- के०जी०एम०यू० व लोहिया संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा प्रदत्त ऑकड़ों के अनुसार सड़क दुर्घटना में जान गँवाने वाले 40 प्रतिशत नाबालिग बच्चे होते हैं, जिनकी आयु 12 से 18 वर्ष के बीच की होती है।
लखनऊ, 3 जनवरी । campussamachar.com, माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र भेज कर 18 वर्ष से कम आयु के छात्र/छात्राओं द्वारा दो पहिया एवं चार पहिया वाहन चलाने पर प्रतिबंध लगाने एवं उक्त के फलस्वरूप होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के सम्बन्ध में जारी दिशा निर्देशों की जानकारी दी है ।
U.P. State Commission for Protection of Child Rights: निदेशक के इस पत्र में कहा गया है कि इस संबंध में परिवहन आयुक्त, उत्तर प्रदेश के पत्र संख्याः 3023स0सु0/2023- 30स0सु0/2019 दिनांक 27 दिसम्बर, 2023 (छायाप्रति संलग्न) का अवलोकन करने का कष्ट करें, जिसके द्वारा 18 वर्ष से कम आयु के छात्र/छात्राओं द्वारा दो पहिया एवं चार पहिया वाहन चलाने पर प्रतिबंध लगाने एवं उक्त के फलस्वरूप होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के सम्बन्ध में समस्त सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन/प्रवर्तन), उ०प्र० व समस्त सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन/प्रवर्तन), उ०प्र० को विस्तृत दिशा-निर्देश प्रदान किये गये हैं।
परिवहन आयुक्त, उत्तर प्रदेश द्वारा जारी पत्र की प्रति शिविर कार्यालय को इस आशय से प्रेषित की गयी है कि प्रश्नगत प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही हेतु समस्त जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश निर्गत किये जाय।
संदर्भित पत्र में मुख्य रूप से निम्न तथ्यों का उल्लेख है:
1 ॰ डा० शुचिता चतुर्वेदी, सदस्य, उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, लखनऊ (U.P. State Commission for Protection of Child Rights – UPSCPCR ) के पत्र सं०- रा०बा०आ०/1595/40/विविध/2023-24 दिनांक 15.12.2023 द्वारा अवगत कराया है कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों द्वारा बिना ड्राइविंग लाईसेंस के एक्टिवा, मोटरसाइकिल व अन्य वाहन चलाने से अनेक दुर्घटनायें हो रही है , तथा के०जी०एम०यू० व लोहिया संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा प्रदत्त ऑकड़ों के अनुसार सड़क दुर्घटना में जान गँवाने वाले 40 प्रतिशत नाबालिग बच्चे होते हैं, जिनकी आयु 12 से 18 वर्ष के बीच की होती है।
2॰ सदस्य, उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (UPSCPCR ) द्वारा 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों द्वारा वाहन चलाये जाने पर रोक लगाये जाने हेतु कानून का कड़ाई से अनुपालन कराया जाये, तथा समस्त शैक्षणिक संस्थानों (सरकारी/निजी / मदरसा आदि) में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जाये और मोटरयान अधिनियम-199 (क) (1) के अन्तर्गत वाहन स्वामी 5) (1) को उत्तरदायी ठहराते हुए कार्यवाही की जाये, जिससे समाज के भावी कर्णधारों व मेधा शक्ति की अपूरणीय क्षति को रोका जा सके।
3 ॰ मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 4 में प्रावधान किया गया है कि 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी सार्वजनिक स्थान में मोटरयान नहीं चलाया जायेगा, परन्तु कोई व्यक्ति 16 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के पश्चात् किसी सार्वजनिक स्थान में 50 सी०सी० से कम इंजन क्षमता की मोटरसाइकिल को चला सकेगा।
U.P. State Commission for Protection of Child Rights : इसी के साथ ही धारा 5 में यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी मोटरयान का स्वामी किसी ऐसे व्यक्ति से न तो यान चलावाएगा और न ही इसे चलाने की अनुमति देगा, जिसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस न हो। इसके अतिरिक्त मोटरवाहन संशोधन अधिनियम, 2019 के माध्यम से किशोरों द्वारा किये जाने वाले मोटर वाहन अपराधों के संबध में एक नयी धारा 199क जोड़ी गयी है, जिसके अन्तर्गत प्राविधान किया गया है कि किसी किशोर द्वारा मोटरवाहन अपराध में किशोर के संरक्षक / मोटरवाहन के स्वामी को ही दोषी मानते हुए दण्डित किया जायेगा।
UP education News : इसके अन्तर्गत संरक्षक / मोटरवाहन स्वामी को 03 वर्ष तक का कारावास तथा 25 हजार रु० तक का जुर्माना आरोपित किया जा सकता है, तथा अपराध में प्रयुक्त वाहन का पंजीयन 01 वर्ष की अवधि के लिये निरस्त कर दिया जाएगा। तथा ऐसे किशोर का ड्राइविंग लाइसेंस 25 वर्ष की आयु पूर्ण करने के उपरान्त ही बन सकेगा। #U.P. State Commission for Protection of Child Rights-UPSCPCR