- श्री शर्मा जी ने आगे कहा कि सन्त श्री प्रेम बड़े भावुक व्यक्तित्व वाले व्यवहारिक भक्त थे।वे सत्संग के मंच पर एक विद्वान गुरु-रूप,सन्तों-भक्तों के बीच एक अच्छे सन्त-भक्त के रूप,घर में एक ज़िम्मेदार पिता-अभिभावक,पत्नी के लिए अच्छे पति,समाज के लिए एक समर्पित समाजसेवी के रूप थे।
बिंद्रा बाजार(रोहुआ मोड़)आजमगढ़, 24 दिसम्बर। campussamachar.com, …जिनकी स्मृति में आज यहां यह विशाल सत्संग हो रहा है, प्रेम की वर्षा हो रही है। अपार प्रेम बरस रहा है।जिनका सम्पूर्ण जीवन मानवता के कल्याण में समर्पित रहा।जो विशाल हृदय वाले थे। जिनका केवल नाम ही प्रेम नहीं था वो स्वाभाविक ही प्रेम थे। वो एक सरल और सहज सन्त थे।वास्तव में एक चलते-फिरते तीर्थ थे निरंकारी सन्त श्री प्रेम नारायण लाल जी।
उक्त उदगार आज दिन ( 24 दिसम्बर 2023 ) में रोहुआ मोड़(वाराणसी-आजमगढ़ मार्ग)स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन में जनपद के प्रख्यात एवं महान सामाजिक-आध्यात्मिक चिंतक,शैक्षिक इतिहास व उर्दू प्रवक्ता,संयोजक एवं निरंकारी ज्ञान प्रचारक सन्त श्री प्रेम नारायण लाल जी की 7वीं पावन पुण्य-स्मृति में आयोजित एक विशेष व विशाल सत्संग समारोह में दिल्ली से पधारे वरिष्ठ निरंकारी प्रचारक व सेवा निवृत्त भारतीय नौसेना के अधिकारी श्री ऋषिराम शर्मा जी ने व्यक्त किये।
sant Nirankari Satsang : श्री शर्मा जी ने आगे कहा कि सन्त श्री प्रेम बड़े भावुक व्यक्तित्व वाले व्यवहारिक भक्त थे।वे सत्संग के मंच पर एक विद्वान गुरु-रूप,सन्तों-भक्तों के बीच एक अच्छे सन्त-भक्त के रूप,घर में एक ज़िम्मेदार पिता-अभिभावक,पत्नी के लिए अच्छे पति,समाज के लिए एक समर्पित समाजसेवी के रूप थे। वे दुःखियों के दुःख को अपने दुःख की तरह महसूस करते थे और बिना रात-दिन देखे सूचना पाते ही सहयोग करने को आतुर दिखते थे।उन्होंने जीवन में मानव का हर क़िरदार बखूभी निभाया ही नहीं बल्कि ख़ुद क़िरदार ही बन गए थे।इसीलिए तो आज भारत के हर कोने में उनके चाहने वाले और दिल से याद करने वाले मिलते हैं। उनकी शिक्षा है कि जीवन में गुरु-ज्ञान से बढ़कर कुछ भी नहीं।ब्रम्हज्ञान से आगे कोई अन्य ज्ञान नहीं। प्रेम ही परमात्मा का दूसरा रूप है।प्रभु-प्रेमी सबसे समान प्रेम करता है।श्री शर्मा ने कहा कि आज इस प्रेरणा दिवस पर उनकी शिक्षाओं से हमें व्यवहारिक शिक्षा लेनी चाहिए और उन्हीं की तरह एक अच्छे समाज के निर्माण में सहयोग करना चाहिए ।यही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
#sant Nirankari Satsang : इस अवसर पर उनकी याद में एक लघु कवि-गोष्ठी भी सम्पन्न हुई।जिसमें उनके सुपुत्र डॉ.पुष्पेंद्र अस्थाना “पुष्प” व भूपेंद्र अस्थाना,पोता रोहित अस्थाना, अमित नासमझ और डॉ. राजमणी भास्कर ने ग़ज़ल व कविताएं पढ़ीं। वक्ताओं और गीत-भजन के रूप में भी अनेकों प्रेम-प्रेमियों ने अपने भाव सुंदर और मार्मिक तरीके से प्रस्तुत किया।आये हुए हज़ारों प्रेम-प्रेमियों का आभार स्थानीय सत्संग इंचार्ज टी आर भगत ने व्यक्त किया।कार्यक्रम का संचालन उनके सुपुत्र धर्मेंद्र अस्थाना ने किया। इस अवसर पर संत श्री प्रेम नारायण सम्पूर्ण जीवन पर उनकी याद में उनके महत्वपूर्ण छायाचित्रों की एक 80 फ़ीट कोलाज प्रदर्शनी भी लगाई गई। सैकड़ों की संख्या में उपस्थित लोगों ने इस प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। #sant Nirankari Satsang