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आज का जीवन मंत्र : चेत सबेरा बाबरे, फिर पाछै पछताये । तुझको जाना दूर है, कहे कबीर जगाये …. जानिए कबीर दास जी के दोहे का अर्थ

दिनांक – 21 मार्च 2024
दिन – गुरुवार
विक्रम संवत् – 2080
अयन – उत्तरायण
ऋतु – वसंत
मास – फाल्गुन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – द्वादशी 22 मार्च प्रातः 04:44 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
नक्षत्र – अश्लेषा मध्य रात्रि 01:27 तक तत्पश्चात मघा

चेत सबेरा बाबरे, फिर पाछै पछताये ।
तुझको जाना दूर है, कहे कबीर जगाये ।।

जीवन के जो पल बीतते जाते हैं, वह हमारी निर्धारित आयु से घटते जाते हैं ।
इसलिए जीवन के प्रत्येक पल का सदुपयोग होना चाहिए ।
व्यर्थ की बातों में, दूसरे की बुराइयों में, अपने बहुमूल्य जीवन को नष्ट नहीं करना चाहिए ।
प्रातःकाल उठते ही अपने लिए श्रेष्ठ लक्ष्य तय कर लेने चाहिए ।
सर्वकालिक लक्ष्य तो उस आनंद की प्राप्ति होना चाहिये जो ईश्वर (सर्वश्रेष्ठ) जैसा बनने पर सम्भव है ।

 

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