- सटीक स्थानीय जानकारी के लिए डीजिटल मेप मील का पत्थर-प्रो. वंशगोपाल सिंह, कुलपति
बिलासपुर . 3 jan 2023 . Bilaspur education news : आज अंचल के प्रतिष्ठित सी.एम.दुबे स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बिलासपुर के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला ‘‘डिजिटल मैप मेकिंग टेक्नोलॉजी‘‘ जो कि नेशलन एटलस एवं थिमेटिक मानचित्रण संस्थान भारत सरकार कोलकाता के सहयोग से आयोजित है। इस कार्यशाला के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि सम्माननीय प्रो. वंशगोपाल सिंह, कुलपति पं. सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर रहे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पं. संजय दुबे अध्यक्ष शासी निकाय सी.एम.दुबे स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर ने किया। इस समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रो. वी.के. पटेल एवं विभागाध्यक्ष भूगोल और प्रभारी प्राचार्य डॉ. संजय सिंह रहे।
प्रो. वंशगोपाल सिंह ने उपस्थित प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि आज सम्पूर्ण भारत में डिजिटल इण्डिया प्रोग्राम संचालित है और उच्च शिक्षा संस्थानों में पाठ्यक्रम के रूप डिजिटल तकनीकी को सम्मिलित किया गया। इस दृष्टि से डिजिटल मैप मेकिंग टेक्नोलॉजी पर आयोजित कार्यशाला प्राध्यापक एवं छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है। उन्होने बताया कि मैप सभी व्यक्ति के लिए अनिवार्य है। ऐसे बहुत सारे एप्लिकेशन उपलब्ध है जो कि आम व्यक्ति को मदद कर सकता है। हम एक क्लीक के माध्यम से अपना गांव शहर, खसरा नंबर, पता इत्यादी जान सकते हैं। सी.एम.दुबे स्नातकोत्तर महाविद्यालय एक पुराना महाविद्यालय है और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इस महाविद्यालय का अग्रणी स्थान है। अस आयोजन का छात्र-छात्राएं लाभ उठाकर सुनहरे भविष्य की तलाश कर सकते हैं। कुलपति ने इस प्रयास की सराहना की और भविष्य में भी इस तरह के वर्कशॉप करने पर जोर दिया। उन्होने यह भी कहा कि सी.एम.दुबे स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर एवं पं. सुन्दर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय बिलासपुर के मध्य अटूट संबंध है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष पं. संजय दुबे ने स्वागत भाषण में कहा कि हमारा महाविद्यालय नवीन तकनीकी से छात्र/छात्राओं को परिचय कराने एवं प्रशिक्षण दिलाने के लिए हमेशा तत्पर रहा है। उसी कड़ी में यह आयोजन विद्यार्थियों के कैरियर निर्माण के लिए उपयोगी है यह आयोजन भूगोल विभाग के द्वारा आयोजित किया गया है l वर्तमान में चाहे रेल लाईन हो, चाहे जमीन हो, नक्शा हो या वायुयान मार्ग हो सभी का मानचित्र तैयार किया जाता है। और इसी के आधार पर संपूर्ण कार्य को अंजाम दिया जाता है। इसी तरह से अंतरिक्ष में रॉकेट का प्रेक्षेपण किया जाता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण गूगल मैप है जो कि प्रत्येक व्यक्तियों के लिए सुलभ है। पं. संजय दुबे ने बताया कि इस तरह के आयोजन भविष्य में भी किया जाएगा। इस हेतु भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पी.एल. चन्द्राकर और सहयोगियों को शुभकामनायें दिये।
इस वर्कशॉप में भारत सरकार के संस्थान नेटमों के वैज्ञानिक सुश्री मित्रा कुमार, समन्वयक, डॉ. कृष्ण दत्त पात्रे सहायक अनुसंधान अधिकारी और श्रीमती लिपिका मण्डल सहायक अनुसंधान अधिकारी छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए मंचस्थ रहे।
सुश्री मित्रा कुमार ने नेशनल एटलस और थिमेटिक मानचित्रण संस्थान भारत सरकार कोलकाता का परिचय कराते हुये कहा कि हमारा संस्थान 1956 से स्थापित है। सम्पूर्ण भारत इसके विभिन्न प्रांत और जिलों के योजना बनाने के लिए एटलस हार्ड एवं साफ्ट कॉपी में उपलब्ध कराती है। हमारे संस्थान द्वारा थाइलैण्ड और दक्षिणी पूर्वी एशियाई देशों के लिए डाटाबेस और तकनीकी सहयोग प्रदान करती है। इसके अलावा प्राध्यापकों एवं छात्र/छात्राओं को डिजिटल तकनीकी से मानचित्र निर्माण का प्रशिक्षण दिया जाता है।
campus news : इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. विमल पटेल विभागाध्यक्ष भूगोल एवं प्राचार्य संजय सिंह ने इस कार्यशाला को समाज उपयोगी बताते हुए कार्यक्रम की सफलता हेतु अपनी शुभकामनायें दी। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ. पी.एल. चंद्राकर विभागाध्यक्ष भूगोल के द्वारा रचित ‘‘हमारा गांव, हमारा रिश्ता‘‘ पुस्तक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। यह पुस्तक मुख्य रूप से ग्रामीण परिवेश और मानव संसाधन के बीच उत्पन्न असंतुलन और ग्रामीण उत्पाद को बाजार के मांग के अनुरूप समायोजन पर जोर देने हेतु लिखा गया है तथा यह पुस्तक मुख्य रूप से ग्रामीण एवं शहरी परिवेश के अंतर को स्पष्ट करता है।
campus news : इस उद्घाटन समारोह में नगर के सभी महाविद्यालयों के भूगोल के प्राध्यापक उपस्थित रहें। डॉ. सतीश दुबे, जे.पी. वर्मा महाविद्यालय, डॉ. मनोज सिन्हा समन्वयक राष्ट्रीय सेवा योजना, डॉ. गीता सिंह गर्ल्स महाविद्यालय बिलासपुर विशेष रूप से उपस्थित रहें, तथा बी.एड संकाय की प्रभारी डॉ. अन्जली चतुर्वेदी और प्रो. राजकुमार पण्डा भी उपस्थित रहे। इस समारोह को सफल बनाने मे महाविद्यालय के आई.क्यू.एसी. के प्रभारी डॉ. बिन्दा शर्मा, डॉ. विनित नायर, डॉ. के.के. शुक्ला, डॉ. विभा सिंह, श्रीमती के. प्रसाद, प्रो. रोहित लहरे, प्रो. महूआ पाठक का सक्रिय योगदान रहा।