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LU Campus Charcha : कालेजों और मार्गदर्शक गुरुजनों को बड़ा दर्द दे रहा LU का एक फैसला…. जरूर पढ़िये LU की रोचक खबरें

 

कालेजों और मार्गदर्शक गुरुजनों को बड़ा दर्द दे रहा LU का एक फैसला

लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन के एक फैसले ने निजी कालेज प्रबंधन और LU के खास शिक्षकों को बेचैन कर दिया है।  फैसला है कि कॉलेज की प्रैक्टिकल परीक्षा में अब विद्यार्थियों को मनमानी अंक नहीं दिए जा सकेंगे और नहीं सौदेबाजी हो पाएगी । कई बार ऐसा भी हुआ जब विद्यार्थियों की कोगैर हाजिर होने के बाद भी चढ़ावा के बदले प्रसाद दिया गया  । अब व्यवस्था यह की जा रही है कि वीडियो बनाया जाएगा और नंबर देने में भी पारदर्शी व्यवस्था रहेगी।  यही पारदर्शी व्यवस्था निजी कॉलेजों के संचालकों का जी का जंजाल बन रही है,  वरना कई कॉलेजों के संचालक तो इसी चढ़ावे से साल भर अपने छोटे-मोटे खर्चे और कुछ नॉन टीचिंग स्टाफ की सैलरी का खर्चा तक निकल लेते थे,  ऐसे में कॉलेज संचालक अपने मार्गदर्शक गुरुजनों से इस उपाय की काट खोजने का मंत्र तलाश रहे हैं।

 अब गुरु जी बनेंगे कालेज टीचर्स के बड़े नेता

लखनऊ विश्वविद्यालय संयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (LUACTA ) के एक पदाधिकारी शिक्षक राजनीति में अपना कद बढ़ाने की कवायद में जुटे हैं । उनके समर्थकों ने भी सलाह दी है कि अभी वह युवा हैं और अगर ठीक से शिक्षकों के बीच ठीक से  PR कर ली जाए तो आने वाले दिनों में (LUACTA )  की कमान भी संभाल सकते हैं और तब लखनऊ विश्वविद्यालय की शिक्षक राजनीति में उनका डंका बजेगा।  समर्थकों के दबाव में ही सही नेता जी ने भी तय कर लिया है कि अभी दब कर नहीं आगे बढ़कर शिक्षक राजनीति करेंगे । इसके प्रथम चरण में समर्थकों ने बॉलीवुड एक्टर फैंस क्लब की तरह समर्थकों का एक समूह तैयार कर लिया है।  अब इस समूह में उनके समर्थकों को जोड़ा जा रहा है ताकि लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों में ताकत का एहसास हो जाए और तभी आगे की रणनीति बनेगी।  फिलहाल शिक्षक राजनीति में इन पदाधिकारी की समर्थकों के समर्थन में बने ग्रुप की ही चर्चा हो रही है । अब आगे देखना है कि शिक्षक राजनीति में वे कौन सा मुकाम तक हासिल कर पाते हैं ?

गर्ल्स हास्टल में नेतागिरी !

लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव बहाली की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन जरूर खत्म हो गया है लेकिन परिसर में  सक्रिय छात्र नेता और छात्र संगठन न जाने क्यों यह मन कर चल रहे हैं कि देर सुबह लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव  हो ही जाएंगे । यही कारण है कि परिसर में ABVP, NSUI,  AISA और छात्र सभा सहित कई छात्र संगठन और निर्दलीय छात्र नेताओं ने अपने-अपनी सक्रियता बढ़ा दी है।  परिसर से लेकर छात्रावासों तक इन छात्र नेताओं की चहल-पहल और बैठकों का दौर शुरू हो गया है।  एक छात्र संगठन ने तो गर्ल्स हॉस्टल के मुद्दों को जोर जोर से उठाना शुरू कर दिया है। इस संगठन के नेताओं को लगता है कि उन्हें गर्ल्स हॉस्टल का समर्थन आसानी से मिल जाएगा लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन न तो उनकी मांगों पर ध्यान दे रहा है और ना ही इन्हें वार्ता के लिए ही बुलाया है।  लेकिन सबसे मजेदार बात यह है कि छात्राओं ने भी इन्हें अब तक अपने हॉस्टल में एंट्री नहीं दिए बस समर्थन और मुद्दों को लेकर अखबारों में ही सक्रियता दिख रही है

चरण रज लेने वाले प्रधानाचार्य 

चारबाग के एक इंटर कॉलेज में प्रबंध समिति कालातीत अतीत हो गई है,  लेकिन विद्यालय के प्रधानाचार्य यह मानने के लिए कतई तैयार ही नहीं है । प्रबंधक के चरण रज लेने में इतना अधिक झुक गए हैं कि नियम कानून तक भूलने लगे हैं । एक दिन तो एक शिक्षक को उन्होंने इस बात पर डांट दिया कि वह कथित प्रबंधक के निर्देशों की अवहेलना कर रहे थे , जबकि तब प्रबंधक वाली कमेटी का अस्तित्व ही खत्म हो चुका था और प्रबंध समिति भी अस्तित्व नहीं थी।  यह अक्सर विद्यालय में प्रबंधक  के दिशा निर्देशों को लेकर टहलते रहते हैं और प्रबंधक अपने आदेशों और निर्देशों का पालन करवाते रहते हैं लेकिन शिक्षकों पर ये निर्देश अब भारी पड़ने लगे हैं , जब शिक्षक विरोध करते हैं तो उन्हें तरह-तरह की धमकियां भी मिलती हैं।  फिलहाल इस विद्यालय के  शिक्षक जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS Lucknow ) और अपने शिक्षक नेताओं की ओर न्याय के लिए देख रहे हैं।

 ©स्कालर

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