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आज का जीवन मंत्र : पुस्तकस्था तु या विद्या, परहस्तगतं च धनम् पुस्तकें तो हम बहुत खरीद लेते हैं परंतु….

पुस्तकस्था तु या विद्या, परहस्तगतं च धनम् ।
कार्यकाले समुत्तपन्ने न सा विद्या न तद् धनम् ।।

पुस्तकें तो हम बहुत खरीद लेते हैं परंतु समयाभाव का बहाना लेकर अध्ययन नहीं करते हैं ।
पुस्तकों में मौजूद ज्ञान का अध्ययन और कार्यों में उपयोग न हो तो बेकार है ।
इसी प्रकार जीवन मे धन तो बहुत अर्जित करते हैं, परन्तु स्वयम उपयोग नहीं करते ।
संकट एवं भावी पीढ़ी के लिए एकत्र करते रहने के कारण स्वयं को धन के उपभोग से वंचित किये रहते हैं ।
बिना मेहनत एवम पैतृक धन का ज्यादातर दुरुपयोग ही देखने को मिलता है ।

आज तिथि ५१२५/ १२-०१-(०२-०३)/ ०३ युगाब्द ५१२५/ फाल्गुन शुक्ल पक्ष, (द्वितीया-तृतीया), मंगलवार “रामकृष्ण परमहंस जयंती, विश्व अग्निहोत्र दिवस” की पावन मंगल बेला में, संचय नहीं- उपयोग के संकल्प के साथ, नित्य की भांति, आपको मेरा “राम-राम”।

 

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