- – सामंत रे की अभिव्यक्ति जंगली जानवरों की दुनिया के दृष्टिकोण से दर्द
- – अपनी विशेष शैली के कारण गोपाल सामंत रे का नाम विख्यात है।
- प्रदर्शनी 5 अक्टूबर 2022 तक कला प्रेमियों के लिए लगी रहेगी
लखनऊ,10 सितम्बर. वर्तमान परिदृश्य बहुत ही भयानक है और अगर ऐसी ही स्थिति रही तो आगे इससे भी भयानक परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। इन सबका बस एक ही कारण है की सुन्दर और सृजनशील पृथ्वी पर इंसान ने अपनी जरूरतों से ज्यादा दोहन कर रहा है। मौसम बदल गए हैं,पृथ्वी के लगातार गर्म होने से प्रलय की स्थिति बढ़ती जा रही है। दिनों दिन बारिश की कमी होती जा रही है ठण्ड कम पड़ रहे हैं। लगातार पेड़ों की कटाई से जंगल खत्म हो रहे और नदियाँ सूख रही है। प्रकृति से प्रेम और पृथ्वी से प्रेम ही इसे बचा सकती है।
ऐसी ही अनगिनत चिंताएँ और समस्याओं को समय समय पर वैज्ञानिकों के अलावा कलाकार और रचनातमक लोग जताते और लोगों को सजग करते रहते है। इसी सन्दर्भ में शनिवार की सायं लखनऊ के मॉल एवेन्यू स्थित सराका आर्ट गैलरी, होटल लेबुआ में नई दिल्ली के चित्रकार गोपाल सामंत रे के एकल कला प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। जिसका उद्घाटन मनोज सिंह आई. ए. एस. ( ए सी एस , इनवायरमेंट, फारेस्ट एंड क्लाइमेट कंट्रोल ) ने किया। इस प्रदर्शनी की क्यूरेटर वंदना सहगल हैं। इस अवसर पर शहर के कलाकार और कलाप्रेमी उपस्थित रहे।
क्यूरेटर वंदना सहगल ने बताया कि गोपाल सामंत रे का काम प्राकृतिक दुनियां और इसकी कोमलता में डूबा हुआ है और यही उनकी शैली और विषय को भी निर्धारित करता है। वह जंगलों और वनों में विचरते जानवरों,पक्षियों और प्रकृति को चित्रित करते है, लेकिन साथ ही,उन्हें कंक्रीट, कांच और बनावटी प्रकाश की मानवीय दुनिया के साथ भी जोड़ते हैं। वह एक शक्तिशाली बयान के रूप में दोनों के अलगाव को सामने लाते हैं। सामंत रे के कैनवस उज्ज्वल और आकर्षक हैं क्योंकि ज्वलंत रंग उनकी शैली का मुख्य आधार हैं। पृष्ठभूमि में एक चिकनी चमक है जिसे वह अपने ऐक्रेलिक रंगों के माध्यम से सामने लाते है, जो कभी-कभी उसके द्वारा बनाई गई बनावट की गुणवत्ता से परेशान होता है। अग्रभूमि पर लगभग हमेशा एक जानवर या पक्षी होता है, जो अपने यथार्थवादी प्रतिपादन के साथ जीवंत होते हैं और जो कभी-कभी अति यथार्थवाद की सीमा में होता है। रंगों के विपरीत, प्रकृति के चित्रों की तरह विस्तृत जीवन के साथ पृष्ठभूमि की चिकनाई जानवरों की दुनिया के दृष्टिकोण से दर्द, उनके विस्थापन को भी बाहर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
रचनाओं में “विचित्र” का भाव है
ऐसा प्रतीत होता है कि उनके अधिकांश कार्यों में बिजली के बल्ब, दीपक, रेलिंग, कंाक्रीट कॉलम, फर्नीचर ,ट्रांसफॉर्मर आदि वस्तुओं जैसे जानवरों के साथ उनके संकुचित दुनिया को प्रदर्शित करने के लिए एक आदर्श का उपयोग किया जाता है। उनकी रचनाओं में अतियथार्थवादी आंदोलन के साथ तालमेल है क्योंकि उनकी रचनाओं में “विचित्र” का भाव है। ऐसा कहने के बाद, उनकी कला में रंग, पृष्ठभूमि और अंतिम परिणाम के संदर्भ में एक अमूर्त घटक भी है क्योंकि कलाकार द्वारा परिप्रेक्ष्य की भावना को कम करके आंका गया है।गोपाल सामंत रे, अपनी शैली के माध्यम से, दुनिया को सह-अस्तित्व का एक मजबूत संदेश देते हैं और मनुष्य को अपने पर्यावरण के बारे में सावधान करते हैं।
जानिए कौन हैं गोपाल सामंत रे
प्रदर्शनी के कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि गोपाल सामंत रे मूलत: उड़ीसा के अढंगा जिला केंद्रपारा गाँव के रहने वाले हैं पिछले लगभग 16 वर्षों से नई दिल्ली में रहते हुए कला सृजन कर रहे हैं।और अपनी विशेष चित्रात्मक शैली के कारण समकालीन कला जगत में स्थापित कलाकार के रूप में विख्यात हैं। सामंत राय की गिनती उन कलाकारों में की जाती है जिन्होंने अपने हस्ताक्षर स्वयं विकसित किए हैं और अपनी अलग पहचान के साथ उभर रहे हैं । इनके पास एक अपना दृष्टिकोण है दृश्य को समझने के लिए और चित्रात्मक भाषा की एक अनैच्छिक समझ भी है । इनके चित्रों को समझने के लिए दर्शकों को ज्यादा संघर्ष करने की जरूरत नहीं पड़ती है। दृश्य भाषा काफी सरल है और संदेश भी लेकिन कलाकार को इसके लिए एक लंबा समय देना पड़ा है तब जा कर ऐसी शैली बनी है जिसका आनंद कला प्रेमी आज आसानी से ले रहे हैं । आज बहुत से पक्षियों, जानवरों के विलुप्त होने कि खबर सुनाई पड़ती है।
निजी स्वार्थ में इंसान प्रकृति से कर रहा खिलवाड़
ऐसा इसीलिए कि मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए प्रकृति से खिलवाड़ करता जा रहा है । मनुष्य और प्रकृति के संबंध को कायम रखना होगा इस बात कि गवाही सामंत राय के चित्रों से मिलती है । सामंतराय अपने चित्रों के जरिये वनस्पतियों और जीवधारियों के प्रति ध्यान आकर्षित कर रहे हैं । एक प्रकार से प्रकृति और मनुष्य के बीच बिगड़ते रिश्ते पर गहरी चिंता व्यक्त करते है और साथ ही एक सार्थक टिप्पणी करते हुए नजऱ आते हैं । यह प्रदर्शनी आगामी 5 अक्टूबर 2022 तक कला प्रेमियों के अवलोकन हेतु लिए लगी रहेंगी।