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Motivational News : पढ़िये आखिर कैसे समूहों से जुड़कर जीवन में खुशियों के रंग भर रही हैं Shivpuri जिले की ग्रामीण महिलाएँ

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ग्वालियर. कभी चौका-बर्तन और घरेलू कामकाज तक सीमित रहने वाली ग्रामीण महिलाएँ अब सुंदर-सुंदर जैकेट, खुशबूदार अगरबत्ती व धूपबत्ती से लेकर जायकेदार मसाले तैयार कर रही हैं। स्व-सहायता समूहों से जुड़ीं इन ग्रामीण महिलाओं ने आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनकर महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल पेश की है।

यह सच्ची कहानी शिवपुरी जिले के बदरवास विकासखण्ड के ग्राम बारई की है। इस गाँव की महिलायें राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बने स्व-सहायता समूहों में संगठित होकर विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियों का सफल संचालन कर रही हैं। कोई समूह जैकेट निर्माण से जुड़ा है तो किसी समूह को खुशबूदार अगरबत्ती व धूपबत्ती बनाने में महारथ हासिल है। बहुत सी महिलायें जनरल स्टोर, किराना स्टोर और कृषि गतिविधियों से भी जुड़ी हैं। जाहिर है इससे महिलाओं को अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है। बारई सहित अन्य समीपवर्ती गाँवों की लगभग 2500 महिलाएँ स्व-सहायता समूहों से जुड़कर विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियाँ चला रही हैं।

बारई गाँव के दौरे पर पहुँचे ग्वालियर संभाग आयुक्त आशीष सक्सेना ने जब इन महिलाओं से पूछा कि आप सब अपने समूहों के उत्पादों की मार्केटिंग कैसे करती हैं और इससे कितनी कमाई हो जाती है। तब ग्राम संगठन बारई की अध्यक्ष सीमा शर्मा ने बताया कि आजीविका मिशन के तहत हम महिलाओं को प्रशिक्षित कर मार्केटिंग के गुर सिखाए गए हैं। जिससे हम आसानी से अपना सामान बेच पाते हैं। हमारे उत्पादों को बाजार दिलाने में जिला प्रशासन और जिला पंचायत का भी पूरा सहयोग रहता है। सीमा का कहना था कि समूहों से जुड़ी प्रत्येक महिला हर माह सब खर्चे काटकर 6 से 8 हजार रूपए बचा लेती है।

समूहों से जुड़ीं अन्य महिलायें कहने लगीं कि हम सबने सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी आर्थिक गतिविधियों की बागडोर हमारे हाथ में होगी। अब हमें छोटे-मोटे कामों से लेकर घर-गृहस्थी के बड़े-बड़े कामों तक के लिये किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं रहती। प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किए गए मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने हम सबका जीवन ही बदल दिया है।

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