- कला दीर्घा, अंतर्देशीय दृश्य कला पत्रिका एवं कला स्रोत कला वीथिका, लखनऊ
- लोकसंवेदनाओं से सिक्त कलाएं लोकाश्रय से पनपती हैं : आचार्य शिशिर कुमार पांडेय
लखनऊ , 19 मई 2024,campussamachar.com, । कला दीर्घा अंतर्देशीय दृश्य कला पत्रिका एवं कला स्रोत कला वीथिका, अलीगंज, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वत्सल अखिल भारतीय चित्रकला प्रदर्शनी का आज शाम पांच बजे समापन हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि आचार्य शिशिर कुमार पांडेय, कुलपति, जगतगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय, चित्रकूट थे।
मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए कलादीर्घा के संपादक डॉ अवधेश मिश्र ने अभिनंदन पत्र, कला दीर्घा पत्रिका, अंग वस्त्र, बाल वृक्ष, वत्सल प्रदर्शनी का कैटलॉग, अपनी कलाकृतियों पर आधारित वार्षिक पंचांग, पहला दस्तावेज पुस्तक और डॉ सपना नीरज द्वारा लिखित अवधेश मिश्र : सांस्कृतिक संवेदनाओं का चितेरा पुस्तक प्रदान की। आचार्य शिशिर कुमार पांडेय ने प्रदर्शनी का अवलोकन कर कहा कि खुशी की बात है कि समस्त चित्रों में लोक संवेदनाएं दर्शनीय हैं और लोक की छोटी-छोटी गतिविधियां जो वहां की संस्कृति की आत्मा होती हैं, वह प्रकारांतर से इन चित्रों में दिख रही हैं। कला दीर्घा पत्रिका को देखकर उन्होंने कहा कि आज भले ही यह छोटी घटना हो सकती है लेकिन यह पत्रिका समय के इतिहास को अपने में समेटे हुए है जिसका प्रभाव दीर्घकालिक रहेगा और समय के गवाक्ष के रूप में यह देखी जाएगी।
कला दीर्घा के मंच पर की जा रही गतिविधियां भी मील का पत्थर साबित होंगी। कला के क्षेत्र में डॉ अवधेश मिश्र द्वारा किए जा रहे डॉक्यूमेंटेशन को भी उन्होंने सराहा। डॉ लीना मिश्र ने उषा पत्रिका भेंट कर धन्यवाद ज्ञापन किया। प्रदर्शनी के समन्वयकद्वय डॉ अनीता वर्मा और सुमित कुमार ने आचार्य पांडेय को प्रदर्शनी का अवलोकन कराया और मातृ दिवस पर आयोजित इस प्रदर्शनी के एक-एक चित्र की थीम को व्याख्यायित किया।
दर्शकों के रूप में आयी पायनियर मॉन्टेसरी स्कूल के एल्डिको ब्रांच की प्रधानाचार्य शर्मिला सिंह और प्राथमिक विद्यालय उन्नाव की प्रधानाचार्य मधु अग्रवाल एवं अनेक कला प्रेमियों ने प्रदर्शनी का रसास्वादन किया और कला स्रोत कला वीथिका के निदेशकों से यह अपेक्षा की कि कला संरक्षण के क्षेत्र में दिए गए अपने अवदान की निरंतरता बनाए रखते हुए अच्छी प्रदर्शनियां आयोजित करते रहेंगे।
प्रदर्शनी में लगभग सभी प्रतिभागी कलाकार उपस्थित थे और सबने समापन समारोह का इस आशा से आनंद लिया कि शीघ्र ही अपनी नई कलाकृतियों के साथ पुनः यहां उपस्थित होंगे। मुख्य अतिथि आचार्य शिशिर कुमार पांडेय ने प्रस्ताव दिया कि कला दीर्घा के मंच पर चित्रकूट में भी कुछ कार्यक्रम आयोजित किए जाएं जिन पर कला दीर्घा परिवार की ओर से पूर्ण सहमति बनी कि शीघ्र ही विविध गतिविधियों के साथ हम सब उपस्थित होंगे।