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Chhattisgarh Vigyan Sabha, Chhattisgarh | campussamachar | लुप्तप्राय प्रजाति एवं जैव विविधता के संरक्षण और बचाव के लिए छात्रों से चर्चा,  लोगों को पर्यावरण मितान बनाने की कवायद 

  • इन  महत्वपूर्ण तथ्य को समझने के लिए विज्ञान सभा द्वारा वेब ऑफ लाइफ एक्टिविटी का उपयोग किया जाता रहा है । प्रजातियों की विविधता को संरक्षित करने के विशिष्ट लाभो से जनसामान्य को अवगत कराया जा रहा हैं।
  • विज्ञान सभा के युवा कार्यकर्ताओ की अपील छतों पर रखें पानी से भरा मिट्टी का बर्तन

कोरबा , 20 मई ,campussamachar.com, ।  इस साल 17 मई को लुप्तप्राय प्रजाति दिवस एवं 22 मई को है जैव विविधता दिवस ऐसे में यह जानना जरूरी है कि क्या है लुप्तप्राय प्रजाति ? दरअसल लुप्तप्राय प्रजाति वह जानवर या पौधा है जिसे विलुप्त होने का खतरा माना जाता है। किसी प्रजाति को राज्य, संघीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है। संघीय स्तर पर, लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची को लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम के तहत प्रबंधित किया जाता है।आखिर क्या है कारण इनके विलुप्त होने केअवैध शिकार, रहवास स्थल का नष्ट होना, रहवास में परिवर्तन, लाभ के लिए वन्यजीवों का अत्यधिक अवैध दोहन और प्रदूषण शामिल हैं।

latest korba News :आवास, कृषि,  और वाणिज्य के लिए निरंतर प्रकृति को क्षति पहुंचाई जा रही  है, जिससे वन्य प्राणियों के लिए कोई जगह नहीं बची है। भूमि एवं  संसाधनों का  दोहन, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण वैश्विक जैव विविधता में गिरावट में निरंतर नकारात्मक योगदान करते हैं। लैंडफिल, औद्योगिक संयंत्र, कस्बे और खतरनाक रसायन जैव विविधता को नुकसान पहुंचाते हैं और जलवायु को खराब करते हैं। भारी मेटल प्रदूषक जानवरों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं,और मृत्यु का कारण बनते हैं और ऊतकों में विषाक्त पदार्थों को जमा करते हैं । आज अवैध शिकार, मनुष्यों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष के कारण प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं, जैसे हाथी दांत के लिए हाथी और सींग के लिए गैंडे। छोटे पैंगोलिन विश्व स्तर पर सबसे अधिक तस्करी किये जाने वाले जीव हैं।प्रजातियाँ पारिस्थितिक तंत्र के आधार के रूप में कार्य करती हैं, पारिस्थितिक तंत्र की  साम्य अवस्था को बनाए रखने में योगदान देते हैं। जिस से मानव प्रजाति को भोजन, दवा और मूल्यवान संसाधन प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, वे मिट्टी के निर्माण, अपघटन, जल निस्पंदन, परागण , कीट नियंत्रण और जलवायु विनियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।सभी जीवित प्राणी जीवमंडल के भीतर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, जो पारिस्थितिक तंत्र का एक जटिल और नाजुक रूप से संतुलित नेटवर्क है। यहां तक कि एक भी प्रजाति के विलुप्त होने से पूरे सिस्टम के लिए विनाशकारी परिणामों वाली एक श्रृंखला प्रतिक्रिया शुरू हो सकती है।

korba News in hindi : इस महत्वपूर्ण तथ्य को समझने के लिए विज्ञान सभा द्वारा वेब ऑफ लाइफ एक्टिविटी का उपयोग किया जाता रहा है प्रजातियों की विविधता को संरक्षित करने के विशिष्ट लाभो से जनसामान्य को अवगत कराया जा रहा हैं।विज्ञान  सभा के कोरबा इकाई के लोकेश  ने बताया की जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जैव विविधता की रक्षा और जिम्मेदारीपूर्वक प्रबंध करना आवश्यक है। लुप्तप्राय प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। एक भी प्रजाति के नष्ट होने से हमारे ग्रह के पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और स्थिरता के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक विरासत और जीवन की गुणवत्ता पर दूरगामी नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।

Chhattisgarh Vigyan Sabha, Chhattisgarh News : लोकेश ने लुप्तप्राय वन्य जीवों के  विषय पर महत्वपूर्ण तथ्य छात्रों के साझा किए राज्य संयुक्त सचिव निधि सिंह ने राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा प्रदत्त ऊदबिलाव परियोजना  के संदर्भ मे ऊदबिलाव के संरक्षण विषय में छात्र छात्राओं को जानकारी दी उन्होंने जैव विविधता के प्रति मानव प्रजाति के कर्तव्यों के विषय मे कहा की हमें इस स्थिति के लिए जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए कि हमारी भावी पीढ़ियों को एक विविध और प्रचुर प्राकृतिक दुनिया हम विरासत में दे कर जा सके। लुप्तप्राय प्रजातियों के प्रभावी संरक्षण और, उनके आवासों को संरक्षित करने और जैव विविधता के लिए एक स्थायी   भविष्य सुनिश्चित करने के लिए सरकारी एजेंसियों और गैर सरकारी संगठनों के संयुक्त प्रयास आवश्यक हैं परंतु आम नागरिक का भी ये नैतिक  दायित्व है की वह अपने स्तर पर जैव विविधता के संरक्षण के लिए प्रयास करें ।

