय्या यशोदा द्वारा बार बार चुम्बन किया जा रहा हैं, और आपके ओठ बिम्बफल जैसे लाल हैं, आपका ये अत्यंत सुन्दर कमलरुपी मुख मेरे हृदय में विराजीत रहे । (इससे अन्य) सहस्त्रों वरदानों का मुझे कोई उपयोग नहीं है ।
नमो देव दामोदरानन्त विष्णो
प्रसीद प्रभो दुःख-जालाब्धि-मग्नम्
कृपा-दृष्टि-वृष्ट्याति-दीनं बतानु
गृहाणेष माम् अज्ञम् एध्य् अक्षि-दृश्यः ॥ ६॥
हे प्रभु, मेरा आपको नमन है । हे दामोदर, हे अनंत, हे विष्णु, आप मुझपर प्रसन्न होवे (क्योंकि) मैं संसाररूपी दुःख के सागर में डूबा जा रहा हूँ । मुझ दीन हीन पर आप अपनी कृपा दृष्टि बसाईये और अपनी अमृतमय दृष्टि से मेरी रक्षा कीजिए और उद्धार कीजिए ।
कुवेरात्मजौ बद्ध-मूर्त्यैव यद्वत्
त्वया मोचितौ भक्ति-भाजौ कृतौ च
तथा प्रेम-भक्तिं स्वकां मे प्रयच्छ
न मोक्षे ग्रहो मे ‘स्ति दामोदरेह ॥ ७॥
हे दामोदर, आपने माता यशोदा द्वारा ओखल में बंधने के बाद भी कुबेर के पुत्रो (मणिग्रिव तथा नलकुवर) वृक्ष बनकर खड़े रहने के श्राप से मुक्त किया और उन्हें अपनी भक्ति का वरदान दिया। आप उसी प्रकार से मुझे भी प्रेमभक्ति प्रदान कीजिए। मोक्ष के लिए भी मेरी कोई कामना नहीं है ।
नमस् ते ‘स्तु दाम्ने स्फुरद्-दीप्ति-धाम्ने
त्वदीयोदरायाथ विश्वस्य धाम्ने
नमो राधिकायै त्वदीय-प्रियायै
नमो ‘नन्त-लीलाय देवाय तुभ्यम् ॥ ८॥
हे दामोदर, आपके उदर से बंधी महान रस्सी को प्रणाम हैं, और आपके उदर, जो निखिल ब्रह्म तेज का आश्रय है, और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का धाम है, को भी प्रणाम हैं । श्रीमती राधिका जो आपको अत्यंत प्रिय हैं उन्हें भी प्रणाम है, और हे अनंत लीलाएँ करने वाले भगवन, आपको प्रणाम है।
बैंकर्स क्लब के समन्वयक श्री ललित अग्रवाल के जे पी हाईट्स स्थित आवास मे श्रीमती निशा ललित अग्रवाल, श्रीमती मोनिका निलेश अग्रवाल, श्रीमती हनी मयंक अग्रवाल ने रुद्रांश गर्ग व कृष्ण गर्ग ने समस्त परिजनों के साथ श्री दामोदर अष्टकम का पूजन व पाठ किया। #campussamachar.com,