* सरस्वती शिशु मंदिर तिलक नगर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर कार्यशाला का पहला दिन
बिलासपुर. विद्या भारती के विराट लक्ष्य में समाज के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा को सुलभ बनाने का उद्देश्य निहित है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस भाव को शामिल किया गया है.हर विद्यार्थी के गुण को समझ उसका विकास करना शिक्षक का दायित्व होना चाहिए.
सरस्वती शिशु मंदिर तिलक नगर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कार्यशाला के पहले दिन संस्थान प्रतिनिधि श्री राजेंद्र शर्मा ने यह बात कही. उन्होंने कहा केवल पुस्तक पढ़ा कोर्स पूरा कर शिक्षक अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर सकते. हर बच्चे की अपनी खूबी होती है. कोई पढाई में ही बच्चे मेधावी हों. ऐसा जरुरी नहीं है. बच्चे अपनी प्रकृति के अनुसार खेल और कला गीत संगीत में भी मेधावी हो सकते हैं. शिक्षकों को बच्चे में छिपी इसी प्रतिभा को पहचानना चाहिए. डॉ. तरुणधर दीवान ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग लैंग्वेज मोबाइल सेंसर पर किए गए अपने रिसर्च की चर्चा की. उन्होंने दैनिक जीवन में सेंसर्स के उपयोग के बढ़ते महत्व को बताया. श्री हरीश चंद्र साहू ने अधिगम प्रतिफल पर प्रशिक्षण दिया. कार्यशाला में समिति के श्री बैजनाथ राय, श्री लक्ष्मीकांत मजूमदार श्री राम चौधरी राजकिशोर नगर मंगला विद्या नगर जूना बिलासपुर आदि सशिमं के प्राचार्य प्रधानाचार्य आचार्य मौजूद थे. समापन 24 जून को होगा.
# डा. दीवान ने सेंसर्स तकनीक के द्वारा ड्रोन फोटोग्राफी चालक रहित कार मौसम के पूर्वानुमान घर से दूर रहकर विभिन्न उपकरणों के संचालन चिकित्सा के क्षेत्र में उपयोग की जानकारी भी दी.
# श्री राजेन्द्र शर्मा ने बताया छात्रों में में संस्कार का विकास करने वाली गुणवत्तापूर्ण सस्ती शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए विद्या भारती प्रारंभ से ही कार्य कर रही है. सरकार ने इसकेे महत्व को समझ नई शिक्षा नीति बनाई है. सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए सभी की भागीदारी होना जरूरी है. उन्होंने इस क्रम में पंचपदी शिक्षण प्राणी का उल्लेख करते हुए बोध अभ्यास और स्वाध्याय की आदत शिक्षकों को बनाने की सलाह दी.