त्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो भ्राता दया सखा
शांतिः पत्नी क्षमा पुत्रः षडेते ममबान्धवाः ।।
।। चा o नी o।।
सत्य मेरी माता है. अध्यात्मिक ज्ञान मेरा पिता है. धर्माचरण मेरा बंधू है. दया मेरा मित्र है. भीतर की शांति मेरी पत्नी है. क्षमा मेरा पुत्र है. मेरे परिवार में ये छह लोग है.
- सुभाषितानि
गीता -: ज्ञानकर्मसन्यास योग अo-04
यज्ज्ञात्वा न पुनर्मोहमेवं यास्यसि पाण्डव ।,
येन भुतान्यशेषेण द्रक्ष्यस्यात्मन्यथो मयि ॥,
जिसको जानकर फिर तू इस प्रकार मोह को नहीं प्राप्त होगा तथा हे अर्जुन! जिस ज्ञान द्वारा तू सम्पूर्ण भूतों को निःशेषभाव से पहले अपने में (गीता अध्याय 6 श्लोक 29 में देखना चाहिए।,) और पीछे मुझ सच्चिदानन्दघन परमात्मा में देखेगा।, (गीता अध्याय 6 श्लोक 30 में देखना चाहिए।,)॥,35॥