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पुस्तक समीक्षा : काव्य सुगंध (काव्य संग्रह )- कवि कुबेर सिंह यादव ने समाज की तस्वीर उतार दी .. जिन्दगी श्रम भरी , क्यों तड़पती रही

कवि कुबेर सिंह यादव

रचना  का नाम – काव्य सुगंध (काव्य संग्रह )

कवि का नाम – कुबेर  सिंह यादव 

प्रकाशक का नाम – अभिराम प्रकाशन , लखनऊ 

मूल्य – 300 रु मात्र 

उत्तर प्रदेश  की राजधानी लखनऊ की  बक्शी का  तालाब  (BKT ) तहसील के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले कुबेर सिंह यादव विलक्षण प्रतिभा के धनी संवेदनशील कवि हैं. उनकी काव्य कृति काव्य सुगंध इसका प्रमाण है .

जिंदगी  श्रम  भरी,  क्यों तड़पती रही

शीर्षक में उन्होंने लिखा है

साथियों ! नित अमीरी चमकती  रही,  झोपड़ी में गरीबी सिसकती रही

योग्य  को अब नहीं नौकरी मिल रही,  अर्थ , उत्कोच की चेतना खिल रही

जिंदगी श्रम भरी , क्यों तड़पती रही,  झोपड़ी में गरीबी सिसकती रही 

सभ्यता की कहीं पर निशानी नहीं,  भीड़ में दिख रहा स्वाभिमानी नहीं

आबरू सब कहीं , क्यों भी बिलखती  रही,  झोपड़ी में गरीबी सिसकती  रही

धर्म में लोभ की पौध को रोप कर राष्ट्र के नाम पर झूठ को थोप कर

क्यों हवा जन विरोधी चहकती रही,  झोपड़ी में गरीबी सिसकती रही 

यह  पंक्तियाँ गवाही देती हैं कि कवि कुबेर सिंह यादव वर्तमान समाज की दुर्दशा से दुखी हैं . वे चाहते हैं कि सामाजिक सद्भाव और विकास की धारा साथ-साथ चलनी चाहिए.

कवि कुबेर सिंह यादव  की इसके पहले पांच काव्य कृतियों का प्रकाशन हो चुका है,  उनकी  सभी काव्य कृतियां काव्य धारा को पोषित और  करती हैं . उन्होंने काव्य के लगभग सभी प्रचलित छंदों में पूर्ण सिद्धता प्राप्त की है . काव्य सुगंध को आठ भागों  में विभक्त किया है,  जिसमें गीत , कविता ,  कुंडलिया,  सवैया आदि हैं . उनकी रचनाओं में मूल रूप से भक्ति भावना , देश प्रेम,  समरसता,  मानवीय गुण,  संवेदनशीलता एवं युगबोध भावनाओं दिखाई पड़ती हैं . उनकी रचनाओं में समाज में  व्याप्त कुरीतियों और असमानताओं पर भी गहरी चोट है.  उनकी रचनाओं में शब्दों का चयन स्वाभाविक रूप से रखा गया है,  जो लोगों को अपने साथ जोडत हैं . अगर यह कहा जाए कि कुबेर सिंह यादव न  केवल संवेदनशील कवि हैं बल्कि निर्धन एवं उपेक्षित लोगों के लिए एक बुलंद आवाज हैं तो सही होगा . वे उन लोगों को साहस और संबल प्रदान करते हैं,  जिन्हें संबल की जरुरत है.

कुबेर सिंह यादव  की शिक्षा की बात करें तो परास्नातक  हिंदी विषय में करने के साथ ही बीएड की डिग्री भी हासिल की है . वर्तमान समय में भी विद्यालय प्रबंधक हैं.  साहित्यिक जगत में रुचि रखने वाले कुबेर सिंह यादव की अब तक आधा दर्जन रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं ..

प्रकाशित  रचनाएँ

  • शब्द सुगंध 2014  (गीत संकलन )
  •  साहित्य सुगंध 2015 (घनाक्षरी  शतक) 
  • ज्योतिर्मय जीवन 2016 (काव्य संग्रह ) 
  • कुबेर दोहावली 2017  
  • छंद  सुगंध  2018  (सवैया शतक)
  • काव्य सुगंध  2021 (काव्य संग्रह)

प्रमुख साहित्यिक शैक्षिक संस्थानों से किया जा चुका सम्मानित

साहित्यिक रचनाओं के धनी कुबेर सिंह को अब तक देश के प्रमुख साहित्यिक व  शैक्षिक संस्थानों से सम्मानित किया जा चुका है . उन्हें 2014 में अखिल भारतीयअगीत परिषद द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया . अखिल भारतीय वैचारिक क्रांति मंच लखनऊ द्वारा 2006 में साहित्यिक सम्मान प्रमाण पत्र प्रदान किया गया जबकि भारतीय ज्ञान परीक्षा में भावपूर्ण योगदान देने के लिए परिक्षेत्र में 2008 को शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया. इसी प्रकार अखिल भारतीय मतदाता परिषद द्वारा 21 जून 2015 को समाज गौरव सम्मान दिया गया . सिटी कान्वेंट स्कूल लखनऊ द्वारा 2015 को शिक्षा रत्न सम्मान और साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था अखिल भारतीय अगीत परिषद द्वारा 2018 को साहित्य मार्तंड सम्मान से सम्मानित किया गया.  विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर बिहार द्वारा 13 दिसंबर 2018 को विद्या वाचस्पति  सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है .

campussamachar.com,

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