 

korba News today : छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा (  Chhattisgarh Vigyan Sabha, Chhattisgarh) संविधान को आधार मान कर कार्य करने वाली संस्था है भारतीय संविधान के मौलिक कर्तव्यों का अध्याय स्पष्ट रूप से *प्रत्येक नागरिक पर पर्यावरण की रक्षा करने का कर्तव्य लगाता है। अनुच्छेद 51-ए (जी) कहता है कि “जंगलों, झीलों, नदियों और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना और जीवित प्राणियों के प्रति दया रखना भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा पर्यावरण में  प्रत्येक जीव का अपना महत्वपूर्ण स्थान है।

korba News today : इसी क्रम में विज्ञान सभा ( Chhattisgarh Vigyan Sabha, Chhattisgarh ) के सक्रिय युवा सदस्य लोकेश राज चौहान ने विषैले और विषहीन सर्पों के विषय में छात्रों को जानकारी दी एवं सर्पदंश की अवस्था में किए जाने वाली सावधानियों के विषय में जानकारी पी पी टी के माध्यम से प्रदान की लोकेश राज चौहान कमला नेहरू महाविद्यालय के छात्र है और साथ ही जिले में सर्पों के बचाव का कार्य में योगदान कर रहे है।  विज्ञान सभा द्वारा  छोटी छोटी अपील की जा रही है  जैसे पानी से भरा मिट्टी का बर्तन रखें भीषण गर्मी में पक्षियों गिलहरी और कीटों का बचाव करें । निधि सिंह ने विश्व मधुमक्खी दिवस प्रत्येक वर्ष 20 मई को परागण को के रूप में मधुमक्खियों के महत्व, उनके द्वारा सामना किए जाने वाले खतरों और सतत विकास में उनके योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।

Chhattisgarh Vigyan Sabha, Chhattisgarh : इस साल, थीम “बी एंगेज्ड विद यूथ” है। इस विषय पर भी छात्रों से चर्च की गयी छतीसगढ़ विज्ञान सभा जिले के कटघोरा कालेज,ग्राम छुरी ग्राम केसला  आदि मे जन सामान्य एवं छात्र छात्रों के लिए विविध गतिविधियों के माध्यम से अपने पूर्व कार्यक्रम रुख मीतान, चिरई मीतान एवं सर्प मीतान को निरन्तरता देते हुए आगामी 5 जून पर्यावरण दिवस तक कोरबा के विभिन्न दूरगामी क्षेत्रो तक कार्यक्रमों का आयोजन करेगी।  केशव जायसवाल द्वारा  महाविद्यालय परिसर मे गमलों मे छोटी  प्लास्टिक की बोतलों को पानी से भर कर दबाने का अनुरोध किया जिसके माध्यम से कॉलेज में ग्रीष्मकालीन अवकाश मे भी पौधों को जल सिंचित होता रहे।

इन्होने कार्यक्रम बनाया सफल

KN college News : इन सभी कार्यक्रमों के आयोजन को सफल बनाने के लिए  मुकुटधर पाण्डेय,कटघोरा कालेज के प्राचार्य श्री मदन मोहन जोशी जी,जन्तु विज्ञान के सहायक प्राध्यापक नूतन कुमार कुर्रे, धर्मेंद्र कुमार सिंधराम सहायक प्राध्यापक रसायन, सोनाली देवांगन सहायक प्राध्यापक जंतु विज्ञानं समस्त छात्र जंतु विज्ञान,  रसायन विज्ञान और छ ग विज्ञान सभा कोरबा इकाई के सचिव दिनेश कुमार  । ग्राम केसला के बाल्मीकि यादव ,गोरे लाल राठिया, रमा जी ओमपुर से विज्ञान सभा से सुमित सिंह, वेद व्रत उपाध्याय जन्तु विज्ञान सहायक प्राध्यापक कमला नेहरू महाविद्यालय, केशव आर सी आर एस के सदस्य ,रघुराज सिंह विज्ञान सभा के युवा सदस्य एवं  ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अंत में  मिट्टी के कटोरे को धर्मेंद्र कुमार सिंधराम सहायक प्राध्यापक रसायन, सोनाली देवांगन सहायक प्राध्यापक जंतु विज्ञान द्वारा विज्ञान सभा के माध्यम से कॉलेज में पक्षियों के लिए जल से भर कर लगाया गया और आग्रह किया गया की जीवों के संरक्षण में अपना योगदान हम सभी देते रहेंगे । विज्ञान सभा मुकुटधर पाण्डेय, कटघोरा कालेज के प्राचार्य मदन मोहन जोशी जी के सहयोग और समन्वय के लिए आभारी है

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