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आज का जीवन मंत्र : दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहि । जान परत हैं काक, पिक, रितु बसंत के माहिं …इस दोहे से क्या शिक्षा मिलती है

  • दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहि ।
    जान परत हैं काक, पिक, रितु बसंत के माहिं ।।

किसी को महज देखकर एवं मिलकर उसके व्यक्तित्व एवं सही या गलत होने का  आंकलन नहीं किया जा सकता है ।

स्वार्थी व्यक्ति अपने छद्म वेशभूषा, व्यवहार आदि से दूसरे को प्रभावित करने का भरसक प्रयास करता है ।

परन्तु यदि हम सतर्क रहकर एवं उसके पद, प्रतिष्ठा,सामाजिक मान- सम्मान के प्रभाव में आये बिना व्यवहार करेंगे ।

तो उसका सही आंकलन कर पाएंगे और यदि वह कुटिल है तो उसकी कुटिलता के प्रभाव से बच जाएंगे ।

आज तिथि ५१२५/ १२-०१-१०/ ०३ युगाब्द ५१२५/ फाल्गुन शुक्ल पक्ष, दशमी, मंगलवार की पावन मंगल बेला में, लोगों से सतर्कता पूर्ण आचरण के संकल्प के साथ, नित्य की भाँति, आपको मेरा “राम-राम” ।

व्यस्त रहेंगे -तो मस्त रहेंगे
मस्त रहेंगे -तो स्वस्थ रहेंगे

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