- धरने का नेतृत्व करने वालों में कर्मचारी परिषद अध्यक्ष राकेश यादव व महामंत्री संजय शुक्ला के साथ ही उपाध्यक्ष सी0पी0 सिंह, अभिषेक सिंह, संगठन मंत्री शिवानंद द्विवेदी,कोषाध्यक्ष अमित सक्सेना, मंत्री बाबूलाल बाबू, दिनेश बाल्मीकि, के0पी0 सिंह, प्रचार मंत्री अमित सक्सेना और सदस्यगण मुकेश धर दुबे, सोमनाथ, अशोक कुमार, बच्चा सिंह, अमित कुमार, लालबाबू एवं पवन कुमार आदि प्रमुख थे।
लखनऊ, 14 जून । campussamachar.com, लखनऊ विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद ने आज पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, सकल घरेलू उत्पाद का 6% शिक्षा के लिए आवंटित करने और देश के समस्त विश्वविद्यालयों के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को एक समान यूजीसी स्केल व सेवा शर्तें प्रदान करने की मांग को लेकर विश्वविद्यालय के सरस्वती वाटिका पर धरना देकर कुलपति के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। आज 14 jun 2023 को यह कार्यक्रम अखिल भारतीय विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के आवाहन पर आयोजित मांग दिवस के अवसर पर किया गया।
धरने को सम्बोधित करते कर्मचारी परिषद अध्यक्ष राकेश यादव ने कहा कि कालान्तर से ऐसा महसूस किया जा रहा है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है जैसे वे विश्वविद्यालय परिवार के अंग नही है।
यूजीसी ने शिक्षा मंत्रालय के अन्तर्गत विश्वविद्यालय के शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के समूह ए और बी श्रेणी के लिए समान वेतनमान निर्धारित किया है, लेकिन ‘ग’ और ‘घ’ समूह के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है। परिणामस्वरूप एक ही विश्वविद्यालय के अन्तर्गत कार्यरत शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की एक श्रेणी यूजीसी द्वारा निर्धारित वेतनमान का आनंद ले रही है, जबकि समूह ‘ग’ और ‘घ’ श्रेणी के शिक्षणेत्तर कर्मचारी उक्त सुविधा से वंचित है।
कर्मचारी परिषद महामंत्री संजय शुक्ला ने कहा कि विभिन्न विश्वविद्यालयों में 30-35 वर्ष की सेवा करने वाले कर्मचारयों की पुरानी पेंशन व्यवस्था समाप्त करते हुए एन0पी0एस0 सुविधा लागू करने के कारण उनका भविष्य पूरी तरह अन्धकारमय हो गया। सेवानिवृत्ति के पश्चात् उनका जीवन कैसे सुरक्षित रहेगा और भरण-पोषण होगा इसकी कोई निश्चित गारण्टी नही है। महामंत्री संजय शुक्ला ने आगे कहा कि शासन द्वारा सार्वजनिक वित्तपोषित अधिकांश अधिकांश विश्वविद्यालय आर्थिक संकट से जूझ रहे है। जिसके कारण अध्ययन-अध्यापन प्रभावित हो रहा है। इसके साथ ही वहाँ कार्यरत शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को भी महँगाई के सापेक्ष वेतन भत्ते व अन्य सुविधाएं प्राप्त नही हो पा रही है। इसके दृष्टिगत केन्द्र सरकार/विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा यह निर्णय लिया जाना आवश्यक है कि विश्वविद्यालय को पर्याप्त आर्थिक सहायता प्रदान किया जायें जिससे वह विश्व के प्रतिष्ठि शिक्षण संस्थानों से प्रतिस्पर्धा कर सके।
लखनऊ विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद द्वारा कुलपति जी के माध्यम से प्रधानमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के साथ ही एन0पी0एस सुविधा को समाप्त किया जाए जाने, सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत शिक्षा पर व्यय किया जाने और सार्वजनिक वित्तपोषित विश्वविद्यालयों को पर्याप्त वित्तपोषण सुनिश्चित किया जाने एवं देश के समस्त विश्वविद्यालयों के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को एक समान यूजीसी स्केल व सेवा शर्तें प्रदान किया जाने की मांग की। जिसकी प्रतिलिपि मा0 धर्मेन्द्र प्रधान जी, मानव संसाधन विकास मंत्री भारत सरकार और अपर मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा, उ0 प्र0 शासन को भी प्रेषित किया।
lu news : मांग दिवस पर आयोजित धरने का नेतृत्व करने वालों में कर्मचारी परिषद अध्यक्ष राकेश यादव व महामंत्री संजय शुक्ला के साथ ही उपाध्यक्ष सी0पी0 सिंह, अभिषेक सिंह, संगठन मंत्री शिवानंद द्विवेदी,कोषाध्यक्ष अमित सक्सेना, मंत्री बाबूलाल बाबू, दिनेश बाल्मीकि, के0पी0 सिंह, प्रचार मंत्री अमित सक्सेना और सदस्यगण मुकेश धर दुबे, सोमनाथ, अशोक कुमार, बच्चा सिंह, अमित कुमार, लालबाबू एवं पवन कुमार आदि प्रमुख थे। यह जानकारी लविवि कर्मचारी परिषद के महामंत्री संजय शुक्ला ने दी है ।