बिलासपुर, 21 अप्रैल,campussamachar.com, । राजकपूर गुप्ता के अशोकनगर, सरकंडा स्थित आवास पर सुंदरकांड के 78वे मानस पाठ के दौरान उपस्थित धर्मनिष्ठ श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए ललित अग्रवाल ने बताया कि अतीत में भारत के व्यापारी विभिन्न देशों से व्यापार करते थे। तब भारत में वर्तमान पाकिस्तान वाला भाग समाहित था। तो भारत की सीमा पश्चिम में ईरान से लगती थी और उसके पश्चात अरब देश पड़ते थे। जब वहां के निवासी भारत के व्यापारियों से भारत देश की विशेषता के बारे में पूछते थे तो उन्हें यह जानकर आश्चर्य होता था कि भारत में बारहमासी नदियों की भरमार है। चूंकि उनके देश में तो पानी का अभाव था। तथा वे तो सोचते थे कि नदियां तो केवल जन्नत में ही होती हैं। अतः उनके अनुसार भारत ‘नदियों का देश’ था। नदियों को संस्कृत में ‘सिन्धु’ भी कहते हैं। अफगानिस्तान में प्रचलित दर्री भाषा में भी नदी के लिए सिन्धु शब्द का प्रयोग होता है। इससे पारसी में भी नदियों के लिए सिन्धु शब्द का भी प्रयोग होता है। इसी से नदियों के देश के लिए ‘सिन्धुस्थान’ शब्द का प्रयोग हुआ और भारत का एक नाम ‘सिन्धुस्थान’ भी हो गया। भाषा मुख-सुख खोजती हैं। जैसे सप्ताह का हप्ता वैसे ही प्रकारान्तर में सिन्धुस्थान का हिन्दुस्तान हो गया। अतः पारसियों (अब ईरानी) और अरबियों के बीच जो कोई भी और जो कुछ भी हिन्दुस्तान का था, वह सब हिन्दू या हिन्दी कहलाने लगा। इसमें संस्कृति, समाज, साहित्य, धर्म, पंथ, भाषा, विज्ञान – गणित आदि सब कुछ समाहित है। इस तरह भारत की राष्ट्रीयता के लिए हिन्दू शब्द प्रचलन में आया। प्रकारान्तर में भारत में अन्य धर्मों के आगमन के साथ हिन्दू शब्द धर्म के साथ रूढ़ हो गया और अब हम हिन्दू से धर्म और इस धर्म को मानने वाला समाज और व्यक्ति समझते हैं। किन्तु वास्तव में हिन्दू शब्द भारत की राष्ट्रीयता का द्योतक है। धर्म का आशय किसी भी पूजा पध्दति से ना होकर करणीय अकरणीय की कसौटी से है। जैसे प्यासे को पानी पिलाना, असहाय की मदद करना, माता पिता की सेवा करना, बच्चों को सही व गलत की जानकारी देना आदि धर्म हैं।
आदरणीय सत्यनारायण पांडेय जी के मार्गदर्शन में प्रति सप्ताह किसी ना किसी आध्यात्मिक श्रद्धालु के निवास पर सतत साप्ताहिक सुंदरकांड के पाठ हेतु सेवारत व सेवानिवृत्त श्रद्धालुओं के सहयोग से शुभमविहार मानस मंडली का गठन हुआ था। शुभमविहार से आगे बढ़ते बढ़ते अब बिलासपुर के कोने कोने से अपने निवास पर निःशुल्क सुंदरकांड पाठ हेतु मानस मंडली को बुलाया जाता हैं। मंडली द्वारा सुंदरकांड, श्री हनुमान चालीसा पाठ के साथ हिंदुत्व संस्कार की विशेषताओं के वैज्ञानिक पहलुओं पर भी चर्चा कर उनकी विशेषताओं से अवगत कराया जाता हैं।
सतत साप्ताहिक मानस पाठ के 78वे सुंदरकांड पाठ वाचन हेतु शुभमविहार कल्याण समिति के अध्यक्ष अखिलानन्द पांडेय, बैंकर्स क्लब के समन्वयक ललित अग्रवाल, सेवानिवृत्त सैनिक प्रमोद अवस्थी, अनिल तिवारी, आर पी मिश्रा, छगनलाल यादव, नरेंद्र गोपाल, भूपेंद्र यादव, राजकूपर गुप्ता, राजेश शुक्ला, आकाश शर्मा, लक्ष्मीनारायण, द्रौपदी राठौर,अखिलेश, राजेश, हेमन्त, बसंत, विजय गुप्ता, मनीषा, संगीता, वर्षा, ऋचा, अनुसुइया, विक्रम, शिवम, सुषमा, स्वाति, संयुक्ता, गिरीश सहित बड़ी सँख्या में जागरूक, धर्मनिष्ठ, श्रद्धालुओं ने आगामी 7 मई को लोकतंत्र के सबसे बड़े त्यौहार में शत प्रतिशत मतदान कर महायज्ञ में अपनी आहुति देने का प्रण किया।