- उत्तर प्रदेश में आधुनिक कला आंदोलन के अग्रणी रहे कलाकार आचार्य मदन लाल नागर की जन्मशती के अवसर पर विशेष अपील।
- हम सभी को एकजुट होकर प्रदेश के कला और कलाकारों को सहेजने और सँवारने का प्रयास अवश्य करना चाहिए ताकि आने वाले भविष्य में प्रदेश की कला और कलाकारों को लोग जान और समझ सकें ।
- लखनऊ महापौर ने जल्द विचार करने का आश्वासन भी दिया।
लखनऊ, 31 मई 2023। प्रदेश के प्रसिद्ध चित्रकार कलागुरु मदनलाल नागर (5 जून 1923 – 27 अक्टूबर 1984) का यह वर्ष जन्मशती वर्ष है। श्रद्धेय नागर का जन्म 5 जून 1923 को लखनऊ के सबसे पुराने क्षेत्र चौक में हुआ था । सिर्फ लखनऊ ही नहीं बल्कि देश के आधुनिक कला जगत में मदन लाल नागर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कला शिक्षा में आधुनिक चेतना के आग्रही नागर जी के ऐसे शिष्य जिन्होंने कला जगत को अपनी कला से समृद्धि प्रदान की, ऐसे कलाकारों की बड़ी संख्या है। किन्तु नयी पीढ़ी को उनके योगदान से अवगत कराते रहना हम सभी का सामूहिक दायित्व है।
lucknow news : इसी संदर्भ में बुधवार को युवा चित्रकार, क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने एक विस्तृत पत्र के साथ लखनऊ नगर निगम की महापौर सुषमा खर्कवाल (Mayor Kharkwal ) से उनके ऑफिस मे मुलाक़ात की। सम्बंधित पत्र के माध्यम से वर्तमान लखनऊ महापौर को विस्तृत जानकारी दी गयी, महापौर ने जल्द इस पर विचार करने का आश्वासन भी दिया है।
lucknow nagar nigam news : भूपेंद्र अस्थाना ने इस मुलाक़ात का मुख्य उद्देश्य बताया कि अप्रैल 1949 में त्रिलोकी नाथ हाल, लखनऊ नगर निगम (Lucknow Nagar Nigam ) में एक मुनिसिपल आर्ट गैलरी (Lucknow Nagar Nigam Art Gallary Pentings And Stetue) को स्थापित किया गया। यह संभव, प्रयास और पूरी निष्ठा के कारण उस समय रहे प्रशासक बी डी सनवाल के कारण हो सका था। उस समय कलाकृतियों के संग्रह और गैलरी संचालन की नीति भी बनाई गयी थी। साथ ही इस गैलरी में कलागुरु मदन लाल नागर को प्रथम क्यूरेटर नियुक्त किया गया। जिनके सफल प्रयासों से देश प्रदेश के प्रसिद्ध चित्रकारों,मूर्तिकारों के कुल 92 कलाकृतियों का संग्रह संभव हो सका। इस महत्वपूर्ण संग्रह में ललित मोहन सेन,आर सी साथी,भुवन लाल शाह, सुरेश्वर सेन,पी आर राय, ख़ास्तगीर,मदन लाल नागर, ए पी दुबे,डी पी धुलिया,शारदेन्दु सेन राय, कृपाल सिंह शेखावत, एन आर उत्प्रेति, ए पी भटनागर, ए एन नौटियाल, ईश्वर दास, सुखवीर सिंघल,जे एस गुप्ता,बी एन जिज्जा,हरिहर लाल मेढ़,फ्रेंक वेस्ली,जे एन सिंह, श्रीधर महापात्रा, मुहम्मद हनीफ जैसे स्तंभ कलाकारों की कृतियां संग्रहित हैं। ऐसा संग्रह उत्तर प्रदेश के अन्य किसी संग्रह में उपलब्ध नहीं है। यह महत्वपूर्ण बिंदु है। जो कला धरोहर के रूप में है। यह लखनऊ ही नहीं बल्कि प्रदेश की कला वातावरण की महत्वपूर्ण घटना थी। इसके अलावा नागर को संग्रहलायाध्यक्ष भी बनाया गया इसी के साथ कला के प्रति जागरूक करने के लिए रिफ्रेसर कोर्स भी संचालित किए गए जिसे नागर ने बखूबी निभाया। नागर काफी समय तक नगर महापालिका से जुड़े रहे। लेकिन बाद में प्रशासनिक बदलाव और कला के प्रति निरंकुशता के कारण यह जारी नही रह सका।
lucknow art news : भूपेंद्र अस्थाना ने बताया इसी संदर्भ में महापौर से यह अपील की है कि जब प्रदेश के और स्वयं लखनऊ के ऐसे दिग्गज कलाकार की जन्मशती का अवसर आया है तो 5 जून 2023 को इस मुनिसिपल आर्ट गैलरी( Lucknow Nagar Nigam Art Gallary Pentings And Stetue) को पुनः आम जनता और कलाकारों कलाप्रेमियों के लिए अवलोकनार्थ खोल दिया जाए और इसे निरंतर खुला रहने दिया। हालांकि गैलरी में वर्तमान कर्मचारी से बातचीत मे पता चला की कभी कभी कुछ लोग आ जाते हैं गैलरी देखने। इसके लिए नगर निगम इस गैलरी के प्रचार प्रसार भी और बढ़ाए।
UP news : कलाकृतियों को सुंदर ढंग से प्रदर्शित भी किया जाए और उन कलाकारों के बारे में भी जानकारी प्रदर्शित की जाए। साथ ही कुछ और प्रदेश के कलाकारों के कृतियों के नए संग्रह भी किया जाए, समय समय पर कुछ कलात्मक गतिविधियों के लिए भी एक रणनीति बनाये जो प्रदेश के कला और कलाकारों के लिए गर्व का विषय होगा। साथ ही इस गैलरी को “कला आचार्य श्री मदन लाल नागर कला वीथिका” से नामकरण भी किया जाए। यह प्रदेश और स्वयं नगर निगम (Lucknow Nagar Nigam Art Gallary Pentings And Stetue) के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि होगी। और इस तरह उस महान कला आचार्य को याद करने का महत्त्वपूर्ण अवसर होगा।
#भूपेंद्र अस्थाना ने बताया कि नागर में चित्रकार के साथ ही योग्य अध्यापक,लेखक, समीक्षक एवं कला संस्थानों के संगठनात्मक दायित्व के गुण भी समाहित थे । चित्रकार नागर संवेदनाओं व वातावरण के कलाकार थे, साथ ही मानसिक विश्लेषण के बुद्धिजीवी चित्रकार थे।नगर के चित्रों में पोर्ट्रेट पेंटिंग के बारे में कहा की यह मुझ जैसी लखनवी का चेहरा है जिसमें समाया है इतिहास उसकी गौरव गाथा की कला लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर लखनऊ की तंग गलियों व ऐतिहासिक इमारतों आदि के प्रतीकात्मक मौलिक संयोजनों के लिए उनकी पहचान को मूल्यांकित किया गया है। हम सभी को एकजुट होकर प्रदेश के कला और कलाकारों को सहेजने और सँवारने का प्रयास अवश्य करना चाहिए ताकि आने वाले भविष्य में प्रदेश की कला और कलाकारों को लोग जान और समझ सकें ।