- चयन बोर्ड की धारा 21 हटने के बाद से ही हो रहा शिक्षक उत्पीड़न -ओम प्रकाश त्रिपाठी
लखनऊ , 3 अक्तूबर . campussamachar.com, माध्यमिक शिक्षक संघ ( पांडेय गुट ) ने उ प्र माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग एवं चयन बोर्ड की समाप्त करने से उसकी धारा 21 भी खत्म हो जाने पर लगातार शिक्षको के बढ़ते रहे उत्पीड़न पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। संघ के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने इस गंभीर मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ( Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath) का व्यक्तिगत ध्यान आकर्षित करते हुए उनसे हस्तक्षेप करने की माँग की है।
शिक्षक नेता त्रिपाठी ने बताया कि चयन बोर्ड अधिनियम की धारा 21 के तहत विना बोर्ड के पूर्व अनुमोदन प्राप्त किये प्रबंध तंत्रों द्वारा शिक्षकों के विरुद्ध कोई दंडात्मक कार्य वाही, उसके परिलब्धि में कोई कमी नही करने , सेवा से हटाने अथवा हटाये जाने की नोटिस तक नही दिये जाने का प्रावधान सुरक्षा कवच के रुप मे प्राप्त था। यदि कोई कार्यवाही होती थी उसे विधि शून्य तक माना जाता था। अब उसके हटने के बाद से ही शिक्षक उत्पीड़न की कार्यवाहियाँ बडी तेजी से शुरु हो गयी हैं। और प्रबंध तंत्र की शिक्षक विरोधी कार्य वाहियो का इंटर मिडिएट् शिक्षा अधिनियम की धारा 16 छ तीन मे प्राप्त अधिकारों का दुरूपयोग कर अनुमोदन प्रदान कर शिक्षाको को सेवा से ही निकले जाने की घटनाएं होनी शुरू हो गई हैं। इसको लेकर उनमें असुरक्षा का माहौल व्याप्त है। जिसके कारण उसके शैक्षिक कार्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। प्रबंध तंत्रों द्वारा व्यक्तिगत दुश्मनी भी शिक्षक को ढाल बना कर निकालने के भी मामले प्रकाश में आ रहे हैं। इसी से निजात दिलाने के लिए चयन बोर्ड की धारा 21 का प्रावधान किया गया था। अब कोई सुरक्षा न होने पर शिक्षको मे भय का वातावरण व्याप्त है।
शिक्षक नेता श्री त्रिपाठी ने इस मामले में योगी सरकार ( Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath, ) का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने इस धारा, 21 को शिक्षा सेवा आयोग मे शीघ्र प्रावधान करने की माँग की है। प्रावधान न होने तक मिली भगत से हो रहे शिक्षक उत्पीड़न पर प्रभावी रोक लगाने की माँग की है। उन्होंने कहा ऐसा न किये जाने पर अनेक मामले न्यायालयों में योजित हो रहे है और बीच शैक्षिक सत्र में शिक्षको को नौकरी से हटाये जाने पर शिक्षण कार्य भी बाधित हो रहे हैं जो विलकुल उचित नहीं है। उन्होंने इस मामले में बिना निदेशक की अनुमति प्राप्त किये जिले स्तर पर हो रही इस प्रकार की कार्यवाही पर प्रभावी अंकुश लगाने की माँग की है।
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