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UP News : प्रकृति के बिना जीवन की कल्पना करना सम्भव नहीं और प्रकृति के चितेरे हैं किशोर साहू : वरिष्ठ रंगकर्मी एवं नाट्य निर्देशक पद्मश्री राज बिसारिया

  • राजधानी में विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष प्रदर्शनी का आयोजन।
  •  प्रकृति के और करीब ले जाने तथा उसे एक कलाकार की नज़र और भावनाओं से जानने , समझने का सुनहरा मौका। 
  • चित्रकार ने प्रकृति के तमाम तत्वों के गहन वर्गीकरण को प्रस्तुत करने की यथासंभव प्रयास किया है।
  • इस प्रदर्शनी की क्यूरेटर वंदना सहगल हैं

लखनऊ. 5 जून 2022, प्रकृति के बिना जीवन की कल्पना करना सम्भव नहीं। इसलिए प्रकृति का ख़ास ध्यान रखना मनुष्य की प्राथमिकता होनी चाहिए। हमारे दृष्टि से जो भी दृष्टिगोचर होता है वह प्रकृति ही है। जो हमारे जीवन और सतह को संतुलित रखती है। प्रकृति से प्रेम करने वाला हमेशा उसे सहेजता और संवारता है। वह प्रेमी प्रकृति का चितेरा होता है। ऐसे ही एक प्रकृति के चितेरे किशोर साहू के चित्रों की एकल प्रदर्शनी शीर्षक “रंगमय क्षितिज” राजधानी के लखनऊ स्थित सराका आर्ट गैलरी में 5 जून , रविवार की शाम को लगाई गई। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन देश के जाने माने वरिष्ठ रंगकर्मी एवं नाट्य निर्देशक पद्मश्री राज बिसारिया ने किया। इस प्रदर्शनी के क्यूरेटर वंदना सहगल हैं।
प्रदर्शनी की क्यूरेटर वंदना सहगल ने बताया कि साहू प्रकृति के चितेरे हैं। भू-दृश्य, वन, उद्यान, प्रकृति-दृश्य में व्यस्तता उनके कार्यों में दिखाई देती है। उनके कैनवस जंगल को न केवल वृहद स्तर पर जीवंत करते हैं,बल्कि सूक्ष्मतम विवरण भी देते हैं। वह अपने सभी कैनवस में पैमाने के साथ खेलते हैं। एक तरफ, क्षितिज का विशाल विस्तार दूरी की गहराई के माध्यम से कब्जा कर लिया जाता है और दूसरी तरफ,शाखाओं,पत्तियों, तितलियों, पक्षियों आदि के विवरण को भी प्राथमिकता दी है। इनकी शैली काफी प्रभावशाली है। रंगों में उनकी पसंद मुख्य रूप से पेस्टल है, लेकिन हमेशा चमकीले लाल, सूर्यास्त पीले, लाल गुलाबी, पन्ना हरे और आसमानी नीले रंग के साथ जुड़ा हुआ है और विषय लगभग हमेशा प्रकृति है … पृष्ठभूमि में पेड़ों के एक चरित्र विकसित करते हैं जो कलाकार की इच्छा पर निर्भर है। कभी सिल्हूट में और कभी सफेद शाखाओं और पत्तियों के साथ विस्तृत। यह प्रतिपादन लगभग बच्चों जैसा है लेकिन समग्र रूप से इसमें परिपक्वता और संतुलन है जिसे केवल एक परिपक्व कलाकार ही चित्रित कर सकता है। कोई भी किशोर साहू के कैनवस के भीतर कालातीत रूप से भटक सकता है और दूर तक देखना नहीं चाहता … यह लगभग ध्यानपूर्ण हैं।


यहाँ प्रकृति चित्रकार की कल्पना से निकली हुई है। किशोर भूदृश्य रचते हैं जो कि प्रकृति से प्रेरित है। यहां किशोर की स्वयं की शैली है और खुद की मौलिकता है। इनके चित्रों में विभिन्न रंगों की पत्तियां, अलग अलग किश्म के अलग अलग रंगों के पेड़-पौधे ,फूल, और डालियां जो अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र अस्थाना ने बताया – वैसे तो चित्रकार किशोर साहू छत्तीसगढ़ के मूल निवासी हैं लेकिन काफी समय से नई दिल्ली में रहते हुए सृजन कार्य कर रहे हैं। इन्होंने कला में स्नातक और स्नातकोत्तर खैरागढ़ पूरी की। अनेकों सामूहिक कला प्रदर्शनियों, शिविरों ,कार्यशाला में भाग ले चुके हैं। ललित कला अकादमी के फेलोशिप भी प्राप्त है। इन्होंने अबतक चार एकल प्रदर्शनी लगाई है। और किशोर को तमाम पुरस्कार और सम्मान भी प्राप्त है। देश और विदेशों में इनके चित्रों के संग्रह भी हैं।
चित्रकार किशोर कहते हैं कि मेरी कृतियों में प्रकृति के सभी तत्वों के गहन वर्गीकरण को देखा जा सकता है। घने घने जंगल, पेड़ पौधे आदि। ये सारे मेरे कल्पनाओं का एक प्रकटीकरण है। जब मैं पेंटिंग की प्रक्रिया में होता हूँ तो प्रकृति के रूप में मुझे जो भावना और विचार उत्पन्न होते हैं उनकी अभिव्यक्ति के साथ साथ रचनात्मकता को पूरे पैमाने पर देखा जा सकता है। मुझे विभिन्न माध्यमों जलरंग,आयल, ऐक्रेलिक और रेखांकन में काम करना पसंद है।
विशेष ध्यानार्थ :  यह प्रर्दशनी आगामी 4 जुलाई 2022 तक कला प्रेमियों के अवलोकनार्थ लगी रहेंगी।

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