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CG में अनूठा प्रयास : प्रकृति प्रेमी कर रहे जागरूक-पिकनिक मनाएँ लेकिन टूटी हुई कांच, झूठे पत्तल और जलते हुये चूल्हे तो न छोड़ें…प्रकृति को बचाएं क्योंकि…

  • छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा द्वारा शासकीय हाई स्कूल स्याहीमुड़ी में वृक्षों में रक्षा सूत्र बांधे गए एवं प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रतिज्ञा ली गई ।

कोरबा, 4 जून । छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में प्रकृति संरक्षण के लिए अनूठा अभियान चलाया जा रहा है । इस अभियान में स्कूली बच्चों से लेकर शहरी और ग्रामीण जनों को शामिल करते हुए उन्हें यह संकल्प  दिलाया जा रहा है कि वे प्रकृति समीक्षा जल संरक्षण के लिए कार्य करेंगे । इतना ही नहीं विज्ञान सभा के पदाधिकारी कार्यकर्ता और जागरूक ग्रामीण मिलकर छोटे-छोटे प्रयासों के माध्यम से लोगों को यह सफलतापूर्वक बताने में जुटे हैं कि प्रकृति संरक्षण से ही मनुष्य का संरक्षण होगा अन्यथा आने वाले दिनों में शुद्ध अशुद्ध जल शुद्ध वातावरण जैसी चीजें तलाशने पर भी नहीं मिली इसलिए अभी समय है हम सब जागरूक होकर प्रकृति का संरक्षण करें।

cgnews in hindi : अभियान के तहत लोगों को  बताया जा रहा है कि मनुष्य की यह प्रवृत्ति रही है कि प्रकृति से जितनी वस्तुओं को मनुष्य प्राप्त करता है , उसका विदोहन करता है उतना पलट कर प को दे नहीं पाता यह कहना ज्यादा उचित होगा मनुष्य की इतनी क्षमता ही नहीं है कि वह कुछ प्रकृति को वापस लौटा सकें , हां इसे संजोकर, सवार कर, बचा कर रख सकता है. कोरबा समेत अन्य जिलों के वासी प्रकृति का बहुत आनंद लेते हैं अन्य नए पिकनिक स्पॉट खोजे जा रहे हैं परंतु दुखद यह है कि प्रकृति की खूबसूरत विहंगम दृश्यों में पहुंचकर वहां खाने पीने का कचरा फैलाया जाता है,   जिससे  प्रदूषण फैलता है, जिन चूल्हा पर खाना बनाया जाता है उनको जलता हुआ छोड़कर आया जाता है , जिससे जंगल में दवानल का खतरा बढ़ जाता है।  मदिरा की कांच की बोतल जंगल में छोड़ते हैं, जिससे टूटी हुई कांच की बोतले वन्य प्राणियों के लिए चोट का कारण बन सकती हैं , जंगलों में स्पीकर बजाते हैं क्या शांति और सुकून की खोज में निकलने वालों के लिए यह करना उचित है कि वह वन्य प्राणियों और प्राकृतिक आवासों में जाकर ध्वनि प्रदूषण करें ?

korba news : सवाल यह है कि क्या इन सब गतिविधियों से ऐसा नहीं लगता कि आने वाले समय में हम अपनी संतानों को किस तरह का जंगल दिखाएंगे ? आज यदि हमारे यह मानना है कि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है मनुष्य जाति के लिए यह एक बहुत बड़ी समस्या बनने वाली है और बन चुकी है तो प्रकृति ने वनों के रूप में हमें अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए एक वरदान दिया है जिसे हमें संजो कर रखना है एक हरी भरी प्राकृतिक नजारों से भरपूर जंगल जिसका संरक्षण तो दूर की बात है उसको यथास्थिति बनाए रखना भी कुछ लोगों से नहीं हो पा रहा है परंतु इन कुछ लोगों की वजह से सभी को प्रकृति विनाश और पर्यावरण प्रदूषण के दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि सिगरेट एक व्यक्ति पीता है और वह बीमार होता है परंतु उसके आसपास के वह लोग भी बीमार होते हैं इन्होंने जीवन में कभी सिगरेट नहीं पी है। प्रकृति का रक्षक बनने के लिए हम सबको जागृत होना पड़ेगा।

korba news in hindi: इसलिए अब हमें इस दिशा में दृढ़ संकल्प होकर हमें प्रकृति के संरक्षण के लिए जुट जाना चाहिए छोटे-छोटे प्रयासों द्वारा निसंदेह सामूहिक रूप से अगर प्रयास किए जाएंगे तो बहुत हद तक कम से कम कुछ कठिनाइयों को हम दूर कर पाएंगे। शहर से यदि शुरू करें तो सबसे पहले सिगड़ी जलाने वालों को अब सावधान रहना चाहिए जो भी लोग सिगड़ी जलाकर शाम में खाना बना रहे हैं बनाने से उस खाने से इतना पोषण आपको नहीं मिलेगा जितना उसके दोहन से आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा निश्चित तौर पर आने वाले समय में वह फेफड़ों की बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं ।

korba news : वर्तमान स्थिति में जल स्तर कम होता जा रहा है पहले ग्रामीण क्षेत्रों में पोखरों और तालाबों की सफाई का काम होता था परंतु धीरे-धीरे यह प्रथा अब लुप्त होती जा रही है जिससे कि प्राकृतिक रूप से रिटेन हो जाने वाले तालाब अब सूखे पड़े रहते हैं दूसरी ओर शहरों में पाए जाने वाले तालाबों के चारों और कंक्रीट की दिवारे बनाई जा रही है ऐसी स्थिति में और मुश्किल है कि भी प्राकृतिक रूप से रिटेन होंगे ऊर्जा धानी में रहते हुए कोरबा वासियों को प्रदेशभर के लिए ऊर्जा संरक्षण में एक मिसाल बनना चाहिए। इसके लिए बेवजह जलते यंत्रों को बंद करें अनावश्यक रूप से गाड़ियों का प्रयोग ना करें  और जाम साइकिल या पैदल जा सकते हैं , वहां हम गाड़ियो का प्रयोग ना करें। छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा द्वारा शासकीय हाई स्कूल स्याहीमुड़ी में वृक्षों पर रक्षा सूत्र बांधे गए एवं प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रतिज्ञा ली गई ।

chhattisgarh news : इसी क्रम में पतरापाली मांझी डेरा मदनपुर क्षेत्रों में कार्यक्रम किए गए कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. फरहाना अली, दिनेश कुमार वेदव्रत उपाध्याय लोकेश राज, रघु सिंह , कमलेश दास, रेखा श्रीवास, सुमित सिंह और निधि सिंह सक्रिय रूप से सहभागिता की एवं विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों से देव नारायण माझी,  शमोती लाल राठिया,परसराम केवट और मांझीडेरा का कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष सहयोग रहा।

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