लखनऊ 24 दिसंबर, campussamachar.com, माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट ) उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग एवं चयन बोर्ड विधेयक 2016 की धारा 33 (6 ) के प्रस्तर 8 को विलोपित कर विगत 7 अगस्त 93 से 25 जनवरी 99 तक लागू नियुक्ति प्रक्रिया के अंतर्गत नियुक्त (कठिनाई निवारण अधिनियम) से नियुक्त अद्यतन कार्यरत तदर्थ शिक्षकों को बिना भेदभाव के एक सामान्य प्रकृति के विनियमित करने की सरकार से मांग की है। संघ के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने आज यहां जारी अपनी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि राज्य की योगी सरकार को माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारी गुमराह कर 28 वर्षों से अधिक समय से कार्यरत-तदर्थ शिक्षकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
शिक्षक नेता त्रिपाठी ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बताया कि वर्ष 1992 में मात्र एक पत्र निर्गत कर आयोग गठन हो गया , सभी नियुक्तियाँ आयोग से होगी , के कारण तदर्थ रूप से नियमानुसार प्रबंध समिति द्वारा विधिक रूप से नियुक्त तदर्थ शिक्षकों को अपने वेतन के लिए माननीय न्यायालय की शरण लेना पड़ा है । यह व्यवस्था विधिक रूप से 25 जनवरी 1999 तक कठिनाई निवारण अधिनियम 1982 तथा 30 दिसंबर 2000 तक धारा 18 विद्यमान नियुक्त प्रक्रिया लागू रही । इन दोनों नियुक्ति व्यवस्थाओं को चयन बोर्ड अधिनियम की धारा 33 (ड़) जोड़कर समाप्त किया गया । इस प्रकार 25 जनवरी 99 तक कठिनाई निवारण अध्यादेश 1982 विधिक रूप से प्रभावित नियुक्त की प्रक्रिया लागू रही । इसे मात्र 1992 का शासन का निर्गत पत्र सुपरसीड नहीं कर सकता ।
त्रिपाठी ने इस विधिक पहलू को दृष्टिगत रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath ) का व्यक्तिगत ध्यान आकृष्ट करते हुए प्रस्तर 8 को विलोपित कर निर्धारित तिथि तक नियुक्त सभी तदर्थ शिक्षकों को विनियमित करते करने की मांग की है।