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MOTIVATIONAL NEWS : ग्रेजुएशन नहीं कर पाईं अर्चना लेकिन मुनगा पत्ती बना लिया आय का साधन

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उमरिया. विकासखण्ड पाली के आदिवासी ग्रामीण अंचलों में मुनगा की पत्तियों का उपयोग कोई नहीं जानता था इसका उपयोग खरपतवार के रूप में होता था लेकिन अर्चना सिंह और उसके समूह सदस्यों ने एक नई राह खोज निकाली है। जो जिले के अन्य समूह सदस्यों के लिये प्रेणास्पद और अनुकरणीय है।

अर्चना सिंह का जन्म ग्राम गाड़ासरई पोस्ट वजाग जिला डिण्डौरी के एक गरीब परिवार में हुआ। परिवार में कुल 6 भाई बहन है। माता पिता मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोण करते थे। अर्चना की पढ़ाई बीए प्रथम वर्ष तक ही हो पाई है, इसके आगे वह पढऩा चाहती थी परन्तु आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण पढ़ाई नहीं कर सकी। इनकी शादी ग्राम औढ़ेरा निवासी सुनील सिंह से हुई है, सुनील सिंह भी जादा पढ़े लिखे नहीं है। वे भी मेहनत मजदूरी करके अपना परिवार चलाते थे। अर्चना सिंह 2019 में आजीविका मिशन के द्वारा गठित आरती आजीविका स्व-सहायता समूह से जुड़ी, पढ़ी लिखी होने के कारण उनका सचिव पद हेतु समूह द्वारा चयन किया गया है। अर्चना सिंह कुछ करने की इच्छा शक्ति रखती थी आजीविका मिशन के नोडल अधिकारी द्वारा उन्हे (स्टेट लेवल कम्युनिटि ट्रेनर) भोपाल ट्रेनिंग में भेजा गया, उन्होंने वहाँ प्रशिक्षण प्राप्त किया। ग्राम संगठन में जाकर वित्तीय साक्षरता का प्रशिक्षण किया।

आजीविका मिशन एवं माइकलप प्रोडूसर कम्पनी द्वारा आरती स्व सहायता समूह के साथ बैठक का आयोजन करके व्यक्तिगत और स्थानीय जंगलों में उपलब्ध मुनगा के पत्तों का संग्रण करने की सलाह दी गई अर्चना सिंह एवं उनके समूह सदस्यों द्वारा रूचि लेकर मुनगा के पत्तों का संग्रहण करके पत्तों को सुखाया गया। अर्चना सिंह द्वारा 200 किलों सूखी मुनगा पत्ती 70 किलों के दर से अनुबंधित माइकल प्राडूसर कम्पनी को 14000 रू. का बेचा गया अर्चना सिंह और उनका समूह इस कार्य से बहुत खुश है। अब मुनगा पत्ती उनके आय का अतिरिक्त साधन बन गया है। उनके द्वारा बताया गया कि जिले के अन्य समूह सदस्य मुनगा की खेती पत्तियों से कमा सकते है। उसके एवं अर्चना सिंह ने जिला प्रशासन आजीविका मिशन माइकल प्राडूसर कम्पनी को मार्गदर्शन एवं आय बढ़ानें में सहयोग के लिये आभार व्यक्त की है।

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