- उत्तर प्रदेश समाजशास्त्र परिषद, राजस्थान समाजशास्त्र परिषद और महासोशियोलॉजी के संयुक्त तत्वावधान मे ‘शोध पत्र लेखन की मूल सामग्री’ विषयक आयोजित राष्ट्रीय ऑनलाईन कार्यशाला हुई ।
- कार्यशाला मे देश भर से शोध छात्र और प्रोफेसर सम्मिलित हुए ।
लखनऊ, 29 जनवरी । campussamachar.com, शोध पत्र लेखन एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है , हर शोध पत्र में नया विचार प्रकट होना चाहिये। यह विचार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्रोफेसर विवेक कुमार ने उत्तर प्रदेश समाजशास्त्र परिषद, राजस्थान समाजशास्त्र परिषद और महासोशियोलॉजी के संयुक्त तत्वावधान मे ‘शोध पत्र लेखन की मूल सामग्री’ विषयक आयोजित राष्ट्रीय ऑनलाईन कार्यशाला मे व्यक्त किए ।
UP News in hindi : प्रोफेसर विवेक कुमार ने कहा, लेख और शोध लेख मे बहुत अंतर होता है. प्रत्येक शोध पत्र किसी एक विचार को नये सिरे से व्यक्त करता है. शोध पत्र स्पष्ट, नियोजित, प्रेरक, बहुमूल्य तथा अन्वेषणात्मक तथ्यों से बनता है. इसमे अवधारणा की अपरिहार्यता होती है. यह क्या है, यह क्यू है, यह कैसा है, इन प्रश्नों का उत्तर शोध पत्र में व्यक्त होता है. अच्छे शोध पत्र के लिए शीर्षक, प्रयुक्त तथ्य, अवधारणा की अनिवार्यता, सिद्धांत एवम संदर्भ मायने रखते है. शोध पत्र लेखन के लिए सामाजिक पारिस्थितिकी प्रभावित करती है। शोध पत्र के लिए ज्ञानमीमांसा, वास्तविकता, ज्ञान के स्त्रोत इनमे तर्कवाद और अनुभववाद का समावेश होता है, और वैज्ञानिक तथ्यों का अवलोकन जरुरी होता है. आखिर मे उन्होने कहा के अच्छा शोध पत्र लेखन करने के लिए लेखक के पास प्रामाणिकता का होना बहुत जरुरी है. कार्यशाला मे देश भर से शोध छात्र और प्रोफेसर सम्मिलित हुए ।
up news in hindi : आनलाइन आयोजित इस कार्यशाला का संयोजन भारतीय समाजशास्त्र परिषद प्रबंध समिति सदस्य प्रो अंशु केडिया द्वारा किया गया l प्रस्तावना प्रो. संदीप चौधरी, महाराष्ट्र समाजशास्त्र औरंगाबाद, वक्ता का परिचय डॉ. विनोद खेडकर, नागपुर एवं आभार प्रदर्शन प्रो आशुतोष व्यास, अध्यक्ष राजस्थान समाजशास्त्र परिषद अध्यक्ष द्वारा दिया गया।